Hindi Essay on “Cricket ka Ankhon dekha match”, “क्रिकेट का आँखों देखा मैच”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

क्रिकेट का आँखों देखा मैच

Cricket ka Ankhon dekha match

 

2 Hindi Essay on ” Kisi Match ka Ankhon Dekha Varnan”

Nibandh-01

भूमिका- आधुनिक युग में खेलों का विशेष महत्त्व है। खेलों की प्रतियोगिताएं स्कूल, जिला, राज्य, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती हैं। एशियन गेम्स तथा ओलम्पिक गेम्स से सभी परिस्थिचत हैं। पी० टी० ऊषा का नाम तो सभी जानते हैं। ध्यान सिंह के नाम से भी सभी परिचित हैं। खेल जगत में आज क्रिकेट आकर्षण का केन्द्र है। क्रिकेट के अतिरिक्त और भी बहुत खेल हैं जैसे- टेनिस तथा फुटवाल का पाश्चात्य देशों में विशेष आकर्षण है। क्रिकेट चाहे सभी राष्ट्र नहीं खेलते हैं फिर भी लोगों में इसका बड़ा आकर्षण है। क्रिकेट ने तो लोगों को दिवाना ही बना दिया है। आज के युग में प्रायः एक दिवसीय मैच ही खेले जाते हैं। पहले और अभी भी पाँच दिवसीय मैच खेले जाते हैं लेकिन उनमें लोगों की रुचि घटती जा रही है। एक दिवसीय मैच में निर्णय अवश्य निकलता है। पाँच दिवसीय मैच ज्यादातर ड्रा होते हैं। आजकल 50-50 ओवर के मैच विशेष आकर्षण रखते हैं। अब तो 20-20 ओवरों के मैच भी शुरू हो गए हैं। हमारे स्कूल एक दिवसीय मैच डी० ए० वी० स्कूल की टीम से खेला जिसका आँखों देखा वर्णन मैं यहाँ प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।

दोनों टीमों का आगमन- इस मैच का आयोजन हमारे स्कूल के मैदान में किया गया था। हमारे स्कूल की टीम एक अच्छी टीमों में गिनी जाती थी। लेकिन इस वार डी० ए० वी० स्कूल की टीम भी किसी से कम नहीं थी। हमारे स्कूल की टीम का कप्नाम रोशन तथा दूसरी टीम का कप्तान मोहन था। इस मैच को देखने के लिए दूसरे स्कूलों के बच्चे भी आए हुए थे। जिला शिक्षा अधिकारी ने इस खेल का उद्घाटन करना था। दोनों टीमें ठीक समय पर मैदान में आ गई और उनका परिचय शिक्षा अधिकारी से करवाया गया। दोनों अम्पायर जो अपनी वर्दी में थे ने आकर पिच का निरीक्षण किया। दोनों टीमों के कप्तानों को टास के लिए बुलाया गया। हमारे स्कूल के कप्तान ने टास जीत लिया और पहले गेंदवाजी करने का निर्णय किया।

एक रोमांचकारी मैच- हमारे कप्तान रोशन हाथ में चमकती हई गेंद लेकर मैदान में उतरे। उन्होंने पहले आकर फील्डिंग सैट की। तभी डी० ए० वी० स्कूल के सलामी बल्लेवाज बल्ले लहराते हुए मैदान में आए। लोगों ने तालियों से उनका स्वागत किया। हमारे स्कूल की टीम का कप्तान रोशन गेंद फेंकने के लिए तैयार था और दूसरी टीम का सलामी बल्लेवाज गेंद का सामना करने के लिए तैयार था। हमारी टीम के कप्तान रोशन ने पहले ही ओवर की चौथी गेंद पर विकेट हासिल कर ली। विरोधी टीम ने पहले ओवर में कोई भी रन नहीं बना था। अब विरोधी टीम का कप्तान खेलने के लिए आया। उसने तेजी से रन बटोरने शुरू किए। विरोधी टीम ने बाईस ओवरों में 100 रन बना लिए। अब हमारे स्कूल की टीम के दूसरे गेंदवाज ने गेंद फेंकना शुरू किया। अगले ही ओवर में उसने उसे पगबाधा करवा दिया। इस प्रकार उनके दो खिलाड़ी जा चुके थे। उसके बाद तो ऐसा लगा जैसे वे आते गए और चलते गए। चालीस ओवरों के बाद उनके केवल 160 रन ही बने थे और 7 खिलाड़ी आऊट हो चुके थे। अब उनका उपकप्तान मैदान में कदा। उसने अपनी टीम को संकट से निकालने का प्रयत्न किया। लेकिन वह भी सफल न हुआ। 50 ओवरों में उनके केवल 220 रन ही बने थे। हमारी टीम को मैच चीतने के लिए पूरा रनों की जरूरत थी।

अब हमारे बल्लेबाजों की बारी थी। पहले ही ओवर में हमारा स्कोर 8 रन था। दूसरे ओवर में हमारे एक सलामी बल्लोज ने छक्का जड़ दिया। दो ओवरों में बिना किसी नुकसान के हमारी टीम का स्कोर 22 रन था। हमारे स्कोर 50 रन था। बीस ओवरों के बाद हमारी टीम का स्कोर 105 था और छ: खिलाड़ी आऊट हो चुके थे। तब कप्तान ने बखूवी से अपनी टीम को संकट से निकालते हुए धीरे-दीरे रन बटोरते रहे और अन्तिम ओवर 2 गेंद रहते मैच जीत लिया।

