प्रतिभा पलायन की समस्या
Brain Drain ki Samasya
प्रतिभा हर व्यक्ति में होती है और देश की प्रतिभा उसके व्यक्तियों में छपी होती है। हर देश में व्यक्ति अपनी-अपनी तरह से प्रवीण होते ही हैं। हमारा देश एक समृद्ध देश है, इसमें बहुत सारे प्रतिभावान व्यक्ति हैं। जिनमें चित्रकार, संगीतकार, कलाकार, इंजीनियर और डॉक्टर मौजूद हैं। इसके साथ ही हमारा देश विकासशील देश है, इसमें आज भी बेरोजगारी की समस्या विद्यमान है। इसलिए देश के प्रतिभावान लोग अपने देश को छोड़कर विदेश चले जाते हैं। जहाँ पर उनके काम की उनको सही-सही कीमत मिल जाती है। सही तौर पर हमारे देश के प्रतिभावान व्यक्तियों का देश से बाहर जाना विशेषकर पैसों के लिए ही है। वह अपना पूरा परिवार ही बाहर बसा लेते हैं। इस समस्या को प्रतिभा पलायन की समस्या का नाम दिया गया है।
हमारा देश, जोकि डॉक्टरों और इंजीनियरों की पढ़ाई पर इतना खर्च उठाता है उसे लगभग मुफ्त में ही सारी सामग्री उपलब्ध कराता है। जिससे वे सफल होकर देश के विकास में कार्यरत हों और देश को विकसित देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा करने में सहयोग करें। परन्तु इसके विपरित हमारे देश के सफल डॉक्टर और इंजीनियर अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात अपना देश छोड़कर बाहर चले जाते हैं। क्योंकि हमारे देश में डॉक्टरों और इंजीनियरों जैसे बहुत सारे उच्च शिक्षित वर्ग को पैसे देने के लिए उतना कोष नहीं है, जितना कि विकसित राष्ट्रों जैसे- अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड आदि में है।
उस वक्त हमारे प्रतिभावान शिक्षितों को यह ख्याल नहीं आता कि उनको शिक्षित करने में उनके राष्ट्र की कितनी धनराशी खर्च हुई है। उनको बस अपने स्वार्थ को सिद्ध करने की चेष्टा रहती है।
हमारे देश में प्रतिभा पलायन की समस्या के अन्य कारणों में से एक यह भी है कि हमारे देश में प्रतिभा को उतना सम्मान नहीं दिया जाता, जितना कि दिया जाना चाहिए। एक वैज्ञानिक, चिकित्सक या ज्ञान के किसी अन्य क्षेत्र का विशेषज्ञ वेतन तथा अन्य कठिनाईयों को भी सह सकता है। यदि उसकी योग्यता को अच्छी मान्यता मिले, उसके श्रम का सही मूल्यांकन हो या उसकी विशेषता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान और सुधार के अच्छे अवसर प्रदान किए जाए।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि महत्वाकांक्षी व्यक्ति अधिक धन कमाने के लिए विदेश चला जाता है क्योंकि उसके अपने देश में अवसरों की कमी है। इससे यही बात स्पष्ट होती है कि महत्वाकांक्षा के चलते ही वह ऐसा कदम उठाता है। वह प्रतिभासंपन्न व्यक्ति अपने विकासशील देश को छोड़कर विकसित देशों में चला जाता है और वहाँ पर सुविधाओं के साधनों जैसे की टी.वी., फ्रिज और कार आदि संग्रह कर बहुत हर्ष महसूस करता है। जबकि विकसित देश में ऐसे साधन साधारण नागरिक को भी उपलब्ध हैं। मगर यह असंभव ही है कि कोई विकसित देश का नागरिक विकासशील देश में आए। ऐसा नहीं होता क्योंकि भौतिक साधनों को जुटाने में जो होड़ लगी है उसका कारण यही है कि आज की मानसिकता केवल पैसों की अवधारणा को लेकर बनी हुई है। धनी व्यक्ति अपने आप को जनसाधारण से अलग समझने लगते हैं। धन से ही व्यक्ति अपने आप को सम्मानित समझते हैं। प्रतिभासंपन्न पुरुषों और महिलाओं को ऐसी सभी सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास करने चाहिए। वहाँ इन लोगों को भी सामाजिकता की भावना को स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए और इसका मूल्य भी समझना चाहिए। प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपनी जन्मभूमि से प्यार होना चाहिए व हमेशा विदेश जा कर बसने के लिए लालायित नहीं रहना चाहिए। यहाँ पर अन्याय, पक्षपात, भ्रष्टाचार और असमानता हो सकती है, मगर कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि उन बुराईयों का उन्होंने पूरी तरह से खत्मा कर दिया है। प्रतिभावान व्यक्तियों को यह याद रखना चाहिए कि वे प्रबुद्ध लोग हैं। अपने आप को दबाया हुआ समझने की बजाए और शिकायतें करने की बजाय, उनका यह कर्त्तव्य है कि दूसरों का सहारा बनें, उन्हें मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करें। वे अपनी तुलना उन लोगों से कर सकते हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ाईयाँ लड़ीं। उन्हें भी सामान्य लोगों से अधिक यातनाएँ और अपमान सहने पडें था
प्रतिभा पलायन किसी और देश के लिए न सही, लेकिन हमारे विकासशील देश के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकती है और हो भी रही है।
प्रतिभा पलायन से बचने का एक और तरीका है कि प्रतिभासम्पन्न व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने दिया जाए। उन देशों में जहाँ उनकी प्रतिभा का सम्मान होता है उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति है। जिससे उनको मानसिक शान्ति व बौद्धिक संतुष्टि भी प्राप्त होगी। हम हर तरह से आत्मनिर्भर बने रहना चाहते हैं चाहे वो मानसिक हो या आर्थिक। परन्तु आर्थिक सम्पन्नता तो हम किसी भी देश में धन कमाकर पा सकते है। परन्तु मानसिक संतुष्टि हमको अपने देश में ही रहकर ही प्राप्त हो सकती है। वैसे यदि हम अपने आपको थोड़ा सा आदर्शवादिता से ऊपर ले जाएँ तो हम पाएंगे कि जिस भूमि से हमको यह प्रतिभा प्राप्त हुई, उसी भूमि का सर्वप्रथम अधिकार है कि इसका प्रयोग करें।
प्रतिभा पलायन की समस्या सीधे भ्रष्टाचार की समस्या से भी जाकर मिलती है क्योंकि भ्रष्टाचार के ही चलते हमारे देश का अधिकतर पैसा घोटालों में चला जाता है। जिसके कारण प्रतिभासम्पन्न व्यक्तियों को उनकी प्रतिभा का सही मूल्य नहीं मिल पाता।
इसलिए जरूरी है कि प्रतिभा पलायन की समस्या को गंभीरता से लिया जाए और इसको रोकने के लिए सर्वसम्मति से प्रयास किए जाए।