Hindi Essay on “Bus Yatra ka Anubhav”, “बस यात्रा का अनुभव”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बस यात्रा का अनुभव

Bus Yatra ka Anubhav

पंजाब में बस-यात्रा करना कोई आसान काम नहीं है । एक तो पंजाब की बसों के विषय में पहले ही कहावत प्रसिद्ध है कि रोडवेज़ दी लारी न कोई शीशा न कोई बारी सरे 52 सीटों वाली बस में ऊपर-नीचे कोई सौ सवा सौ आदमी सवार होते हैं । ऐसे भवसरों पर कंडक्टर महाशय की तो चाँदी होती है । वे न किसी को टिकट देते हैं और किसी को बाकी पैसे । मुझे भी एक बार ऐसी ही बस यात्रा करने का अनुभव हुआ । में बस अड्डे पर उस समय पहुँचा जब बस चलने वाली ही थी अतः मैं टिकट खिड़की की ओर न जाकर सीधा बस की ओर बढ़ गया । बस ठसा ठस भरी हुई थी । मुझे जाने की जल्दी थी इसलिए मैं भी उस बस में घुस गया । बड़ी मुश्किल से खड़े होने की जगह मिली । मेरे बस में सवार होने के बाद भी बहुत से यात्री बस में चढ़ना चाहते थे। कंडक्टर ने उन्हें बस की छत के ऊपर चढ़ने के लिए कहा । पुरुष यात्री तो सभी छत्त पर चढ़ गये परन्तु स्त्रियाँ और बच्चे न चढ़े। बस चली तो लोगों ने सुख की सांस ली । थोड़ी र में बस कंडक्टर टिकटें काटता हुआ मेरे पास आया । मुझे लगा उसने शराब पी रखी । मुझ से पैसे लेकर उसने बकाया मेरी टिकट के पीछे लिख दिया और आगे बढ़ गया । मैंने अपने पास खड़े एक सज्जन से कंडक्टर के शराब पीने की बात कहीं तो उन्होंने कहा कि शाम के समय ये लोग ऐसे ही चलते हैं। हराम की कमाई है शराब में भी उड़ाएँगे तो और कहाँ उड़ाएँगे । थोड़ी ही देर में एक बूढ़ी स्त्री का उस कंडक्टर से भगड़ा हो गया । कंडक्टर उसे फटे हुए नोट बकाया के रूप में वापस कर रहा था और ढिया उन नोटों को लेने से इन्कार कर रही थी । कंडक्टर कह रहा था ये सरकारी नोट । हमने कोई अपने घर तो बनाये नहीं । इसी बीच उसने उस बुढ़िया को कुछ अपशब्द हे । बुढ़िया ने उठ कर उसको गले से पकड़ लिया । सारे यात्री कण्डक्टर के विरुद्ध हो गये । कंडक्टर बजाए क्षमा माँगने के और भी गर्म हो रहा था । अभी उन में यह झगड़ाल ही रहा था कि मेरे गाँव का स्टाप आ गया । बस रुकी और मैं जल्दी से उतर गया । बस क्षण भर रुकने के बाद आगे बढ़ गयी। मेरी सांस में सांस आई । जैसे मुझे किसी ने शिकंजे में दबा रखा हो। इसी घबराहट में मैं कंडक्टर से अपने बकाया पैसे लेना भी भूल गया।

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  1. Tejas August 9, 2023

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