पुरस्कार वितरण- हमारी टीम की विजय का स्वगात तालियों से किया गया। शिक्षा अधिकारी ने हमारी टीम के कप्तान तथा छक्का लगाने वाले खिलाड़ी को नकद एक-एक हजार रुपए पुरस्कार में दिया गया। अन्त में जिला शिक्षा अधिकारी ने टीम तथा खिलाड़ियों को धन्यवाद दिया और इस प्रकार यह समारोह सम्पन्न हुआ।

उपसंहार- खेल का उद्देश्य केवल मैच जीवना ही नहीं होना चाहिए। खेलों से अनुशासन की प्रेरणा मिलती है। इस प्रकार के आयोजन से खेलने की भावना को बल मिलता है। खेलों के महत्त्व को समझते हुए वास्तव में खेलों को अनिवार्य विषय बनाना उचित है। यह मैच मेरे देखे हुए मैचों में विशेष स्मरणीय मैच बन गया है।

 

Nibandh-02

किसी मैच का आँखों देखा वर्णन

A Match you have Recently Seen

 

रूपरेखा 

मैच कब, कहाँ और किसके बीच हुआ था?, फुटबॉल मैच का आरंभ, शुरू का खेल, पहले हाफ तक का खेल , दूसरे हाफ का खेल, मैच की समाप्ति , खिलाड़ियों के बीच पुरस्कार का वितरण।

फुटबॉल विश्व का एक लोकप्रिय खेल है । फुटबॉल का खेल देखना मुझे बहुत पसंद है । फुटबॉल के मैच को देखने का रोमांच ही कुछ अलग होता है । पिछले महीने की 20 तारीख को मेरे विद्यालय मॉडर्न पब्लिक स्कूल और संत फ्रांसिस स्कूल के बीच एक रोचक और रोमांचक मैच हुआ । मैं यहाँ उस मैच का वर्णन कर रहा हूँ।

यह मैच शहर के गाँधी मैदान में खेला गया । चार बजे से पहले ही दोनों टीमें अपनी-अपनी वर्दी पहने मैदान में आ पहुँची । ठीक चार बजे निर्णायक (रेफरी) ने सीटी बजाई । दोनों टीमों के कप्तान उनके पास आए । टॉस विपक्षी टीम के कप्तान ने जीता । हमारी टीम ने उत्तरी गोल सँभाला और संत फ्रांसिस स्कूल ने दक्षिणी गोल । निर्णायक ने सीटी बजाकर खेल का आरंभ किया । शुरू के पाँच मिनट तक खेल धीमा रहा । फिर खेल में तेजी आ गई । हमारी टीम के खिलाड़ी अच्छा पास देते हुए आगे बढ़ रहे थे। लेकिन विपक्षी टीम भी मुस्तैद थी । हमारी टीम ने गोल करने के दो अच्छे मौके गँवा दिए।

लगभग पंद्रह मिनट के खेल के बाद विपक्षी टीम ने हमला बोल दिया । वे हमारी टीम को बुरी तरह छकाने लगे। इसी बीच विपक्षी टीम को एक पैनल्टी किक मिल गया । उन्होंने इस अवसर का पूरा लाभ उठाया और हमारे ऊपर एक गोल कर दिया । उनकी खुशी का ठिकाना न रहा । परन्तु उनकी यह खुशी अधिक देर तक नहीं टिक सकी । मध्य-सीमा पर गेंद आते ही हमारे खिलाडियों ने पूरा जोर लगा दिया । हमारे सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी ने बाईं ओर के अग्रिम खिलाड़ी की सहायता से विपक्षी टीम के गोल पर धावा बोल दिया । उनके खिलाड़ी देखते ही रह गए । हमारे खिलाड़ियों ने बड़े ही सुन्दर ढंग से गेंद को गोल में डाल दिया । इसके दो मिनट बाद ही मध्यान्तर की सीटी बज गई । इस समय तक दोनों ही टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं।

मध्यान्तर के बाद मैच पुनः आरम्भ हुआ । संत फ्रांसिस स्कूल के खिलाडी बढत प्राप्त करने की कोशिश में उतावले दिखलाई दिए । हमारे खिलाड़ी भी गोल करने का प्रयत्न कर रहे थे । गेंद मैदान के चारों ओर घूम रही थी । अचानक हमारे लिए एक और अच्छा अवसर आया । हमारे खिलाड़ी सहदेव ने गेंद दाईं ओर से अमरीश को दी । अमरीश ने उसे विमल की ओर उछाल दी । वह उसे लेकर बंदूक की गोली की तेजी से भागा। विपक्षी खिलाड़ियों को चकमा देकर उसने एक गोल कर दिया । हमारी टीम के सभी खिलाड़ी खुशी से उछलने लगे । हमारे स्कूल के छात्रों ने तालियाँ बजाकर खिलाडियों का उत्साह बढाया । हम अब एक गोल से आगे हो गए। विपक्षी टीम के खिलाड़ियों ने बचे हुए पंद्रह मिनटों में गोल उतारने की जी जान से कोशिश की परंतु हमारे सजग पहरेदारों के सामने उनकी एक न चली । समय समाप्ति पर रेफरी ने अंतिम सीटी बजा दी। मैच समाप्त हो गया । हमारी टीम ने मैच 2-1 से जीत लिया।

खेल की समाप्ति पर प्रधानाचार्य ने हमारी टीम को बधाई दी । उन्होंने टीम को ट्राफी प्रदान की । विजयी फुटबॉल टीम के सभी सदस्यों को पुरस्कृत किया गया। खिलाड़ी पुरस्कार और सम्मान पाकर बहुत खुश दिखाई दे रहे थे । दर्शक खेल के रोमांच से सराबोर अपने-अपने निवास-स्थान की ओर चल पड़े । इस रोमांचक मैच की याद मुझे लंबे समय तक रहेगी।

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