Hindi Essay on “Barsat ka Din”, “बरसात का दिन”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

बरसात का दिन

Barsat ka Din

निबंध नंबर :-01 

शनिवार की सुबह थी और बहुत ही सुहावनी हवा चल रही थी। आकाश में भी काली घटा उमड़ रही थी तथा चारों ओर बादल गरज रहे थे। मेरे विद्यालय का समय हो गया था। इसलिए मैं अपने दोस्त के साथ स्कूल जाने लगा। अभी हम रास्ते में ही थे कि बारिश शुरू हो गई। हमारे सारे कपड़े तथा किताबें भींग गई और हम विद्यालय 1 घंटे बाद पहुँचे।

अभी बारिश बहुत तेज हो रही थी। हमारी कक्षा में पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था। हमने देखा कि बहुत कम अध्यापक और विद्यार्थी ही उस दिन विद्यालय में आए थे। यह सब देखकर हमारे प्रधानाचार्य ने छुट्टी की घोषणा कर दी। सभी लड़के खुशी के कारण झूम उठे। कुछ समय बाद बारिश बंद हो गई। मैं और मेरा दोस्त दोनों घर की तरफ चल पड़े।

हर तरफ जहाँ भी देखो पानी इकट्ठा हो गया था। सड़क पर जाते समय वहाँ के बच्चे छोटी-छोटी नाव बनाकर पानी पर तैरा रहे थे तथा पशु-पक्षी सब पानी का मजा ले रहे थे। बच्चे इधर से उधर भाग रहे थे तथा बारिश का आनंद नहा कर ले रहे थे। इस बारिश से, गर्मी से परेशान लोगों को कुछ मिली थी। मेंढकों ने बाहर निकलकर शोर मचाना शुरू कर दिया था। और मौसम बहुत सुहावना और अच्छा लग रहा था।

घर में पहुँचने के बाद मैंने कुछ समय आराम किया। मेरी माँ ने मेरे लिए चाय बनाई मैंने चाय

के साथ सेंडविच खाए। उसके बाद मैं बाहर चला गया। मेरा बड़ा भाई भी मेरे साथ चल दिया। हमें प्राकृतिक दृश्य देखकर बहुत मजा आ रहा था। और हम शाम को खुशी-खुशी अपने घर वापस लौट आए।

 

निबंध नंबर :-02

अहा! बरसात का पहला दिन

Aah! Barsat ka Pehla Din

भीषण गरमी के ताप से संतप्त प्राणी व पेड़-पौधे सभी एक स्वर में पुकारते दिखाई देते हैं-“अल्लाह! मेघ दे पानी दे, पानी दे गुड़धानी दे।” जब गरमी के बाद आकाश में चारों ओर बादल घिर आते हैं और वर्षा की पहली बूंद धरती पर गिरती है, तो मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध से सभी का मन पुलकित हो उठता है। वर्षा ऋतु का पहला दिन कुछ विशेष महत्त्व रखता है। इस दिन मानो पेड-पौधे, पश-पक्षी तथा मनुष्य सभी हर्ष-उल्लास से नाचते दिखाई देते हैं। मोर की पीह-पीह. मेढक की टर्र-टर्र सभी कछ बहत सहावना लगता है। गरमी से झुलसे पेड़-पौधे मानो फिर से जीवित हो उठते हैं। भुट्टों की खुशबू, पकौड़े व चाय की ललक सब इस वर्षा में ही भली लगती है। वर्षा ऋतु मानो सब को नया जीवन-दान देती है। समस्त प्रकृति आनंद से नाच उठती है।

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