Hindi Essay on “Bharat Mein Media Ka Vikas”, “भारत में मीडिया का विकास” Complete Paragraph, Speech for Students.

भारत में मीडिया का विकास

Bharat Mein Media Ka Vikas

1990 के बाद टी.वी के निजी चैनलों के कार्यक्रमों ने दूरदर्शन के एकरसता और उबाऊपन को चैलेंज करते हुए दर्शकों के बीच अपनी पैठ बनानी शरू की। ये चैनल दर्शकों की रुचि और मिजाज के हिसाब से कार्यक्रम पेश करने लगे तो दर्शकों ने इनको सराहा। विश्लेषण के स्तर पर इन निजी संस्थानों के चैनलों का विरोध इस आधार पर शुरू हुआ कि ये चैनल टी.वी को एक मनोरंजन उद्योग की शक्ल में बदलने की कोशिश में लगे हैं। ये चैनल समाज को उपभोक्ता समाज में बदलने की फिराक में हैं। मनोरंजन पैदा करने की गरज से सूचना देने खेतीबाडी के लिए टिप्स बताने और रामायण और महाभारत दिखाकर भक्ति में शक्ति बताने वाले माध्यम के भीतर जैसे ही पोस्ट मैरिटल रिलेशनशिप, वस्तु आधारित मनोरंजन और ज्यादा से ज्यादा विज्ञापनों के बीच कार्यक्रमों को दिखाना शुरू किया तब मीडिया विश्लषकों का रहा-सहा भरोसा भी टूट गया और इन चैनलों को लेकर पहले से बनी उनकी राय और भी मजबूत हुई। यह अलग बात है कि इन सबके बावजूद टी.वी. की लोकप्रियता और पहुंच पहले से कई गुना बढ़ती चली गयी।

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