भारत में ग्रामीण विकास
Bharat me Gramin Vikas
अधिकांश भारत गाँवों में बसता है। देश की कुल आबादी का लगभग 70 प्रतिशत भाग दूर तक फैले गाँवों में रहता है। उसके साथ ही यह भी सत्य है कि देश कृषि प्रधान देश है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। अत: कृषि कार्य में अधिक लागत व कम आय के कारण गाँवों का विकास अधिक नहीं हो पाया है।
समूचे भारत की आर्थिक व सामाजिक प्रगति के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी को नियंत्रित कर समाप्त करना अनिवार्य है। गरीबी उन्मूलन के अनेक प्रयास किये जाने के बाद भी अधिकांश लोग गरीबी में जन्म लेते और दम तोड़ देते हैं। कहा भी जाता है कि गरीबी से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है। अब तक गरीबी मिटाने के नाम पर जो भी कार्य किए गये हैं उनका लाभ, गाँवों को अपने जीवन-स्तर सुधारने, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने तथा अपनी क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने का अवसर नहीं मिल सका।
भारत की जनसंख्या में हुई वृद्धि के साथ-साथ गरीबों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। 1973-74 में 55 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे थी, लेकिन 1993-94 से 1996-97 के दौरान यह जनसंख्या घट कर 29.18 रह गयी। लेकिन जनसंख्या का लगभग 26 फीसदी भाग ऐसा भी है जो स्वयं को गरीब मानता है और चाहता है कि उसे भी वे सभी सुविधाएँ प्राप्त हों जो गरीबी की रेखा के नीचे वाले वर्ग को प्राप्त होती है। यह तथ्य 10वीं योजना के दृष्टिकोण पत्र में भी स्वीकार किया गया है।
आँकड़ों से यह तो स्पष्ट है कि अब तक ग्रामीण विकास के लिए किए गये कार्यों से सकारात्मक परिणाम तो अवश्य मिले हैं। लेकिन माँग इतनी – अधिक है कि पिछले वर्षों में ग्रामीण विकास की दिशा में अनेक कार्यक्रमों को लागू किया गया और उनमें व्यय होने वाली राशि में प्रति वर्ष वृद्धि की गयी।
आठवीं पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण विकास के लिए 30,000 करोड़ की राशि निर्धारित की गयी थी। जिसे नौवीं पंचवर्षीय योजना में बढ़ाकर 43. 874 करोड़ कर दिया गया।
ग्रामीण जीवन के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सिंचाई व्यवस्था, आवास तथा सड़कें बुनियादी आवश्यकताएँ हैं। ग्रामीण विकास में सड़कें अति आवश्यक है। केवल 60 प्रतिशत गाँवों में सड़क-निर्माण का कार्य हो पाया है। लगभग 40 प्रतिशत गाँव अभी इससे अछूते हैं। इस दिशा में एक हजार तक की आबादी वाले गाँवों को मुख्य सड़कों से जोड़ने के उद्देश्य से ’25 दिसम्बर, 2000′ को ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ शुरू की गयी थी। जिसका उद्देश्य 2003 तकें, सभी एक हजार की आबादी वाले गाँवों को मुख्य सड़कों से जोड़ना था और 2004 तक 500 की आबादी वाले गाँवों को जोडना है। इस संबंध में संबंधित राज्यों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी परियोजनाएँ शीघ्र भेजें, जिससे निर्माण कार्य की पूर्ण जानकारी सरकार को समय से मिल सके।
इसके अलावा ग्रामीण जनसंख्या का एक बड़ा भाग ऐसा भी है जिसके पास रहने के लिए सिर पर छत तक नहीं है। इस आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से ‘इंदिरा आवास योजना’ चलायी जा रही है। इसके अन्तर्गत अब तक 76 लाख आवासों का निर्माण पूरा किया जा चुका है। आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना’ के अंतर्गत 2000-01 में आवास निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 25 लाख आवास बनाने का लक्ष्य है। इस योजना का उद्देश्य 10वीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति तक देश भर में सभी आवासहीनों को आवास उपलब्ध करने का उद्देश्य है।
1999 को ‘केन्द्रीय सफाई कार्यक्रम’ का गठन किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण स्कूलों को विशेष रूप से शामिल किया गया। अन्य लोगों को भी सफाई के बारे में जागरूक बनाना और स्थानीय समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। यह अभियान 200 जिलों में चल रहा है।
अनेक गाँवों में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण पानी जनित रोगों की अधिकता पायी जाती है। लोगों का स्वास्थ्य खराब रहता है। देश के केवल 80 प्रतिशत गाँवों में अच्छे पेयजल की व्यवस्थ है। शेष गाँवों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। जिसमें 62 जिलों में 1800 करोड़ रुपये की लागत की योजनाएँ कार्यरत है। उसके अलावा ‘प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना’ के अंतर्गत 2004 तक सभी गाँवों में पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
15 अगस्त, 1995 से ‘राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम’ शुरू किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य बेसहारा जरूरतमंद वृद्धों की देखभाल करना तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है। देश भर में ऐसे अनेक वृद्ध हैं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इस कार्यक्रम को तीन भागों में रखा गया है- 1. राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना 2. राष्ट्रीय परिवार न्यास योजना और 3. राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना। इस योजना के अंतर्गत उन सभी वृद्धों को, जिन्हें सहारे की आवश्यकता है, जिनकी कोई जीविका का आधार नहीं है, उन 65 वर्ष से अधिक व्यक्तियों को सहायता देना इस है।
1 अप्रैल, 2000 से अन्नपूर्णा योजना’ भी प्रारम्भ की गयी है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति को प्रति माह दस किलोग्राम अनाज निःशुल्क दिया जाएगा।
संविधान में 73वां संशोधन अधिनियम 1992 पारित किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य सत्ता का विकेन्द्रीकरण कर पंचायती राज व्यवस्था को ‘मजबूत करना था। जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण विकास कार्य और प्रशासन व्यवस्था को सुचारू बनाया गया।
अतः देश का वास्तविक विकास तभी होगा जब ग्रामाण क्षत्र और शहरी क्षेत्र के बीच की आर्थिक असमानता में व्यापक कमी होगी। वैसे भी ग्रामीण विकास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 75 प्रतिशत देश की जनसंख्या गाँवों में ही बसती हैं।