छुट्टी का दिन
Chutti ke Din
निबंध नंबर :- 01
छुट्टी के दिन की हर किसी को प्रतीक्षा होती है । विशेषकर विद्यार्थियों को तो इस दिन . की प्रतीक्षा बड़ी बेसबरी से होती है। उस दिन न तो जल्दी उठने की चिन्ता होती है; न कॉलेज जाने की। स्कूल में भी छुट्टी की घण्टी बजते ही विद्यार्थी कितनी प्रसन्नता से छुट्टी ओए’ का नारा लगाते हुए कक्षाओं से बाहर आ जाते हैं । प्राध्यापक महोदय के भाषण का आधा वाक्य ही उनके मुँह में रह जाता है और विद्यार्थी कक्षा छोड़ कर बाहर की ओर भाग जाते हैं और जब यह पता चलता है कि आज दिन भर की छुट्टी है तो विद्यार्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता । छुट्टी के दिन का पूरा मज़ा तो लड़के ही उठाते हैं । वे उस दिन खूब जी भर कर खेलते हैं, घूमते हैं । कोई सारा दिन क्रिकेट के मैदान में बिताता है तो कोई पतंग बाजी में सारा दिन बिता देते हैं । सुबह के घर से निकले शाम को ही घर लौटते हैं । कोई कुछ कहे तो उत्तर मिलता है कि आज तो छुट्टी है । परन्तु हम लड़कियों के लिए छुट्टी का दिन घरेलू काम-काज का दिन होता है । हाँ यह जरूर है कि उस दिन पढ़ाई से छुट्टी होती है । छुट्टी के दिन मुझे सुबह सवेरे उठ कर अपनी माता जी के साथ कपड़े धोने में सहायता करनी पड़ती है। मेरी माता जी एक स्कूल में पढ़ाती हैं अतः उनके पास कपड़े धोने के लिए केवल छुट्टी को दिन ही उपयुक्त होता है। कपड़े धोने के बाद मुझे अपने बाल धोने होते हैं बाल धोकर स्नान करके फिर रसोई में माता जी का हाथ बटाना पड़ता है । छुट्टी के दिन ही हमारे घर में विशेष व्यंजन पकते हैं । दूसरे दिनों में तो सुबह सवेरे सब को भागमें भाग लगी होती है । किसी को स्कूल जाना होता है तो किसी को दफ्तर । दोपहर के भोजन के पश्चात् थोड़ा आराम करते हैं । फिर माता जी मुझे लेकर बैठ जाती हैं । कुछ सिलाई, बुनाई या कढ़ाई की शिक्षा देने । उनका मानना है कि लड़कियों को ये सब काम आने चाहिएं । शाम होते ही शाम की चाय का समय हो जाता है । छुट्टी के दिन शाम की चाय में कभी समोसे, कभी पकौड़े बनाये जाते हैं । चाय के बाद फिर रात के खाने की चिन्ता होने लगती है और इस तरह छुट्टी का दिन एक लड़की के लिए छुट्टी का नहीं अधिक काम का दिन होता है । सोचती हूँ काश मैं लड़का होती तो मैं भी छुट्टी के दिन का पूरा आनन्द उठाती ।
निबंध नंबर :- 02
छुट्टी का दिन
Chutti ka Din
छुट्टी के दिन ही हर किसी को प्रतीक्षा होती है। विशेष कर विद्यार्थी तो इस दिन की प्रतीक्षा बड़ी बेसबरी से करते हैं। उन्हें सुबह जल्दी उठने की चिन्ता नहीं होती न स्कूल, कॉलेज जाने की चिन्ता होती है। घर पर भी देर तक सोए रहते हैं। स्कूल, कॉलेज में भी छुट्टी की घण्टी बजते ही विद्यार्थी बड़ी प्रसन्नता प्रकट करते हुए कक्षाओं से बाहर आते हैं। अध्यापक का अध्यापन कार्य चाहे पूर्ण न भी हुआ हो फिर भी छात्र कक्षाओं से बाहर आ जाते हैं। जब उन्हें यह पता चलता है कि अगले दिन छुट्टी है तो विद्यार्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। छुट्टी का पूरा मज़ा लड़के उठाते हैं। वे उस दिन खूब जी भर कर खेलते हैं, घूमते हैं। ज्यादातर बच्चे सुबह से लेकर शाम तक क्रिकेट के मैदान में डटे रहते हैं। दिन ढलने पर घर लौटते हैं। पूछने पर उत्तर मिलता है कि आज तो छुट्टी है। लड़कियों के लिए यह दिन छुटी का नहीं होता, उन्हें तो घर का कामकाज करना होता है। पढ़ाई से उन्हें जरूर छुट्टी होती है। लेकिन माता जी के साथ कपड़े धोने में सहायता करनी पड़ती है। मेरी माता जी बैंक में नौकरी करते हैं और कपड़े धोने के लिए केवल छुट्टी का दिन ही होता है। छटटी के दिन हमारे घर विशेष व्यंजन बनते हैं। दोपहर के भोजन के पश्चात थोड़ा आराम करते हैं। माता जी दोपहर के आराम के बाद मुझे सिलाई, कढ़ाई की शिक्षा देने बैठ जाते हैं। शाम के चाय पीने का समय हो जाता है। शाम को चाय के साथ घर ही समोसे या पकौड़े आदि तैयार किए जाते हैं। चाय पीते-पीते रात के खाने की चिन्ता सताने लगती है। इस प्रकार छुट्टी का दिन लड़कों को लिए खेलने का और लड़कियों के लिए अधिक काम का होता है।