ग्लोबल वार्मिंग
Global Warming
‘ग्लोबल वार्मिंग’ का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोत्तरी वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ने लगा है। इसके परिणामस्वरूप ओजोन परत में छेद होने के कारण तापमान में वृधि हुई है। ओजोन परत कछुए के कवच की भाँति पृथ्वी के लिए एक कवच का कार्य करती है जो सूर्य। की पराबैंगनी किरणों को धरती पर आने से रोकती है। परंतु ओजोन परत में छेद होने के कारण धरती का तापमान बढ़ने लगा जिससे अनेक रोगों का खतरा बढ़ने लगा है और कई प्राकृतिक आपदाएँ भी मुँहबाए खड़ी हैं, जैसे- बाढ़, सूखा, हिमक्षरण आदि। ग्लोबल वार्मिंग से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे है। बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे हैं जिससे धरती का जल स्तर बढ़ने लगा है। इसी के परिणामस्वरूप एक समय में समुद्र के किनारे बसने वाले नगर जलमग्न हो जाएँगे । इस समस्या से निपटने के लिए जीवाश्म ईधनों का प्रयोग कम करना होगा। वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत तलाशने होंगे। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स की मात्रा पर रोक लगानी होगी। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा, वन-संरक्षण के लिए सभी देशों को मिल-जुल कर कार्य करना होगा।