ईद का त्यौहार
Eid ka Tyohar
3 Hindi Essay on “Eid Ka Tyohar”
निबंध नंबर :- 01
भूमिका- भारत एक विशाल देश है। इन विशाल देशों में अनेक धर्म, मत, जाति और सम्प्रदाय के लोग रहते हैं। हिन्दू, मुस्लमान, सिक्ख, इसाई आदि धार्मिक रूप से भिन्न-भिन्न जातियों के लोग यहां निवास करते हैं। यहाँ । पर मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च आदि अनेक धार्मिक और पवित्र स्थान दिखाई देते हैं। कहीं गीता का पाठ हो रहा है, तो कहीं नमाज अदा की जा रही है, कहीं रामायण का पाठ हो रहा है तो कही गुरू ग्रन्थ साहिब का पाठ हो रहा है तो कही बाइबिल पढ़ी जा रही है। इन सब लोगों के अपने-अपने त्यौहार और पर्व है। कभी विजयदशमी था त्यौहार मनाया जाता है तो कभी गुरुपर्व, कभी क्रिसमिस तो कभी ईद का प्यारा त्यौहार लोगों को खुशियों से भर देता है।
ईद का अर्थ और मनाने के कारण- ईद को ईद-उल-फितर भी कहते हैं। ईद शब्द का अर्थ है लौटाना और ‘फितर’ का खाना पीना। रमजान के तीस रोजों के बाद लोग ईद के दिन ही खाना-पीना शुरू करते हैं। कुरान शरीफ मसलमानों का पवित्र ग्रंथ है। हजरत मुहम्मद साहिब को इसकी प्रेरणा रमजान के महीने में ही मिली थी। इसलिए रमजान के महीने चाँद निकलने के दूसरे दिन कुरान शरीफ के प्रकाश में आने की खुशी में ईद मनाई जाती है। शंटवाल की पहली तारीख का लोग बड़ी उत्सुकता से चाँद के उदय होने की प्रतीक्षा करते हैं। ईद के चाँद के उदय का समाचार सुन बच्चे बूढ़े सभी झूम उठते हैं। एक-दूसरे के गले लगते और अगले दिन ईद की तैयारियों में जुट जाते हैं।
मनाने के ढंग- मुस्लमानों के धार्मिक त्यौहारों में ईद का स्थान सर्वोत्तम है। रमजान के तीस रोजों के बाद प्रति वर्ष ईद आती है। सभी ईद का बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं। महीने भर के सयंम के बाद ईद वृद्धों एवं युवाओं को राहत देती है ।सभी खुदा का शुक्र मनाते हैं। बच्चों को मिठाईयों का लालच होता है। मेले में घूमने का चाव होता है। वास्तव में यह एक मौज-मस्तीका त्यौहार है। ईद माने की तैयारियां रमजान के महीने में प्रारम्भ से ही शुरू हो जाती हैं। मुस्लमान रमजान के महीने को बड़ा पवित्र मानते हैं। सारा महीना रोजा रखते हैं। सूर्योदय सेसूर्यास्त तक न अन्न का दाना मुंह में डालते हैं और न ही पानी का चूंट पीते हैं। सूर्यास्त के बाद ही लोग रोजा खोलते हैं। सूर्योदय से पहले नमाज पढ़ी जाती है। उसके बाद सभी अपनी-अपनी सर्मथानुसार दान देते हैं। आठ-नौ बजे लोग नए-नए कपड़े पहन कर ईदगाह की ओर चलदेते हैं। ईदगाह का दृश्य देखने योग्य होता है।
सिजदे में एक साथ बैठना, उठना, झुकना आदि को देखकर मुस्लमान धर्म की एकता और भाईचारे की बात अनायास याद हो जाती है। नमाज के बाद इमाम खुतवा पढ़ते हैं जिसमें वे अपने अनुयायियों को इस्लाम धर्म का सही-सही पालन करने का उपदेश देते हैं। खुतवा की समाप्ति के बाद सभी एक दूसरे को गले मिलते हैं और ईद मुबारकबाद कहते हैं। लोग ईद के मेले का आनन्द लेते हैं। अपनी-अपनी पसन्द की चीजें खाते हैं। चारों तरफ खुशी की लहर दौड़ रही होती है। सभी अपनी-अपनी पसन्द की वस्तुएं खरीद रहे होते हैं। ईद मुबारक’ कहते हुए एकदूसरे को गले से लगा लेते हैं।
ईद का सन्देश- त्यौहार हमें प्रेम का सन्देश देते हैं। आपसी भेदभाव, शत्रुता, हीनता को भूलकर सभी को भाईचारे के सूत्र में पिरोना सिखाते हैं। ईद का यह पवित्र त्यौहार एक ओर उत्साह तथा जीवन में नई प्रेरणा का संचार करता है तथा दूसरी ओर एक साधना का मार्ग भी सिखाता है। महीना भर रोजा रखने में एक प्रकार की तपस्या और सयंम तथा त्याग की आवश्यकता होती है। यह त्यौहार यह भी सन्देश देता है कि जीवन में खुशियां हर वर्ष लौट कर आती हैं।
उपसंहार- त्यौहारों का यद्यपि किसी विशेष जाति से जीवन में अपना ही महत्त्व होता है तथापि इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वे उसी धर्म और जाति के लिए ही हैं। त्यौहार वास्तव में सम्पूर्ण मानवता और विश्व के लिए सदश और प्रेरणा से युक्त होते हैं। त्यौहार जन-मन में खुशियों का संचार करते हैं। ईद इसी प्रकार का संदेश देने वाला त्योहार है जो परस्पर प्यार, भ्रातत्व, सहयोग तथा त्याग की भावना का मधर सन्देश देता है। धर्म और जाति के भेद-भाव को भुलाकर ही इन त्यौहारों को माना चाहिए।
