डॉ. मनमोहन सिंह
Dr. Manmohan Singh
भूमिका- स० मनमोहन सिंह आपके लोकप्रिय नेताओं में सर्व-प्रमुख हैं। भारत राष्ट्र के प्रधान मन्त्री होने के नाते आज विश्व के नेताओं में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। डॉ. मनमोहन सिंह एक ईमानदार, देशभक्त, एक अच्छे विशेषज्ञ और सच्चे देश-प्रेमी हैं। डॉ. सिंह में योग्यता और ज्ञान का इतना भण्डार है कभी उनसे कुछ-न-कुछ सीख सकते हैं।
जन्म, बचपन और परिवार- डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को एक छोटे से देहाती ग्राम (गाह) में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। इनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माता था नाम अमृत कौर है। बंटवारे के बाद इनका परिवार अमृतसर में आकर बस गया। इनका विवाह 14 सितम्बर 1958 को गुरशरण कौर से हुआ। इनकी तीन बेटियां हैं। बेटे की गंभीरता व बड़े परिश्रम को देखते हए इनके पिता जी ने भविष्यवाणी की थी कि मेरा। पुत्र एक-न-एक दिन देश का प्रधानमन्त्री बनेगा। तीस वर्ष बाद पिता की भविष्यवाणी सार्थक सिद्ध हुई।
शिक्षा- इन्होंने 1952 में स्थानीय हिन्द कॉलेज से बी० ए० (आर्नज) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में तथा 1954 म खालसा कॉलेज होशियारपर से एम० ए० अर्थशास्त्र की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। इन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी० फिल तथा होनोटिस कौसा से डी० लिट की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद पी० एच० डॉ० की उपाधि प्राप्त की। 1965 में एडम स्मिथ परस्कार प्राप्त किया। सन् 1987 में भारत सरकार द्वारा पदम विभुषण से अलंकृत किए गए। 1993 और 1994 में इन्हें एशिया मनी पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
नौकरी सेवा तथा लेखन कार्य- मनमोहन सिंह जी 1957 से 1965 तक पंजाब विश्व विद्यालय चण्डीगढ़ में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम करते रहे। 1969 से 1971 तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। 1976 में जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में प्रोफेसर का कार्य सम्भाला। डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमन्त्री पद तक की यात्रा में विभिन्न महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पदों पर काम किया।
प्रधानमन्त्री के रूप में- डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई, 2004 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। प्रधानमन्त्री चने जाने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मुख कई चिनौतियां थी जिनका इन्होंने डट कर सामना किया। सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमन्त्री का पद ठुकराए जाने के बाद कांग्रेस में इनकी तुलना करने वाला कोई न था इसलिए इन्हें सर्व सम्मति से इस पद पर बिठाया गया। कुशल अर्थशास्त्री के रूप में इनका कोई सानी नहीं है। 1991 में नरसिंहराव की सरकार में केन्द्रीय वितमन्त्री रहे। इन्हीं की नीतियों पर चलकर देश की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। आज देश जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें हमें प्रधानमंत्री के तौर पर ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो राजनीतिक के साथ अर्थ व्यवस्था की कठिनाईयों को भी समझे।
समस्याओं से निपटने का साहस- प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंहको सत्ता की बागडोर सम्भालते ही सूखा, बाढ़, बढ़ती मुद्रास्फीति, ट्रक हड़ताल, जल बंटवारा विवाद आदि समस्याओं से उलझना पड़ा। उथल-पुथल भरी दुनिया में अर्थशास्त्री मनमोहन ने धैर्य और सहजता से सभी चुनौतियों का सामना किया।
मनमोहन सिंह एक विनम्र, उदार, दयालु एवं संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं। मनमोहन जी सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखते हैं। उनकी देख-रेख में भारत उन्नति की ओर अग्रसर है।
उपसंहार- भारतवर्ष को अपने सपूत स० मनमोहन सिंह जी से बड़ी आशाएं हैं। हम सब भारतवासी आशा रखते हैं कि इनके कुशल नेतृत्व में हमारा देश उन्नति करता रहेगा। ईश्वर इन्हें दीघार्यु और स्वस्थ प्रदान करे।