ऐसी वाणी बोलिए
Esi Vani Boliye
या
मधुर वाणी
Madhur Vani
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वाणी का प्रभाव • इतिहास से उदाहरण • मन का आईना • एक महत्त्वपूर्ण सामर्थ्य
विनम्रता एवं मधुर भाषण दो ऐसे हथियार हैं जिनके द्वारा मनुष्य विश्व-विजयी हो सकता है। मीठे वचनों द्वारा | मनुष्य शत्रु को भी अपने वश में कर लेता है। अतः प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह सदैव ऐसी वाणी बोले जिसमें उसके। | हृदय की संपूर्ण सद्भावनाएँ निहित हों। ऐसा करने पर उसे भी प्रसन्नता की प्राप्ति होगी और संसार में भी सुख व्याप्त होगा। मधुर वाणी एक ऐसी औषधि है जिससे मन का अहंकारी भाव समाप्त हो जाता है।
कागा काको धन हरै, कोयल काकू देत ।
तुलसी मीठे वचन से, जग अपनो करि लेत।।
मधुर भाषण अमृत है और कटु वचन विष के समान है। कटु वचन एक ऐसा ज़हरीला बाण है जो मनुष्य (सुनने वाले) के हृदय को अंदर तक बेंध देता है। कौआ और कोयल देखने में एक जैसे हैं लेकिन उनके अंतर को उनकी वाणी बता देती है। मीठे वचन बोलने वाला व्यक्ति संसार में यशस्वी होता है। इस प्रकार के वचनों से शिष्टता, उदारता, विनम्रता एवं शांति जैसे गुणों की उत्पत्ति होती है। यही गुण धरती पर वसुधैव कुटुंबकम के स्वप्न को पूरा कर सकते हैं। वाणी में असीम शक्ति है। वाणी का प्रभाव दैनिक वार्तालाप के रूप में निरंतर गतिशील रहता है। जीवन में उसके अच्छे-बुरे प्रभाव देखे जा सकते हैं। वाणी सत्परामर्श देने के लिए भी प्रयुक्त होती है और व्यंग्यात्मक कटाक्ष एवं परिहास करने के लिए भी। शिष्ट हास्य में भी इसका प्रयोग किया जाता है और कटु वचनों में भी, कुवचनों की व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति द्वारा कुमार्ग की ओर ले जाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। जहाँ उत्साह एवं प्रेरणा के दो शब्द रण-क्षेत्र में जा रहे सैनिकों के हृदय में नई आशा एवं नवोत्साह का संचार कर देते हैं वहीं कटूक्तियाँ युद्ध का कारण बनती हैं। इतिहास इसका गवाह है। द्रौपदी के कटु वचन महाभारत के युद्ध का कारण बने । हट्टे-कट्टे आदमी का मनोबल मात्र दो वचन गिरा सकते हैं। वास्तव में, शब्दों में अद्भुत चमत्कारी शक्ति भरी पड़ी है। शाप और वरदान इसी चमत्कारी शक्ति के दो रूप हैं। साहस और पुरुषार्थ वाणी द्वारा प्रकट होकर आश्चर्यचकित कर देते हैं। सुभाषचंद्र बोस के इन वचनों कि ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ने संपूर्ण जन-समुदाय को उनके साथ चलने के लिए बाध्य कर दिया। वितीय विश्वयुद्ध में पराजित इंग्लैंड निवासियों का मनोबल बढ़ाने के लिए चर्चिल ने नारा दिया-‘वी फॉर विक्ट्री’ और इस नारे का चमत्कारी प्रभाव भी हुआ। अतः हमें यह भली-भाँति समझना चाहिए कि वाणी में एक महत्त्वपूर्ण सामर्थ्य है जो परिष्कृत रूप में। अमत तथा विकृत रूप में विष का कार्य करती है।