आधुनिक शिक्षा प्रणाली
Aadhunik Shiksha Pranali
भूमिका- वर्तमान युग विज्ञान का युग है। इस युग में औद्योगिकीकरण से जीवन मूल्य बदले हैं। लोगों का जीवन स्तर बदला है। इस परिवर्तनशील युग में प्राचीन शिक्षा प्रणाली वर्तमान युग के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकती है। ऐसा कहना भी अनुचित है कि प्राचीन ज्ञान का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। आज वर्तमान युग में शिक्षा-पद्धति में परिवर्तन लाना आवश्यक माना जाने लगा है।
शिक्षा का स्वरूप- शिक्षा का अर्थ है मानसिक और सांस्कृतिक दृष्टि से राष्ट्र के लोगों को समृद्ध करना। समय-समय पर शिक्षा का स्वरूप बदलता रहा। एक समय ऐसा भी आया जब शिक्षा का उद्देश्य रोजगार जुटाना समझा गया। भारत की स्वतन्त्रता से पूर्व शिक्षा की स्थिति बड़ी दयनीय थी। भारत की स्वतन्त्रता के बाद भारतीय बुद्धिजीवियों और शासकों ने शिक्षा पद्धति को सुधारने के अनेक प्रयास किए। फिर भी शिक्षा की स्थिति में विशेष सुधार नहीं आया। शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना ही नहीं है शिक्षा का उद्देश्य है कि जीवन के संघर्ष में हम दृढ़ता से आगे बढ़े। – शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए सभी प्रान्तीय सरकारें आने का प्रयोग कर रही हैं। पहले भारत में मैट्रिक फिर एफ० ए० और बाद में बी० ए० करवाई जाती थी। मैट्रिक पास करके बच्चे कॉलेज में आ जाते थे। आयु छोटी होने के कारण कॉलेज का वातावरण उनके लिए ठीक नहीं था तब नियम बना दिया कि ग्यारहवी तक बच्चे स्कूल में रहे और तीन साल कॉलेज में रहे। कभी आंठवीं की परीक्षा बोर्ड द्वारा निश्चित कर दी गई और कभी नौवीं की परीक्षा बोर्ड द्वारा निश्चित कर दी गई। कहीं-कहीं प्रान्तों में पाँचवीं की परीक्षा भी बोर्ड द्वारा ली जाने लगी। शिक्षा के स्तर को ऊँचा करने के लिए कमीशन भी बिठाए गए।
शिक्षा की नयी पद्धति- सन् 1968 में कोठारी कमीशन ने 10+2=3 की नई शिक्षा प्रणाली आरम्भ की। नई प्रणाली के अनुसार प्रत्येक विद्यार्थी को 12 वर्ष तक स्कूल में पढ़ना होगा। उसके बाद बी० ए० की डिग्री प्राप्त करने के लिए 3 साल कॉलेज में पढ़ना होगा। व्यावहारिक विषयों की शिक्षा के साथ-साथ गाँव में जाकर खेतीबाड़ी का काम करना, कुटीर उद्योगों की शिक्षा, गन्दी बस्तियों को साफ करना, अस्पताल में रोगियों की देखभाल करने की शिक्षा दी जाएगी।
नई प्रणाली के लाभ हानियां- नई प्रणाली से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि पढ़े-लिखे लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं होगा। अपनी तकनीकी शिक्षा से उन्हें रोजगार मिलेगा या फिर स्वयं छोटे-मोटे उद्योग लगाकर अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे। नई शिक्षा प्रणाली में पत्राचार पाठ्यक्रम की व्यवस्था है। इस प्रणाली से एक ओर लाभ यह है कि इसका उद्देश्य ही सबके लिए विद्या का प्रकाश फैलाना है।
नई शिक्षा प्रणाली के अर्न्तगत नवोदय विद्यालय खोले जा रहे हैं। इन विद्यालयों को अधिकतर ग्रामों में खोला जा रहा है। गाँव के बच्चों को शिक्षा स्तर उच्च होगा। पाठयक्रम एक जैसे होने से स्वाभाविक ही पूरे देश में सभी को एक जैसे पाठ्यक्रम को पढ़ना होगा। अत: शिक्षा का स्तर एक होने से प्रतियोगिताओं में निकलने के लिए एक जैसे अवसर उपलब्ध होंगे।
इस प्रणाली की सबसे बड़ी हानि यह है कि इसमें कुछ प्रतिशत बच्चे की ही जाने की व्यवस्था है। अतः अन्तर स्वाभाविक होगा। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का स्तर अन्य विद्यालयों से अच्छा होगा।
उपसंहार- नई शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य देश में फैली शिक्षा की अराजकता को मिटाना है तथा शिक्षा को एकरूपता देना है। तकनीकी शिक्षा की और ध्यान देना चाहिए ताकि बेरोजगारी कम हो सके। यदि ऐसी व्यवस्था को कठोरता से लागू किया जाए तो अच्छे परिणाम हो सकते हैं।



