बारिश का एक दिन
Barish ka Ek Din
बचपन निश्चिंत मस्ती और शरारतें करने का समय होता है। जिन-जिन बातों पर मम्मी गुस्सा हो जाती हैं, कभी-कभी उनको करने में भी बहुत आनंद आता हैं। बारिश में कीचड़ में कूदना भी ऐसा ही रोमांचक कार्य है।
घर से कुछ दूरी पर ही होने से मैं अपने विद्यालय पैदल ही जाता हूँ। कड़कती धूपवाले एक दिन, अवकाश के समय अचानक तेज वर्षा हो गई।
मैंने और मेरे मित्र ने तुरंत गेट की ओर दौड़, गार्ड के कमरे में आश्रय लिया। धरती पर नाचती बूंदों से हम स्वयं को और दूर न रख पाए और हमने अपने घर की ओर रुख किया।
पानी से भरी सड़कों पर कूदते हुए हम अपनी गेंद से खेलने लगे। फिर छोटी-बड़ी नहरों का पीछा करते हुए गली के अन्य बच्चों तक पहुँचे। उनके साथ हमने नाव बना-बनाकर तैराई और फिर क्रिकेट खेला।।
निरंतर चलती वर्षा ने समय का आभास भी भुला दिया। दूर से हम दोनों की मम्मी छतरी लिए हमें ढूँढती नजर आईं। उन्हें देख बाकी बच्चे भाग खड़े हुए।
उम्मीद से विपरीत वे हमारे साथ वर्षा का आनंद उठाने लगीं। भीगते और मस्ती करते हम घर पहुँचे। मम्मी ने मुझे हलवा खिलाया और सुला दिया। उस दिन वर्षा के साथ-साथ मुझे माँ के साथ का भी बहुत आनंद आया।