अकबर का शासन
Akbar Ka Shasan
अकबर के दरबार में नव रत्न थे। इनके नाम थे-राजा बीरबल, राजा मानसिंह, राजा टोडरमल, हकीम हुमाम, मुल्ला दोपियाजा, फैजी, अबुल फजल, रहीम और तानसेन। राजनीति और शासन में अबुल फजल के जोड़ का कोई न था। मानसिंह के समान दूसरा कोई योसा न था। टोडरमल में इन दोनों के गुण मौजूद थे। उनका जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के लहरपुर नामक गाँव में हुआ था। 1573 ईस्वी. में जब अकबर ने गुजरात को जीत लिया तब उस प्रांत में भूमि का बंदोबस्त करने के लिए टोडरमल को भेजा। वहाँ उन्होंने जमीन की नाप-जोख कराई और जमीन की किस्म, उसके रकबे और पैदावार के हिसाब से मालगुजारी निश्चित की। दो ही वर्षों में गुजरात में शांति छा गई। किसान सुखी जान पड़ने लगे और राजकोष में काफी धन भी जमा हो गया। इससे अकबर इतना खुश हुआ कि उसने सारे साम्राज्य की भूमि का प्रबंध टोडरमल को सौंप दिया।
टोडरमल ने संपूर्ण साम्राज्य को 182 परगनों में इस तरह बाँटा कि प्रत्येक परगने से एक करोड़ रुपया वार्षिक लगान मिले। प्रत्येक परगना एक अफसर के अधीन किया गया जो करोड़ी कहलाता था। परंतु ये करोड़ी बहुत लालची थे और किसानों से मनमाना लगान वसूल करते थे। इसकी शिकायतें, जब अकबर के पास पहुंची, तब उन्होंने टोडरमल को ‘दीवाने अशरफ’ (माल विभाग का सबसे बड़ा अफसर) बनाया और इस विभाग में सुधार करने के लिए उन्हें पूरा अधिकार दिया। उन दिनों धर्म को राजनीति से अलग करना बड़ा कठिन था परंतु टोडरमल ने इस ओर भी ध्यान दिया। वह यह पसंद नहीं करते थे कि हिन्दुओं पर केवल इसलिए ‘जजिया’ नाम का कर लगाया जाए कि वे हिन्दू हैं। यह बात उन्होंने अकवर के सामने रखी और उसने ‘जजिया’ उठा लिया।