धैर्य का महत्त्व
Dherya Ka Mahatva
जिसके पास धैर्य है, वह जो इच्छा करता है, प्राप्त कर लेता है। प्रकृति हमें धीरज धारण करने की सीख देती है। धैर्य जीवन में लक्ष्य-प्राप्ति का द्वार खोलता है। जो लोग ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ को रट लगाते हैं, वे वास्तव में, ‘अधीर मन, गति कम’ की प्राचीन लोकोक्ति को चरितार्थ करते हैं। सफलता और सम्मान उन्हीं को प्राप्त होता है,जो धैर्यपूर्वक काम में लगे रहते हैं। शांत मन से किसी कार्य को करने में निश्चित रूप से कम समय लगता है। बचपन के बाद जवानी धीरे-धीरे आती है। संसार के सभी कार्य धीरे-धीरे ही संपन्न होते हैं। यदि कोई रोगी डॉक्टर से दवाई लेने के तुरंत पश्चात् पूर्णतया स्वस्थ होने की कामना करता है, तो यह उसकी नितांत मूर्खता है। वृक्ष को कितना भी पानी दो, परंतु फल-प्राप्ति तो समय पर ही होगी। कहा गया हैधीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होता माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होत। जब सब कामों का समय निश्चित है तो अधीर होने की क्या आवश्यकता है?