Hindi Essay on “Bharat me Nashabandi”, “भारत में नशाबन्दी”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भारत में नशाबन्दी

Bharat me Nashabandi

निबंध नंबर :- 01

मादक पदार्थ जीते जागते विष हैं। एक बार जो व्यक्ति इन नशीले पदार्थों का आदि हो जाता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। यों तो संसार का हर प्राणी ही एक दिन मृत्यु को प्राप्त होता है लेकिन नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति अपनी प्राकृतिक मृत्यु से पहले ही मर जाते हैं अर्थात् अकाल (असमय) मृत्य के ग्रास बन जाते हैं।

जिन पदार्थों के सेवन से मनुष्य का शरीर दुर्बल पड़ जाता है तथा उनके अन्दर मानसिक विकृति पैदा हो जाती है-उनको नशीले पदार्थ या मादक द्रव्य कहा जाता है। जनता के बीच नशीले पदार्थों की बिक्री व इनके सेवन पर सरकारी पाबन्दी लगाना ही मद्य-निषेध अथवा ‘नशाबन्दी’ कहलाता है।

मादक पदार्थों या नशीले द्रव्यों में प्रमुख हैं-शराब, अफीम, गाँजा, भाँग, चरस, ताड़ी, कोकीन, हेरोइन, स्मैक, तम्बाकू, चाय, बीड़ी तथा सिगरेट आदि। यद्यपि चाय में भी एक नशीला पदार्थ होता है और यह शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है लेकिन भारत में अमीर, गरीब परिवारों में चाय का सेवन करना एक आम बात हो गई है।

भारत में नशाबन्दी का तात्पर्य शराब के प्रतिबन्ध से है। शराब मनुष्य को बहुत ज्यादा नशा देने वाली तथा मानव का विवेक खो देने वाली है। जब व्यक्ति शराब पीता है तो वह बहक जाता है। अधिक मात्रा में शराब पी लेने पर उसे अपनी सुधबुध नहीं रहती। वह गाली-गलौज करने लगता है तथा शरीर के अन्दर शक्ति न होते हुए भी मारपीट करने पर उतर आता है। फलस्वरूप उसे अपमान और तिरस्कार का मुंह देखना पड़ता है। शराबी के कुकृत्य पर अथवा उसके कुवचन सुनकर उसकी जमकर पिटाई की जाती है।

लेकिन शराब आदमी को इतना बेशर्म बना देती है कि वह अपना अपमान आदि सब भूलकर फिर उसी काम को करने लगता है जिस काम को करने लिए समाज ने उसे मना किया था।

महर्षि वाल्मीकिजी ने मद्यपान की बुराई करते हुए कहा है

 

पानादर्थश्च धर्मश्च कामश्च परिहीयते ।

अर्थात् मद्य पीने से धर्म, अर्थ और काम-ये तीनों नष्ट हो जाते हैं। बौद्धों के धर्मग्रन्थ में कहा गया है-

मदिरा तत्काल धन की हानि करती है,

कलह को बढ़ाती है, रोगों को पैदा करती है,

यह मनुष्य को अपयश दिलाती है,

उसकी लज्जा का नाश करती है तथा

इन्सान की बुद्धि को दुर्बल बनाती है।

उपन्यास सम्राटू मुंशी प्रेमचन्द शराब पीने को बहुत बड़ा दुर्गुण मानते थे।

वे कहा करते थे-

जिस देश में सौ में से 80 आदमी भूखे मरते हों वहाँ दारू पीना गरीबों के खून पीने के बराबर है।

शराब को दुर्गुण और अभिशाप मानते हुए सन् 1993 में गाँधीजी ने नशाबन्दी का देशव्यापी आन्दोलन चलाया। इस आन्दोलन में शराब न पीने वाले लोगों ने शराब की दुकानों की पिकेटिंग की, शराब के विरोध में धरने दिए तथा जेलों को भरा।

जब भारत देश आजाद हो गया तो सांसदों ने मिलकर द्वितीय पंचवर्षीय योजना में मद्यनिषेध की शिफारिश की। सन् 1964 में न्यायमूर्ति टेकचन्द आयोग ने सन् 1975 तक भारत में पूर्ण नशाबन्दी की सिफारिश की।

