लिएंडर पेस
Leander Paes
जन्म : 17 जून, 1973
जन्मस्थान : गोवा
1996 में अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीत कर लिएंडर पेस ने भारत का ओलंपिक में पदक का रास्ता खोला था। उस वक्त लिएंडर ने व्यक्तिगत खेलों में भारत के लिए 44 साल से पड़े सूखे को समाप्त किया था। ओलंपिक के लिहाज़ से लिएंडर पेस का प्रदर्शन एक मील का पत्थर है। लिएंडर के लिए यदि यह कहा जाए कि वह देश के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं तो गलत नहीं होगा।
लिएंडर पेस पुरुष डबल्स तथा मिक्सड डबल्स के सर्वाधिक सफल खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका जन्म गोवा में हुआ था और पालन-पोषण कलकत्ता में हुआ। उनकी मां जेनिफर पेस 1980 में भारतीय बास्केट बॉल टीम की कैप्टेन थी और उसके पिता डा. वैस अगापितो पेस हॉकी के मिड-फील्डर थे और 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भारतीय टीम के सदस्य थे, जिसने कांस्य पदक जीता था।
उसकी स्कूली शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, हायर सेकेंड्री स्कूल से हुई। उसका निवास स्थान भारत में कलकत्ता तथा अमेरिका के फ्लोरिडा में ऑरलेन्डो है। वह सीधे हाथ का खिलाड़ी है।
लिएंडर ने 7 वर्ष की आयु में टेनिस सीखना आरम्भ कर दिया था और खेल की बेसिक जानकारी साउथ क्लब, कलकता से आरम्भ की।
उसने 1985 में मद्रास की ब्रिटेनिया टेनिस एकेडेमी में प्रशिक्षण आरम्भ कर दिया और उनकी कोचिंग दबे-ओ-मियरा ने की। पेस ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति 1990 में अर्जित की जब उन्होंने विंबलडन जूनियर का खिताब जीता। और जूनियर विश्व रैंकिंग में नम्बर एक खिलाड़ी बन गए।
इसके पूर्व 14 वर्ष से कम आयु वर्ग की राइस बाउल चैंपियनशिप उन्होंने 1987 में हांगकांग में जीती। 2 वर्ष बाद 16 से कम आयु वर्ग की प्रतियोगिता भी उन्होंने जीती। उन्होंने जूनियर व सीनियर राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब भीहासिल किया।
जब पूरी दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी डेविस कप के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं तब लिएंडर ने दिखाया कि अपने देश के लिए खेलना कितने गर्व की बात है। उन्हें सर्किट के डबल्स खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। जोड़ी के रूप में खिलाड़ी : महेश भूपति व लिएंडर पेस।
डबल्स में लिएंडर ने महेश भूपति के साथ खेल कर इस जोड़ी को भी एक नम्बर का रैंक हासिल करवाया। 1991 में वह प्रोफेशनल खिलाड़ी बन गया।
वैसे लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी की कहानी एक रोलर-कोस्टर की भांति है जिसमें बार-बार उतार-चढ़ाव आते हैं यानी इस जोड़ी का मिलन और अलगाव अनेकों बार हो चुका है। यूं तो भारतीय मीडिया और दर्शक क्रिकेट से ही जुड़ा रहना ज्यादा पसन्द करते हैं और अन्य खेलों को कम तरजीह देते हैं परन्तु फिर भी किसी अन्य खेल सम्बन्धी समाचार को प्रमुखता से देखा जाता है तो वह है लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी का खेल।
इन दोनों की जोड़ी ने सर्वप्रथम अक्तूबर 1994 में साथ-साथ जकार्ता चैलेंजर खेला। अटलांटा ओलंपिक, 1996 में दूसरे दौर में यह जोड़ी हार गई। उसी वर्ष इस जोड़ी ने डेविस कप में अपनी उपस्थिति का एहसास कराया। 1997 तक इस जोड़ी ने खेल की ऊंचाइयों को छुआ। लेकिन 1996 के ओलंपिक में एकल स्प में कांस्य पदक प्राप्त कर भारत को प्रथम बार एकल पदक दिलाया। जब यह जोड़ी बनी तो इस पदक व डेविस कप के कारण लिएंडर सीनियर खिलाड़ी थे। लेकिन जोडी के रूप में खेलने पर सीनियर व जनियर जैसी चीज नहीं रह जाती। इससे पूर्व लिएंडर ने अन्य अनेक खिलाड़ियों के साथ भी जोड़ी बनाने का प्रयास किया था।
