Hindi Essay on “Bhrun Hatya”, “भ्रूण हत्या”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भ्रूण हत्या

Bhrun Hatya 

भ्रूण हत्या क्या है ? यह एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो भारत जैसे विकासशील देश पर कलंक है। वह भारत जहाँ पर स्त्री को दैवी कहा गया है। हिन्दी के प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद ने नारी के पक्ष में बड़ी सुन्दर पंक्तियां लिखी हैं। नारी तम केवल श्रद्धा हो। आम लोगों की यहराय है कि मनुष्य अपनी माँ का कर्ज नहीं चुका सकता। यहीं पर छोटी-छोटी कंजकों के पैर धोकर उन्हें पूजा जाता है। वहीं गर्भ में कन्या होने के कारण उसे मार दिया जाता भाभण हत्या इसी का नाम है। यह एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो काफी पिछले समय से चली आ रही है। मध्यकाल में जब कबीलों के अन्दर किसी कन्या का जन्म होता तो उसे जहरीली वस्तु खिलाकर मार दिया जाता था। उस समय लोग फिर भी भगवान् से डरते थे और लड़की को मारने से संकोच करते थे।

आज विज्ञान का युग है। मशीनी युग है। अल्टरा साऊंड जैसी मशीनें गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है लड़की बता देती है। विज्ञान ने दावा किया है कि 2 महीने के गर्भ का दिल नहीं होता उसमें धड़कन नहीं होती। इसी पर विश्वास कर के आज के सभ्य लोग पाप कर डालते हैं। उनको कानून का कोई डर नहीं है। इस कुरीति के फैलने की जिम्मेदारी हमारे सामाजिक ढांचे पर है। यहाँ पुरुष को ही महत्ता दी जाती है। आमदन के साधनों पर पुरुषका ही अधिकार है। स्त्री की दशा दयनीय है। वह अब भी नरकीय जीवन बिता रही है। जब कभी भी किसी औरत, बच्ची या विवाहिता की बात की जाए तो सारा दोष औरत का ही गिना जाता है। अगर शारीरिक या सामाजिक तौर पर स्त्री पर कष्ट आता है तो भोगना तो स्त्री को पड़ता है आदमी बेकसूर गिना जाता है।

भ्रूण हत्या का दूसरा बड़ा कारण दहेज समस्या है। लड़की को जन्म लेते ही माँ-बाप उसे बोझ समझते हैं। लड़की का विवाह एक समस्या है। समाज के कुछ लालची लोग दहेज की मांग करते हैं। मांग पूरी न होने पर लडकियों को कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। सास, ससुर, ननद, देवर, पति के ताने सुनने पड़ते हैं। तलाकशुदा लड़की का जीवन तो और भी नरक बन जाता है। इन सब तथ्यों को जानते हुए वे भ्रूण हत्या का सहारा लेते हैं। कुछ लोग लड़के को पाने के लिए भ्रूण हत्या करते हैं। इस अशुभ कार्य में डाक्टर लोग खूब पैसा कमाते हैं।

अगर सरकार और समाज सेवी संस्थाएं इस ओर ध्यान न देती तो परिणाम बड़े भयंकर निकलते। अब भी पंजाब और हरियाणा में 1000 पुरुषों के पीछे 805 और 820 स्त्रियां हैं। पुरुषों और स्त्रियों की संख्या बराबर होनी चाहिए। सरकार में रहते हुए बीबी हरसिमरण कौर बादल ने ठण्डी छाँव का नारा दिया है और उसने भ्रूण हत्या को रोकने का बीड़ा उठाया है। वे इस कार्य में काफी हद तक सफल भी रही हैं। जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहाँ देवता भी निवास नहीं करते।

सन् 1994 में भ्रूण हत्या एक्ट को सख्ती से लागू किया गया। जो भी डाक्टर या माता-पिता इस कानून उल्लंघन करे उन्हें सजा दी जाए। सरकार अपने संचार साधनों द्वारा लोगों को जागरूक करे। समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की जिम्मेदारी है कि वे अपनी लेखनी द्वारा भ्रूण हत्या के विरुद्ध आवाज उठाए। लोगों को चाहिए कि वे पुराने रीतिरिवाजों को त्याग कर लड़के और लड़की को समान समझे। जितनी खशी लड़के के जन्म पर मनाई जाती है वैसी हा खुशी लड़की के जन्म पर भी मनाई जाए। संक्षेप में हम इतना ही कह सकते हैं कि हमें लड़के और लड़की के भदभावको भुलाना चाहिए। आजकल तो लडकियाँ लडकों से हर क्षेत्र में आगे निकल गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो लड़कियों ने लड़कों को मात दे दी है।

Leave a Reply