लिम्बाराम
Limba Ram
जन्म : 24 सितम्बर, 1971
जन्मस्थान : सरादित गांव (राज.)
लिम्बाराम भारत के प्रथम तीरंदाज़ हैं जिन्होंने विश्व स्तर पर तीरंदाजी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की। उन्होंने 1992 के एशियाई चैंपियनशिप मुकाबले में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता। 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में लिम्बाराम मात्र एक अंक से पदक पाने से चूक गए। उन्हें 1991 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लिम्बाराम भारत के शीर्ष तीरंदाजों में से एक हैं। लिम्बाराम का जन्म राजस्थान में उदयपुर जिले के सरादित गांव में हुआ था। वह बचपन में उदयपुर के जंगलों में शिकार किया करते थे। उनको तीरंदाजी की कला में निपुणता दिलाने का श्रेय स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को है जिसने ‘स्पेशल एरिया मेमन प्रोग्राम के अन्तर्गत उन्हें ट्रेनिंग दिलवाई।
लिम्बाराम का चयन तीन अन्य तीरंदाज़ों के साथ हुआ था। वास्तव में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्रतिभा खोज के दौरान ‘अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध तीरंदाज़ शामलाल के साथ ही लिम्बाराम को भी खोजा था। उसी वर्ष लिम्बाराम ने सीनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियनशिप में 50 मीटर तथा 30 मीटर वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर विजय हासिल की।
| राष्ट्रीय स्तर पर अपनी योग्यता साबित करने के पश्चात् लिम्बाराम ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी काबिलियत सिद्ध की। उन्होंने 1992 के बीजिंग एशियाई खेलों में 30 मीटर वर्ग में विश्व रिकॉर्ड बना डाला और स्वर्ण पदक जीत लिया।
लिम्बाराम के कई वर्षों तक खाली रहने के पश्चात् पंजाब नेशनल बैंक में खेल अफसर के रूप में नियुक्ति हुई। उन्हें 1991 में अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया। वह इस समय हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड में खेल अफसर के रूप में नियुक्त हैं।
उपलब्धियां :
उन्होंने तीन बार ओलपिक खेलों में भाग लिया है।
लिम्बाराम ने 1999 के बीजिंग एशियाई खेलों में विश्व रिकॉर्ड बनाकरस्वर्ण पदक जीता। है वह तीरंदाजी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर सफलता पाने वाले प्रथम भारतीयतीरंदाज़ हैं।
उन्हें 1991 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। में उन्होंने दो बार एशियाई खेलों में तथा दो बार विश्व कप मुकाबलोंमें भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इसके अतिरिक्त अन्य कईअन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत की ओर से भाग लिया है।
1987 में वह केवल छह माह की ट्रेनिंग के पश्चात् बंगलौर में हुईराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जूनियर चैंपियन बने।
इसी वर्ष (1987) में वह सीनियर वर्ग में दिल्ली में खेलों में शामिलहुए और 30 मीटर में 2 स्वर्ण पदक हासिल किए तथा 70 मीटर मेंएक रजत व ओवरऑल में एक कांस्य पदक हासिल किया।
1988 में उन्होंने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए अमरावती में चार स्वर्णपदक जीते और ओवरऑल राष्ट्रीय चैंपियन तथा उस प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज़ घोषित किए गए। फिर उन्हें सियोल ओलंपिक के लिए चुन लिया गया।
1989 में बीजिंग एशिया कप में लिम्बाराम के नेतृत्व में टीम ने कोरियाको हरा कर स्वर्ण पदक जीता।
उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 1991 में कलकत्ता में ओवरऑल चैंपियनशिप में स्वर्ण, 1992 में जमशेदपुर में ओवरऑल चैंपियनशिप में स्वर्ण, 1994 में गुड़गांव में 3 स्वर्ण, 1 रजत व 1 कांस्य, 1996 में कलकत्ता में 2 स्वर्ण, २ रजत, 1997 में जमशेदपुर में टीम तथा व्यक्तिगत मुकाबलेमें स्वर्ण, 2001 में अमरावती में स्वर्ण पदक जीते।
उन्होंने 1994 के पुणे खेलों में 1 स्वर्ण व 2 कांस्य पदक जीते।
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं-
- 1988में मास्को में स्प्रिंग एरो चैंपियनशिप में भारतीय टीम को कास्य पदक जिताया, 1989 में सुखूमी, जर्जिया में कांस्य पदक जीता, 1992 में मास्को में कांस्य पदक जीता, 1990 में फेडरेशन कप, नई दिल्ली मेंटीम का स्वर्ण पदक जीता।
- 1991 में फेडरेशन कप, कोलकाता में उन्होंने टीम के लिये तथाव्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते।
- 1993 के फेडरेशन कप कोलकाता में टीम का स्वर्ण व व्यक्तिगतकांस्य पदक जीता।
- उन्होंने 1995 में फेडरेशन कप, नई दिल्ली में स्वर्ण तथा टीम कारजत पदक जीता।
- उन्होंने 1990 में 3 देशों की अन्तरराष्ट्रीय मीट में बीजिंग व बैंकाकके साथ प्रतियोगिता में टीम का गोल्ड पदक जीता।
- 1993 में बैंकाक अन्तरराष्ट्रीय मीट में टीम का स्वर्ण तथा व्यक्तिगतस्वर्ण पदक जीते।
- उन्हें 1990 में ‘महाराणा प्रताप अवार्ड प्रदान किया गया।