बेकारी की समस्या
Bekari ki Samasya
भूमिका- जीवन में संघर्ष का लक्ष्य सुख प्राप्त करना है। जब जीवन में किसी प्रकार का आर्कषण नहीं रहता है जब जीवन भार रूप होता है। लक्ष्य प्राप्ति होने पर जीवन मुस्कराता है। वर्तमान युग में संघर्ष बढ़े हैं और सुःख साधन होने पर भी लक्ष्य की प्राप्ति असंभव सी हो गई है। इसके मूल में अनेक कदम व्याप्त हैं। जीवन में भोजन, आवास तथा वस्त्र प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। इनकी पूर्ति होने पर ही जीवन सहज होता है तथा प्रगति की और बढ़ते
बेकारी के रूप- जब काम करने वालों की संख्या बढ़ जाती है और काम मिलता नहीं तो बेकारी बढ़ती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसकी अधिकांश जनसंख्या गाँव में रहती है। किसान खेतों में वर्ष भर फसल पैदा नहीं करते। वे कुछ महीने खेतों में काम करते हैं और बाद में बेकार हो जाते हैं। दूसरा बेकारी का रूप पढ़े-लिखे नौजवानों का है। आज हमारे देश में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की समस्या भयानक रूप धारण कर चुकी है। बेकारों की संख्या प्रति वर्ष लाखों में बढ़ती है। इनके अतिरिक्त समाज में ऐसे भी लोग हैं जो श्रम और मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। इस प्रकार का श्रमिक वर्ग भी आज बेकार है।
जनसंख्या में वृद्धि- हमारे देश की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति नौकरी चाहता है। शिक्षित व्यक्ति चाहे किसान का बेटा हो, या एक बड़े व्यापारी का शिक्षा के बाद उसका लक्ष्य नौकरी ही है। हमारी सरकार पिछले कई वर्षों से इस समस्या का समाधान ढूंढ रही है लेकिन जनसंख्या में वृद्धि इस समस्या का हल नहीं होने देती।
बेकारी के कारण- भारत में बेकारी का पहला कारण है साधनों की कमी जहां दूसरे देशों में बेकारों को काम में लगाने के लिए पर्याप्त साधन मिल जाते हैं। भारत में साधनों की कमी है। दूसरा कारण भारत में कुटीर उद्योग की बहुत कमी है। जापान कुटीर उद्योगों में सबसे उन्नत देश है और भारत सबसे पिछड़ा हुआ। भारत एक कृषिप्रधान देश है। किसान छ: महीने काम करता है और छ: महीने बेकार रहता है। कृषि योग्य भूमि की भी दिन प्रतिदिन कमी होती जा रही है। किसान गाँवों को छोड़ कर शहरों की ओर भाग रहे हैं। नौकरी की तलाश करते हैं लेकिन नौकरी मिलती नहीं। आज के युग में शिक्षित व्यक्ति भी बेकार है। उनका बेकार रहने का कारण शिक्षा प्रणाली का ठीक न होना है। आदमी नौकरी चाहता है। हर शिक्षित को नौकरी नहीं मिल सकती है। नौकरी न मिलने पर वह बेकारी महसूस करता है।
बेकारी की समस्या के समाधान के उपाय- बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सर्वप्रथम उपाय यह हो सकता है कि युवकों को ऐसी शिक्षा दी जाए जो उन्हें काम-धन्धा दिलाने में सहायक सिद्ध हो सके।
औद्योगिक शिक्षा की और अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे पढ़े-लिखे बेकारों की संख्या को रोका जा सके। इस समस्या का समाधान करने के लिए देश में लघ उद्योग तथा कटीर उद्योग धन्धों का विकास होना आवश्यक है। यदि शिक्षित लोग स्वावलम्बन की भावना तथा श्रम के महत्त्व को समझ कर कार्य करें तो बेरोजगारी की समस्या दूर हो सकती है।
उपसंहार- बेकारी देश की एक विकट समस्या है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। राजनीतिक पार्टियां इन बेकार व्यक्तियों को किराए पर लेकर उनसे दगें फसाद करवाती हैं। सरकार का यह कर्त्तव्य है कि इस स्थिति से बचने के लिए युवकों को अपना काम करने के अवसर प्रदान करे।