आइलिटस
ILETS
आज के समय में प्रत्येक गली, सड़कों और अखबारों में IELET के साईन बोर्ड पढ़ने को मिलते हैं। प्रत्येक गली या सड़क पर IELTS कर कोर्स करवाने वाली अकैडमी मिल जाएगी। अब प्रश्न यह पैदा होता है कि IELTS किस बला का नाम है। यह कहाँ से आई है। IELTS का अर्थ है Testing System, विदेशों में जाने वाले छात्रों के लिए IELTS का पास करना जरूरी है। जिस भी देश में आप जाना चाहते हैं आप को वहाँ की भाषा का ज्ञान होना जरूरी है नहीं तो आप न उनकी बात समझ पाओगे और न ही आप उन्हें समझा पाओगे। इसे अंग्रेजी में (Communication Gap) कहते हैं। इसे समस्या को दूर करने के लिए आइलिटस की परीक्षा शरू की गई ताकि पढ़े-लिखे छात्र इस विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त कर सके।
इस परीक्षा को चार भागों में बांटा गया है। इनको योग्यताएं (Skills) भी कहते हैं। इसमें पढ़ना, लिखना. बोलना और सुनना आदि आते हैं। इस में अपठित पद्यांश दिया जाता है। पहले आसान और बाद में कठिन पद्यांश दिए जाते है। इससे विद्यार्थी के उस भाषा के प्रति ज्ञान का बोध होता है। जो कुछ लिखा है क्या वह इसको समझने के योग्य है या नहीं। उत्तरों में से किसी एक उत्तर पर ठीक चिन्ह लगाना होता है। उत्तर आपस में इतने मिलते-जुलते हैं कि उनका अन्तर समझना भी कठिन हो जाता है। भाषा को पूरी तरह समझने वाला ही ठीक उत्तर दे सकता है।
इसके बाद दूसरी परीक्षा लिखने की होती है। इसमें विद्यार्थी की ठीक लिखने की बुद्धिमता को पर खा जाता है। इसमें एक अपठित पद्यांश और एक पत्र आता है। इसमें विद्यार्थी के लिखने की योग्यता, शब्दों का चुनाव, विराम चिन्ह का ज्ञान आदि की योग्यता परखी जाती है।
इस के बाद सुनने की योग्यता का पेपर होता है। इसमें विद्यार्थियों को सुनने वाले मन्त्रों (Head Phones) के द्वारा वार्तालाप सुनाया जाता है और उसके पश्चात प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा जाता है। इससे विद्यार्थी द्वारा भाषा के ज्ञान को परखा जाता है। बोलने के समय प्रत्यक्ष साक्षातकार होता है। इससे विद्यार्थी की अंग्रेजी भाषा को बोलने के ज्ञान का पता चलता है। इससे पता चलता है कि उसकी भाषा पर कितनी पकड़ है। शब्दों को बोलने का ढंग, विचारों को प्रकट करने का ढंग भी परखा जाता है।
इस परीक्षा में 9 बैंड होते हैं। 9 बैंड हासिल करने वाले को निपुण उपयोगी और 8 बैंड वाले को बहुत अच्छा उपयोगी, सात बैंड वाले को अच्छा उपयोगी कहा जाता है। छः बैंड लेने वाला विद्यार्थी बाहर जाने का अधिकारी हो सकता है। यह परीक्षा दो प्रकार की होती है। साधारण और अकाडमिक। साधारण, अकाडमिक से कुछ आसान होती है। यहां पर इसे दो संस्थाएं ही करवाती हैं। ब्रिटिश कौंसिल II आई० डी० एफ० आस्ट्रेलिया। इनके पेपर जालन्धर, अमृतसर, लुधियाना आदि शहरों में होते हैं। इसका परिणाम 15 दिन तक घोषित कर दिया जाता है। यह परीक्षा इसलिए आरम्भ की गई थी कि बाहर जाने वालों को भाषा के ज्ञान की कठिनाई न आए। लेकिन अब यह परीक्षा एक मजाक बनकर रह गई है। पैसे के बल पर पेपरों का पहले ही पता चल जाता है। भ्रष्टाचार के ढंगों से इस परीक्षा को पास करवाया जाता है। भ्रष्टाचार के दोषी वे लोग हैं जिन्होंने जगह-जगह अपने सेन्टर खोल रखे हैं। ये परीक्षा लेने वाले से मिली भक्त करके विद्यार्थियों को पास करवा देते हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि अच्छे। विद्यार्थी भी आगे नहीं जा पाते। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अच्छी शिक्षा ले और अपनी मेहनत के बलबते अच्छे अंक लेकर परीक्षा को पास करें तभी इस परीक्षा का लाभ है।