भारतीय किसान
Bharatiya Kisan
Top 3 Hindi Essay on ” Bharatiya Kisan”
निबंध नंबर :- 01
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किसान का जीवन • किसान की दशा • अवस्था सुधार के प्रयत्न • प्रयत्नों में ईमानदारी
भारत गाँवों का देश है। यहाँ लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। हमारे अति प्राचीन ग्रंथ वेदों में यत्र-तत्र कृषि का वर्णन किया गया है। अन्नोत्पादन करके लोगों का पोषण करने के रूप में यदि दृष्टिपात किया जाए तो भारतीय कृषक ईश्वर से कम नहीं है परंतु दूसरी तरफ उसकी दयनीय स्थिति का अवलोकन करके हर सहृदय की आत्मा काँप उठती है। कपड़ों के नाम पर शरीर पर केवल फटी लंगोटी एवं फटे-पुराने वस्त्र, भोजन के स्थान पर रूखी-सूखी रोटी एवं घर के स्थान पर वही सदियों पुरानी टूटी-फूटी झोंपड़ी जो हर ऋतु में उसके लिए असुविधाजनक है। इस पर भी । वह अथक परिश्रम में रत रहकर तथा खून-पसीना एक करके कभी भी अपने कर्तव्य से मुँह नहीं मोड़ता है तथा शीत, । धूप एवं वर्षा आदि सभी कुछ सहन करता हुआ निरंतर कार्य में संलग्न रहता है।
भारतीय किसान की अवस्था अत्यंत ही दयनीय है। कठिन परिश्रम करने के उपरांत भी उसे भरपेट भोजन और शरीर की रक्षा के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं मिल पाते । वह बराबर कर्जदार बना रहता है। भारतीय किसान के बारे में यह प्रसिद्ध है कि वह कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में ही संपूर्ण जीवन व्यतीत करता है और कर्ज में ही मर जाता है।
अहा! ग्राम्य जीवन भी क्या है ।
क्यों न इसे सबका जी चाहे।।
थोड़े में निर्वाह यहाँ है।
ऐसी सुविधा और कहाँ है।।
भारतीय किसान के सम्मुख कई समस्याएँ खड़ी रहती हैं जिनमें पानी की समस्या बड़ी भयंकर है। साधारणतया किसानों को जलवृष्टि पर ही निर्भर रहना पड़ता है जिसके अभाव में सारी फसल नष्ट हो जाती है। जिस वर्ष वर्षा ठीक समय पर नहीं होती, किसानों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। नहरें अपर्याप्त हैं।
कभी-कभी ये नहरें धोखा दे जाती हैं। सिंचाई के लिए अधिक से अधिक नहरों की आवश्यकता है। आजकल सरकार किसानों की पानी की इस समस्या को सुलझाने का भरसक प्रयत्न कर रही है।
सरकार की योजनाओं को सफल बनाने के लिए कृषि और कृषक दोनों की अवस्थाओं में सुधार करना परमावश्यक है। किसान को खेती के नवीनतम साधनों की जानकारी देनी चाहिए। नव वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करके भारतीय किसान अधिक अन्न उपजाने में समर्थ होगा। सरकार भारतीय किसान की दशा को सुधारने का भरसक प्रयत्न कर रही है। किसान अपने खाली समय में अनेक कार्य, जैसे-टोकरी बुनना, रस्सी बनाना आदि भली प्रकार कर सकते हैं जिससे उनकी आर्थिक अवस्था में पर्याप्त सुधार हो सकता है। देश का भला किसानों के भले में ही निहित है।
निबंध नंबर:- 02
भारतीय किसान
Bhartiya Kisan
भगवान् विष्णु यदि सृष्टि के पालक हैं तो मानव समाज का पालन किसान का धर्म है। किसान कर्म योगी की भान्ति मिट्टी से सोना उत्पन्न करता है तथा रूखा-सूखा खाकर सन्तुष्ट रहता है। दूसरों का पेट भररकर हीवह अपनी साधना में लीन रहता है। दुख उसके जीवन का साथी है, तपस्याउसके जीवन का उद्देश्य है। परोपकार उसके जीवन का लक्ष्य है तथा परिश्रम उसके जीवन का अंग है। वह अपनी दरिद्रता में ही प्रसन्न है तथा वह अपनी झोंपड़ी में रहकर ही आनंदित है, वह कड़कती धूप में, तुर-तुर करने वाली सर्दी में, मूस्लाधार वर्षा में अपने खेतों में काम करता है। जब सब लोग अपने-अपने घरों में सो रहे होते हैं तो किसान हल और बैल लेकर खेत में काम कर रहा होता है। लोग परिवार के साथ घरों में आनन्द लोते हैं तो किसान खेत संसार के लिए अन्न उगा रहा होता है। वह सुबह सबसे पहले उठता है और सन्धया को घर आता है। किसान अपना सारा जीवन निर्धनता में ही बिताता है। वह साहस की मूर्ति है। त्याग और सन्तोष उसके गुण हैं। भारतीय किसान सच्चे अर्थों में भगवान् का प्रतिनिधि है। उसके द्वारा मैदा किए अन्न से सेठ-साहूकार अपने खजाने भरते हैं लेकिन वह मेहनत करता ही रह जाता है। लोभ,लालच, विईमानी, छलकपट और आलस्य उससे कोसों दूर रहता है। इतना कुछ करने के बाद भी किसान ऋणी ही रहता है। आजकल नए-नए बीजों और औजारों के आविष्कार से किसान की दशा में सुधार हो रहा है। आजकल का किसान अपने खेतों में सोना उगा रहा है।
निबंध नंबर:- 03
भारतीय किसान
The Indian Farmer
भारतीय किसानों की दशा बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती । हमारे बहुत से किसान आज भी गरीब हैं । उनके पास खेती करने के लिए अपनी जमीन नहीं है । वे दूसरे की जमीन पर खेती करते हैं । कुछ किसानों के पास एक एकड़ से भी कम भूमि है । उन्हें फसल उपजाने के लिए कठिन श्रम करना पड़ता है। भारतीय किसान प्रातः काल उठकर अपने मवेशियों को भोजन देता है। फिर वह हल और बैल लेकर खेतों की ओर चल पड़ता है। वह बुरे मौसम में भी अपने खेतों में काम करता रहता है । उसे सर्दी-गर्मी की परवाह नहीं होती। खेत जोतने, बीज बोने, फसल काटने और फसल तैयार करने का काम पूरे वर्ष चलता रहता है । किसानों के लिए कोई भी दिन छुट्टी का दिन नहीं होता । जब भी खेत पुकारते हैं उसे जाना पड़ता है । उसे बाढ़ और सूखे जैसी स्थितियों का लगातार सामना करता पड़ता है । ऋण लेकर खेती करना किसानों की मजबूरी बन जाती है । भारतीय किसानों का सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय होता है।
शब्द–भंडार
भूमि = जमीन, परवाह = चिन्ता, फिक्र, मवेशियों =जानवरों, संघर्षमय = कठिनाइयों से भरा