बिन साहस के फीका जीवन
Bin Sahas ke Phika Jeevan
साहस के अभाव में मनुष्य को किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती। मन की दृढ़ता और शक्ति का नाम ही साहस है। इस गुण के कारण व्यक्ति बिना किसी डर या संकोच के किसी भी कठिन-से-कठिन और जोखिम भरे काम को करनेमें लग जाता है।
जीवन का आनन्द साहस के साथ काम करने में है। जो लोग फूलों की छाँह तले पलकर बड़े हुए हैं तथा जिन्होंने संघर्ष और प्रतिकूल परिस्थितियाँ देखी ही नहीं हैं-वे जीवन के असली आनन्द के बारे में क्या जानें? जीवन में जिन्होंने सदैव जाता है। आराम ही आराम किया है, उनके लिए आराम भी मौत की तरह दुःखदाई हो।
जीवन जीने के दो प्रकार हैं-पहला प्रकार है कायरतापूर्ण जीवन जीने का। इस शैली में इस समाज के लोगों से और परिस्थितियों से प्रतिकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और दुर्बलतापूर्वक परिस्थितियों के गुलाम बन जाते हैं। कोई व्यक्ति बिना बात ही हम पर हँसता है, व्यंग्य करता है-हम कुछ नहीं कहते। मुहल्ले के बच्चे आकर शैतानी करते हैं। वे हमारे घर की चीजें उठा ले जाते हैं, उन्हें तोड़फोड़ डालते हैं फिर भी हम कुछ नहीं कहते। यह कायरता नहीं तो और क्या है? हमारे मन में किसी महान या कठिन कार्य को करने का विचार आता ९ लकिन विचार के अनरूप हम कार्य को अंजाम नहीं दे पाते अथवा कठिन कार्य करने से पहले ही हमारा दिल घबरा जाता है तो इसे हमारी कायरता अथवा बुजदिली ही समझना चाहिए।
जीवन जीने का दूसरा प्रकार है-जीयन की चुनौतियों को स्वीकार करते ना और हिम्मत के साथ अपना पग आगे बढ़ाना। घर-परिवार में आए दिन नई-नई समस्याएँ पैदा होती रहती हैं। साहसी लोग इस प्रकार की छोटी-मोठी समस्याओं से घबराते नहीं है बल्कि साहस के साथ उनका मुकाबला करते हैं। घर में यदि चोर घुस आता है तो साहसी व्यक्ति डरकर नहीं बैठ जाता बलि अपने हाथ-पैरों की शक्ति या किसी हथियार की शक्ति से उसका मुकाबला करता है। बाजार में जब कोई दुष्ट व्यक्ति किसी अबला नारी की इज्जत लूटता है तो साहसी व्यक्ति अपनी जान की परवाह न करते हुए नारी की इज्जत बचाने हेत कूद पड़ता है। साहस का धनी विद्यार्थी कठिन-से-कठिन परीक्षाओं से भी नहीं घबराता। वह अपनी अथक लगन और परिश्रम से पढ़ाई में मेहनत करता है तथा परीक्षाओं में सबसे अच्छे अंक लाकर उत्तीर्ण होता है।
साहस रखने से जीवन की आधी समस्याएँ अपने आप ही हल हो जाती हैं। जो विद्यार्थी अपने परीक्षा-भवन में हिम्मत रखता है उसे भूले बिसरे पाठ भी याद हो आते हैं तथा कठिन-से-कठिन प्रश्नों का उत्तर भी वह अपनी सूझबूझ के आधार पर किसी भी तरह लिख आता है जबकि परीक्षा भवन में कठिन प्रश्नपत्र को देखकर घबराया बैठा होशियार विद्यार्थी भी अपने याद किए पाठों को हड़बड़ाहट में भूल जाता है। यदि उसे पाठ याद रहता है तो भय के कारण उसका सही क्रम भूल जाता है।
