Hindi Essay on “Diwali – Dipawali”, “दीवाली – दीपावली”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

दीवाली – दीपावली

Diwali – Dipawali

निबंध नंबर : 01

हिन्दुओं के मुख्य त्योहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं। दीपावली का त्योहार प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। वैसे इस त्योहार की धूम-धाम कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों तक रहती है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। दीवाली के पर्व की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्योहार और मनाये जाते हैं। दीपावली का उत्साह एक दिन नहीं, अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है। दीपावली से पहले धन। तेरस का पर्व आता है। सभी हिन्ट इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदते हैं। धन तेरस के बाद छोटी दीपावली; आगे दिन दीपावली, उसके अगले दिन गोवर्द्धन-पूजा तथा इस कड़ी में अंतिम त्योहार भैयादूज का होता है।

प्रत्येक त्योहार किसी-न-किसी महत्त्वपूर्ण घटना से जुड़ा रहता है। दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। इसी दिन विष्णु ने नृसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी। समुद्र-मंथन करने से लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थीं। जैन मत के अनुसार तीर्थकर महावीर का महानिर्वाण इसी दिन हुआ था। रामाश्रयी सम्प्रदाय वालों के अनुसार चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत कर राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन की प्रसन्नता में नगरवासियों ने दीपमालाएँ सजाई थी। इसे प्रत्येक वर्ष इसी उत्सव के रूप में मनाया। जाता है। इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह औरंगजेब की जेल से मुक्त हुए थे। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ न इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इस त्योहार का संबंध अत परिवर्तन से भी हैं। इसी समय शरद कत का आगमन लगभग हो जाता है। इससे लोगों के खान-पान, पहनावे र सान आदि की आदतों में भी परिवर्तन आने लगता है।

नवीन कामनाओं से भरपर वह चोहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता। हैं। कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात बन जाती है। इस त्योहार की प्रतीक्षा बहुत पहले से की जाती है। लोग अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं। व्यापारी तथा दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें सजाते हैं तथा लीपते-पोतते हैं। इसी त्योहार से दुकानदार लोग अपने बही-खाते शरू करते हैं। दीपावली के दिन घरों में दिए दकानों तथा प्रतिष्ठानों पर सजावट तथा रोशनी की जाती है। बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खुव सजी होती हैं। इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयां की खूब विक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार। बम, फुलझड़ियां तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं।

रात्रि के समय लक्ष्मी-गणेश का पूजन होता है। ऐसी किवदन्ती हैं कि दीवाली की रात को लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ मिठाए। का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकामनाएँ लेते-देते हैं।

दीपावली त्योहार का बड़ा महत्व है। इस त्योहार के गौरवशाली अतीत पुनः जाग्रत हो उठता है। पारस्परिक सम्पर्क, सौहार्द तथा हेल-मेल बढ़ाने में यह त्योहार वडा महेन्चपर्ण है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह त्योहार कीटाणुनाशक है। मकान और। दफानों की सफाई करने से तरह-तरह के कीटाणु मर जाते हैं। वातावरण शुद्ध तथा स्वास्थ्यवर्द्धक हो जाता है।

दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं तथा पटाखों में धन की अनावश्यक वरवादी करते हैं। इससे हर वर्ष अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं तथा धन-जन की हानि होती है। इन बुराइयों को रोकने की चेष्टा की जानी चाहिए।

दीपावली प्रकाश का त्योहार है। इस दिन हमें अपने दिलों से भी अन्धविश्वासो तथा संकीर्णताओं के अंधेरे कोर करने का संकल्प लेना चाहिए। हमें दीपक जलाते समय कवि की इन पंक्तियों पर ध्यान देना चाहिए-

जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना,

अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।”

 

निबंध नंबर : 02

दीपावली

Deepawali

“दीपों की अगणित अवली से, अंधकार का नाश हुआ।

बच्चों ने फुलझड़ियाँ छोड़ी, चारों ओर प्रकाश हुआ।।”

भूमिका- भारत देश त्योहारों का देश है। ये त्योहार जीवन और जाति में प्राणों का संचार करते हैं। ये हमारे लिए प्रेरक शक्ति लेकर आते हैं। भारतीय संस्कृति की झलक यहाँ के त्योहारों में दिखाई देती है। हमारे देश में अनेक धर्मों, सम्प्रदायों तथा संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। इसलिए विभिन्न धर्मों से जुड़े अनेक त्योहार यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहार हमारे नीरसजीवन को आनन्द और उमंग से भर देते हैं। दीपावली भारत का एक सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय पर्व है। हिन्दुओं के त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है।

