Hindi Essay on “Bal Shoshan”, “बाल-शोषण”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बाल-शोषण

Bal Shoshan

बच्चों को देश का भावी कर्णधार कहा जाता है। आज देश के भावी कर्णधारों का भयंकर शोषण हो रहा है। देश की बाल-आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज शोषण का शिकार है। इसका मूल कारण है—गरीबी। बालक बचपन का जीवन न जीकर जिम्मेदार युवा की भाँति अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। आर्थिक स्तर निम्न होने के कारण आज बाल-आबादी को श्रम की चक्की में पिसना पड़ रहा है। निर्धनता के कारण ही ये बालक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। जिन छोटे नाजुक हाथों में कलम एवं किताब होनी चाहिए वहाँ उनके हाथों में औजार और कचरे का भारी-भरकम थैला थमा दिया जाता है। इनकी इस हालत का जिम्मेदार हमारा शासन तंत्र तो है ही, साथ-ही-साथ इनके अज्ञानी एवं अशिक्षित माता-पिता भी कम दोषी नहीं हैं। दूसरी ओर, मिल-मालिक और अन्य पूँजीपति वर्ग इनका जमकर लाभ उठाने से नहीं चूकते। इनकी गरीबी व बचपन का फ़ायदा उठाकर वे इन्हें पूरी मजदरी भी नहीं देते हैं और ऐसी विषम परिस्थितियों में इनसे काम कराते हैं कि युवा होते-होते इनका जीवन अभिशाप बन जाता है। ज्यादातर बच्चे बीड़ी उद्योग, चूड़ी उद्योग और रासायनिक उद्योगों में काम करने के कारण असमय ही अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। बाल-शोषण की समस्या का समाधान तभी संभव है जब जनसंख्या वृधि को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएँ एवं बाल-शोषण संबंधी कानून का सख्ती से पालन किया जाए। समाज-सेवी संस्थाओं को इसे रोकने के लिए जी-जान से इसके विरुद्ध आवाज उठानी होगी।

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