साहस के कारण ही नेपोलियन बोनापार्ट विश्व की चुनिन्दा सेनाओं के लिए चुनौती बन गया था। साहस के बलबूते पर कोलम्बस ने नई दुनिया की खोज की। शिवाजी ने हिन्दूधर्म की लाज रखते हुए औरंगजेब की नींद हराम कर दी थी, इसी प्रकार अकबर कभी भी हिम्मतवान महाराणा प्रताप को अपने अधीन नहीं बना सका था।
स्वामी विवेकानन्द संघर्ष और मृत्यु से घबराते नहीं थे। उन्होंने साहस के बलबूते पर हिन्दूधर्म के एकमात्र प्रतिनिधि बनकर शिकागो (अमेरिका) की विश्वधर्म संसद में जोरदार शब्दों में भाषण किया। इसी प्रकार साहसी दयानन्द सरस्वती सच्ची बात कहने से जरा भी नहीं हिचकिचाते थे। उन्होंने गंगा नदी के तट पर पाखण्ड खण्डिनी पताका गाड़ कर सच्चे धर्म का प्रचार किया और सत्य कहने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं की।
महाभारत युद्ध में पाँच पाण्डवों ने अपने साहस और वीरता के बल पर अपने से बीस गुने कौरव यौद्धाओं को परास्त कर दिया था। मनुष्य की प्यास जितनी प्रबल होती है, उसे पानी पीने का उतना ही ज्यादा आनन्द प्राप्त होता है। जो जितना अधिक भूखा होता है, उसे भोजन के स्वाद का उतना ही ज्यादा आनन्द प्राप्त होता है। परिश्रम करके थका हुआ व्यक्ति ही विश्राम के आनन्द का अनुभव कर पाता है। जिसे प्यास ही न लगी हो-उसे पानी पीने में आनन्द न आएगा। जिसे भूख ही न लगी हो–उसे भोजन करने में आनन्द नहीं आएगा। जो थका हुआ ही न होगा, उसे नींद या विश्राम करने से सुख कैसे प्राप्त हो सकता है।
जब मनुष्य किसी कार्य में परिश्रम करता है, साहस करके जीवन के विघ्नों को हटाता है तो उसे सच्ची भूख भी लगती है और प्यास भी तथा वह थकावट का भी अनुभव करता है।
डार्विन के विकासवाद सिद्धान्त के अनुसार जो व्यक्ति जीवन संघर्षों में विजय पाते हैं—वही जीवित रह पाते हैं अथवा अपने अस्तित्व को जीवित रख पाते हैं।
साहसी व्यक्ति का अल्प जीवन भी मूल्यवान होता है जबकि कायर एवं किसी ने कहा हैडरपोक व्यक्ति सौ वर्ष भी जिएँ तो भी उनके जीवन की उतनी कीमत नहीं होती।
“साहसी व्यक्ति तो जीवन में केवल एक बार मरता है।
लेकिन कायर व्यक्ति जीवन में सौ बार मरा करते हैं।”
जिस व्यक्ति के अन्दर साहस है वही अपने जीवन से कुछ उम्मीदें रख सकता है तथा उन उम्मीदों को पूरा करने के लिए हिम्मत के साथ कदम भी उठा सकता है लेकिन जिस आदमी का साहस टूट गया हो–उसको अपना जीवन भी बोझ लगने लगता है।
कायर लोग मौत से बुरी तरह घबराते हैं इसलिए मौत भी उनको डराती-डराती आती है जबकि हिम्मतवान लोग सदैव मौत का स्वागत करने के लिए तैयार रहते हैं इसलिए मौत भी उनके पास डरती डरती आती है।
स्वामी विवेकानन्द मृत्यु का स्वागत करते हुए कहते हैं–
यदि सच्चाई के संघर्ष में मृत्यु भी आ जाए तो आने दो। हम चौपड़ का पासा फेंकने के लिए कृत संकल्प हैं। यही समग्रधर्म है।”
अशफाकउल्ला खाँ के शब्दों में–
“बुजदिलों को ही सदा मौत से डरते देखा है।
गोया कि सौ बार उन्हें रोज मरते देखा है।”