निबंध नंबर :- 02
ईद का त्यौहार
Eid ka Tyohar
ईद मुसलमान भाइयों का प्रमुख त्योहार है। यह दुनियाभर में बड़े उल्लास और धूम-धाम से मनाया जाता है। ईद-उल-फितर व्रतों का त्योहार माना जाता है। और महीने के अंत में जैसे ही दूज का चाँद दिखाई देता है, व्रत का समापन कर दिया जाता है। इस महीने को रमदान अथवा रमज़ान कहते हैं। ईद रमज़ान खत्म होने के बाद मनाई जाती है। रमज़ान मुसलमानों का व्रतों का महीना होता है। दिनभर व्रत रखने के बाद वे इफ्तार करते हैं।
फितर ‘फतर’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है-कुछ घटित या प्रकट होना। फितर एक अन्य शब्द फितरा से लिया गया है, जिसका अर्थ है-जकात अर्थात् दान। ईद के दिन विशिष्ट भोजन और खाने की ज़ायकेदार वस्तुएँ बनाकर पड़ोसियों और मित्रों में बाँटी जाती हैं।
ईद के दिन मुस्लिम भाई नमाज़ पढ़ने ईदगाह जाते हैं। वहाँ पर अपने मित्रों और रिश्तेदारों से गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। सभी अपने संपूर्ण परिवार सहित एकत्रित होते हैं और दावत देते हैं तथा आपस में सभी ईद के महत्त्व की चर्चा करते हैं। साथ ही वे सबकी खुशहाली के लिए अपने अल्लाहताला से दुआ करते हैं। रमज़ान का कोई विशेष दिन नहीं होता। परंतु रमजान मुस्लिम वर्ष का नौवाँ महीना होता है। यह महीना अल्लाह के प्रति भक्ति बढ़ाने वाला और आत्म-शुद्धि करने वाला होता है।
ईद के दिन घरों में सेवईं बनती हैं। इसके अतिरिक्त मिठाइयाँ भी बनती हैं। इसलिए इसे मीठी ईद भी कहा जाता है। ईद का लोग बेसब्री । से इंतज़ार करते हैं। ईद के दिन विशेष चहल-पहल होती है। और ईद के दिन दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद में विशेष नमाज़ होती है। इस दिन जगह-जगह मेले भी लगते हैं। मेलों में सभी लोग, विशेषकर बच्चे, खिलौने और मिठाइयाँ आदि खरीदते हैं तथा झूले यलते हैं। जैसे हिन्दू दीपावली का त्योहार हर्षोल्लास से मनाते हैं, वैसे ही मुसलमान ईद मनाते हैं।
ईद का त्योहार वर्ष में दो बार आता है। एक है-ईद-उल-फितर और दसरा है-ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को मीठी ईद और ईद-उल-जुहा को बकरीद कहते हैं। रमजान का महीना मुबारक महीना कहलाता है। कहते हैं कि इस महीने में खुदा रोजा रखने वाले अपने बंदों की हर मुराद पूरी करता है। इस महीने में मुसलमान मक्का-मदीना भी जाते हैं। जैसे हिन्दू समाज में चार तीर्थों का महत्त्व है, वैसे ही मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना का महत्त्व है। मक्का-मदीना जाने के लिए भारत सरकार आर्थिक सहायता भी देती है। ईद को एकता, प्रेम एवं भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।
निबंध नंबर :- 03
ईद
Eid
मुसलमानों के त्योहारों में ईद का सर्वाधिक महत्त्व है । यह त्योहार परोपकार और सो का संदेश देता है । ईद से पूर्व रमजान का महीना आता है । मुसलमान इस महीने में रखते हैं। वे अपना सारा समय ईश्वर की प्रार्थना में बिताते हैं । इस मास में वे शरीर मन पर परा नियंत्रण रखते हैं। वे बुरे कार्यों के प्रति सतर्क रहते हैं । दिन में खाना-पीना होता है। रोजे खत्म होने के बाद ईद आती है । ईद के दिन से खाना-पीना शुरू हो जाता है। ईद के दिन हर जगह उल्लास रहता है । इस दिन घर में मीठी सेवइयाँ और पकवान बनते हैं । इस दिन मुसलमान सूर्योदय के बाद नमाज़ पढ़ते हैं । वे गरीबों को खूब दान देते हैं। मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ी जाती है । नमाज के बाद मुसलमान भाई क-दसरे से ‘ईद मुबारक’ कहकर गले मिलते हैं। बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। वे ईदगाह के पास लगने वाले मेले में नए कपड़े पहनकर जाते हैं । ईद का दिन सबके लिए प्रसन्नता लेकर आता है।
शब्द–भंडार
सर्वाधिक = सबसे अधिक । नियंत्रण = वश में रखना । वर्जित = मना किया हुआ । सामूहिक = ग्रुप या समूह में होने वाला ।