दीपावली का अर्थ- दीपावली का अर्थ है- दीपों की अवली या पाकित। दीवाली का त्योहार कोई एक त्योहार न हो कर कई त्योहारों का समूह है, जो कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। दीपावली से दो दिन पूर्व ‘धनतेरस’ वाले दिन लोग नए बर्तन खरीदते हैं तथा इन्हें खरीदना शुभ मानते हैं। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा होती है या सन्धया के समय दीप जलाकर यमराज की पूजा भी इसी दिन होती है। अगले दिन चतुर्दशी को ‘नरक चौदस’ या छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसी दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था तथा उसके कारागार में बन्दी सौलह हजार कन्याओं का उद्धार किया था।

दीपावली का पर्व- अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मानाया जाता है। रात में घरों में रोशनी की जाती है तथा लक्ष्मी-पूजन होता है। घर-घर में रंग-बिरंगी कन्दीले लगाई जाती हैं तथा बच्चे आतिशवाजी करके आनन्दित होते हैं। व्यापारीगण इस दिन से अपना नया व्यापार शुरू करते हैं। चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसी दिन श्री कृष्ण ने इन्द्र के कोप से ब्रज वासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसी दिन अन्नकूट बी बनाया जाता है। अन्तिम दिन भैया-दूज की पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहिनें भाइयों को टीका लगाकर उनकी दीर्घायु का मंगल कामना करती हैं।

दीपावली से असम्बन्धित कहानियाँ- दीपावली के इस मधुर पर्व के साथ अनेक प्रकार की कहानियाँ जुड़ी हैं। इन कहानिओं में सबसे प्रमुख कहानी भगवान राम भी हैं। इस दिन श्री रामचन्द्र जी अत्याचारी और अनाचारी रावण का वधकरके अयोध्या लौटे थे। उन्होंने श्री राम के लौटने की खुशी में दीप जलाए। कुछ कृष्ण भक्त इस पर्व का सम्बन्ध भगवान कृष्ण से जोड़ते हैं। उनके अनुसार इसी दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके चंगल से 16 हजार रमणियों को मुक्त करवाया था। एक पोराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्र का मथन हआ था। समद्र से लक्ष्मी के प्रकट होने पर भी देवताओं ने उसकी अर्चना की। कुछ भक्तों का कथन है कि धनतेरस के दिन भगवान विष्ण ने नरसिंह के रूप में प्रकट होकर अपने भकत प्रहलाद की रक्षा की थी। सिक्ख धर्म के मानने वाले कहते हैं कि इसी दिन छटे गुरू हरगोबिन्द ने जेल से मुक्ति पाई थी। महर्षि दयानन्द ने भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त किया था। जैनियों के चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी और स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।

दीपावली का महत्त्व- लाभ- दीपावली स्वच्छता का भी प्रतीक है। छोटे-बड़े, धनी-निर्धन सब इस पर्व को पूरे उत्साह से मनाते हैं। इस दिन बालकों का उत्साह अपनी चरम सीमा पर दिखाई देता है। वे पटाखे चलाकर अपनी प्रसन्नता का परिचय देते हैं। मिठाई की दुकानों की सजावट दर्शनीय होती है। दीपावली की रात्रि का दृश्य अनुपम होता है। व्यापारी लोग इस दिन को बड़ा शुभ मानते हैं। वे इस दिन अपनी बहिया बदलते हैं तथा नया व्यापार शुरू करते हैं। दीपावली के अवसर पर जो सफाई की जाती है वह स्वास्थय के लिए भी बड़ी लाभकारी होती है क्योंकि इसके पूर्व वर्षा ऋतु के कारण घरों में दुर्गन्ध भर जाती है। वह दुर्गन्ध इन दिनों सुगन्धि के रूप में बदल जाती दीपावली के प्रति हमारा कर्त्तव्य- लोग मानते हैं कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी नंगे पैर संसार में चक्कर लगाती है तथा उसे जो घर प्रकाशमान मिलता है, वही निवास करने लगतीहै। कुछ लोग इसदिन जुआ खेलकर अपनी किस्मत आजमाते हैं परन्तु इस कुरीति को हटाया जाना चाहिए। पटाखों तथा आतिशबाजी के अधिक प्रयोग से धन की हानि होती है तथा दुर्घटनाएं भी होती हैं, अत: धन की अनावश्य बर्बादी पर अंकुश लगाना चाहिए।

उपसंहार-दीपावली भारत का एक राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पर्व है। इसके महत्त्वको बनाए रखना आवश्यक है। अत: हमे दीपक जलाकर यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि जिस प्रकार दीपक अन्धकार को दूर करते हैं, उसी प्रकार हम भी अंध विश्वासी, घृणा और बुराइयों के अन्धकार को दूर कर दें तथा इस त्योहार की पवित्रता को बनाए रखें।

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