चलचित्र
Cinema
आज के युग में चलचित्र बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। विज्ञान की आधुनिक खोजों में चलचित्र यानि ‘सिनेमा’ एक महत्वपूर्ण देन है। चलचित्र का अर्थ होता है ‘चलता-फिरता चित्र’ जैसे कि हम टी.वी. पर विभिन्न नाटक, विभिन्न फिल्में इत्यादि देखते हैं।
इसमें मानव से संबंधित, उसके जीवन से संबंधित कहानियाँ, चित्र, ध्वनि, संवाद इत्यादि पर्दे पर दिखाई देते हैं। इस प्रकार मानव जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन इसके द्वारा किया जाता है।
मानव के अलावा पशु-पक्षी की फिल्में इत्यादि भी इस पर सजीव रूप से दिखाई देती हैं जो बच्चों को बहुत आकर्षित करती हैं। चलचित्र का अविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक एडीसन ने किया था। काफी साल पहले। चलचित्र तथा फिल्में केवल दिखाई देती थी सुनाई नहीं। फिर कुछ वर्षों । बाद तकनीकी अविष्कार किया गया जिसमें वैज्ञानिकों ने चलचित्र को ध्वनि देने का अविष्कार किया और आज इसी की वजह से फिल्में, नाटक, चलचित्र इतने मनोरंजक बन रहे हैं।
चलचित्र मनोरंजन का अच्छा साधन है। इसमें रोचक कहानी, नाटक, गीत, संगीत, हास्य, लड़ाई, प्राकृतिक सौंदर्य इत्यादि का समावेश होता है। कुछ चलचित्र तो हास्य से भरपूर होते हैं। तो कुछ नाटक रहस्यात्मक, जासूसी तथा गंभीर होते हैं जिन्हें मनुष्य बड़ी रोचकता से देखता है। एक थका हुआ मनुष्य विश्राम व मनोरंजन के कुछ पल चाहता है तो चलचित्र से अच्छा साधन और कुछ हो ही नहीं सकता।
चलचित्रों से हमें ज्ञान भी मिलता है तथा यह मानव जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालता है। इनमें सामाजिक जीवन में व्याप्त बुराईयों को भी दिखाया जाता है। इसके साथ ही सुख-दु:ख, ममता, मानव-प्रेम, देशभक्ति इत्यादि भी दिखाया जाता है। चलचित्र से लाभ के साथ हानियाँ भी हैं। क्योंकि चलचित्रों में हिंसा भी दिखाई जाती है। जिससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है। अतः स्वस्थ तथा अच्छे चलचित्रों का निर्माण होना चाहिए।