आपातकाल के समय सरकार ने नशाबन्दी के क्षेत्र में 12 सूत्री कार्यक्रम चलाया जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की मनाही की गई, शराब के विज्ञापन को अमान्य ठहराया गया, वेतन प्राप्ति के दिन शराबखाने बन्द रखने की आज्ञा दी तथा धार्मिक स्थान एवं शिक्षण संस्थानों के पास शराबखाने न खोलने की चेतावनी दी गई।

सन् 1977 में जनता सरकार ने सन् 1982 तक सारे राष्ट्र में मद्यनिषेध लागू करवा दिया तथा प्रतिदिन शराब की बिक्री एवं प्रयोग पर पाबन्दी लगाई जाने लगा।

शराब को आज भी हमारे देश में बुरे नशे का व्यसन माना जाता है। बड़े-बड़े नेता और अफसर लोग कार्यक्रम समारोहों में शराब पीते देखे गए हैं। बड़े-बड़े शहरों के धनवान और प्रतिष्ठित लोग जहाँ अंग्रेजी शराब पीते हैं-वहीं गाँवों में देशी और ठर्रा पीकर नशे की प्यास बुझाई जाती है।

शराब का एल्कॉहले पदार्थ एक तीव्र विष है। यह मनुष्य के स्नायुमण्डल को दुर्बल करके मानव के तन्त्रिका तन्त्र को नष्ट कर डालता है। शराब व्यक्ति को अन्दर से खोखला बना देती है। इसके कारण आदमी क्रोधी प्रकृति का तथा चिड़चिड़े दिमाग का हो जाता है। शराब से आदमी का लिवर खराब हो जाता है, उसे पेट के अनेक रोग हो जाते हैं जिनमें भूख का न लगना, कब्ज, पेट दर्द आदि की शिकायतें होने लगती हैं। शराब शरीर का रक्तचाप बढ़ाती है तथा मनुष्य को समय से पहले ही बूढ़ा बना देती है। इसके कारण मानव अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाता। चूंकि शराब से धन, मन, तन, मस्तिष्क, बुद्धि और आत्मा आदि सबका नाश होता है इसलिए इसे त्याग देना ही उचित है।

निबंध नंबर :- 02

नशाबन्दी

Nashabandi

 

भारत में नशे की आदत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। नशे की आदत ने युवा पीढ़ी को तो जकड़ लिया है। यह बड़ा खेद का विषय है कि भारत वर्ष में करोड़ों लोग भूख से मरते हैं और वहाँ शराब पीना या अन्य नशे करना तो गरीबों के खून को पीने के बराबर है। किन्तु शराब ही नहीं कई प्रकार के अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बढ़ता जा रहा है। समाचार पत्रों में नित्य-प्रतिदिन समाचार मिलते हैं कि आज 4 करोड़ की हेरोइन पकड़ी गई या फिर 10 पेटी अवैध शराब पकड़ी गई। इनका सेवन कर लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। कोई भी खुशी का अवसर होचाहे घर हो या फिर होटलों में शराब पानी की तरह पिलाई जाती है। अगर गमी का मौका हो तो उसे भुलाने के लिए शराब का सेवन किया जाता है। नकली शराब का धन्धा भी आजकल जोरों पर है। कई राज्यों ने सम्पूर्ण नशाबन्दी लागू करने का प्रयास किया किन्तु वे सफल नहीं हो पाए। उल्टा नकली शराब बेचने वालों की चांदी हो गई। पंजाब सरकार ने भी 1964 में नशाबन्दी लागू की थी। किन्तु करोड़ों रुपयों की आमदन का घाटा कैसे सहन हो सकता है ? शराब की खपत पंजाब में सबसे अधिक है। सरकार का आमदन का यह मुख्य स्रोत है। अगर सरकार चाहे तो नशाबन्दी दूर की जा सकती है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी जागरूक होना होगा। नशा ही सब झगड़ों की जड़ है। नशे से स्वास्थ्य भी खराब होता है। देश की प्रगति में नशाबन्दी एक बड़ी रुकावट है। नशे की लत से कई धनाढ्य घरों को सड़कों पर रुलते देखा है। सरकार को नशेबन्दी के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।

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