Hindi Essay on “Ahinsa Parmo Dharma”, “अहिंसा परमो धर्म”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

अहिंसा परमो धर्म

Ahinsa Parmo Dharma

 

  • अहिंसा का अर्थ प्रेम को मार्ग इतिहास से उदाहरण सब धर्मों से श्रेष्ठ धर्म

हिंसा का सामान्य अर्थ है- मार-काट, तोड़-फोड या जोर-जबरदस्ती करके दूसरों को शारीरिक, मानसिक, आत्मिक या भावनात्मक स्तर पर चोट पहुँचाना। यह मानवीयता का हनन है, धर्म विरुद्ध है परंतु मानव आज धर्मच्युत हो हिंसा के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है। महात्मा गांधी के अनसार मन में बुरा सोचना भी हिंसा है। हिंसा करके मिलने वाली जीत सच्ची जीत नहीं मानी जाती। हिंसा दवारा पराजित किया गया व्यक्ति अपनी शक्ति समेटकर या दोबारा शक्तिशाली बनकर कभी भी नीचा दिखा सकता है। इसके विपरीत अहिंसा का मार्ग प्रेम का मार्ग है। अहसा आर प्रन के बल पर खूखार जानवरों को भी वश में किया जा सकता है फिर मानव की तो बात ही क्या। अहिंसा को श्रेष्ठ धर्म कहा गया है। अहिंसा पर विश्वास करने वाला व्यक्ति कभी भूलकर भी किसी को कष्ट या दुख नहीं देता। वास्तव में अहिंसा एक मानवीय भावना है।

करें हम दुश्मनी किससे,

कोई दुश्मन भी हो अपना,

मुहब्बत ने नहीं छोड़ी,

जगह दिल में अदावट की।

सम्राट अशोक ने भी घोर हिंसा का भयानक परिणाम कलिंग-विजय के बाद देखकर ही, ‘अहिंसा परमो धर्मः’ मानने वाले बुद्ध मत को अपना लिया था। ‘अहिंसा परमो धर्मः’ सिद्धांत को मानकर चलना कठिन नहीं है। इसके लिए सबके साथ उचित व्यवहार करें, असत्य से बचे रहकर सत्य बोलें, सत्य का मार्ग अपनाएँ, हानि पहुँचाना तो दर की बात ऐसी बात सोचें भी न, सबकी सहायता के लिए तत्पर रहें, सदा सबका भला करें। अहिंसा का पालन करने वाला व्यक्ति न तो किसी का शत्रु होता है न कोई उसका शत्रु होता है। वह मानव का आदर करता है व आदर पाता है। वास्तव में हिंसा यदि शरीर की शक्ति है, तो अहिंसा आत्मा की अदृश्य शक्ति है। आत्मिक शक्ति होने के कारण ही अहिंसा को सब धर्मों में श्रेष्ठ या परम धर्म माना गया है।

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