1997 से 2002 के बीच इस जोड़ी ने 22 टाइटल जीते जिसमें पुरुष डबल्स के तीन ग्रैंड स्लैम भी शामिल हैं। 1999 का फ्रेंच ओपन और विंबलडन इस जोड़ी ने जीता। 2001 का विंबलडन भी इनमें महत्त्वपूर्ण है। किसी अन्य जोड़ी ने ऐसी शानदार सफलता प्राप्त नहीं की है।
हालांकि अनेक बार इन दोनों खिलाड़ियों के बीच मतभेद उभरे हैं और उन्होंने साथ-साथ न खेलने का फैसला किया है। वर्ष 2002 में उनके बीच दरार आई और अप्रैल में उन्होंने साथ न खेलने का निर्णय लिया। प्रोफेशनल टेनिस में अलगाव हो जाने पर भी उन दोनों ने बसान एशियाई खेलों में जोड़ी के रूप में खेलकर शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता।
2003 में लिएंडर ने अन्य खिलाडियों के साथ जोड़ी बनाने का प्रयास किया लेकिन फिर डेविस कप के लिए लिएंडर और महेश भूपति ने जोड़ी बनाई।
इस प्रकार के अनेक मुकाबले जीतने पर लिएंडर को अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर अनेक बार स्थान मिला जो भारत में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है वरना केवल क्रिकेट खिलाड़ियों को ही समाचार आकर्षण बनने का मौका मिलता है। फ्रेंचओपन जीतने पर पेस व भूपति को लगभग एक करोड़ इकत्तीस लाख रुपये की इनामी रकम भी मिली। लेकिन इन सबसे और फ्रेंच ओपन से भी ज्यादा विंबलडन विजेता होने का गौरव मिला।
पेस और भूपति की जोड़ी राष्ट्र के गर्व और प्रशंसा की हकदार मानी गई है। राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिक तक सभी ने उन्हें बधाई दी और उन्हें आश्वस्त किया कि वे भारतीयों के लिए गौरव और गर्व के महानायक हैं।
लिएंडर को टेनिस के अतिरिक्त गोल्फ खेलने का भी शौक है। उसने 2002 में एक साक्षात्कार में बताया – “मुझे आस्ट्रेलियन टेनिस कोच, बॉब कार्मीकील मिला, जो बड़ा गोल्फ खिलाड़ी है। उसने मुझे गोल्फ से 6 वर्ष पूर्व जोड़ा।”
लिएंडर का मानना है कि टेनिस और गोल्फ में अनेक समानताएं हैं। गोल्फ ने मुझे धैर्य रखना सिखाया है। लिएंडर बताते हैं-“खिलाड़ियों के परिवार से संबद्ध होने के कारण मैं सभी खेल रुचि के साथ खेलता हूं। डी.एल.एफ. का गोल्फ कोर्स मेरा पंसदीदा गोल्फ कोर्स है।” । फरवरी 2004 में लिएंडर पेस ने दूसरा और अंतिम उलट एकल जीतने के साथ भारत को डेविस कप एशिया ओशियाना ग्रुप टेनिस में मेज़बान न्यूज़ीलैंड पर 3-2 से विजय हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आर्थिक उपलब्धियां :
- अनेक खिताब जीतने पर उन्हें बड़ी धनराशि पुरस्कार स्वरूप प्राप्तहुई। चूंकि यह खिताब लिएंडर पेस और महेश भूपति ने डबल्स में जीते हैं अतः पुरस्कार राशि भी दोनों को सम्मिलित रूप से प्राप्त हुई।
- ऐसा कहा जा सकता है कि लक्ष्मी उन पर मेहरबान है। में उन्हें विंबलडन का युगल खिताब जीतने पर एक लाख 86 हजार 420
- पौंड स्टर्लिंग (लगभग एक करोड़ 11 लाख 85 हज़ार रुपये) की राशि प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त लिएंडर को लिसा रेमंड के साथ मिश्रित युगल का खिताब जीतने पर 79,180 पौंड स्टर्लिंग (लगभग 47 लाख 50 हज़ार 800 रुपये) की राशि मिली।
- फ्रेंच ओपन के युगल खिताब के लिए पेस व भूपति को कुल मिलाकर2 लाख 68 हज़ार डालर (लगभग 1 करोड़ 10 लाख रुपये) की राशि प्राप्त हुई। वर्ष के पहले ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट आस्ट्रेलियाई ओपन के फाइनल में पहुंचने से ही दोनों को लगभग 55 लाख डालर की राशि प्राप्त हुई। इस प्रकार अकेले लिएंडर पेस को 1999 के तीनों ग्रैंड स्लैम टनमेंटों में लगभग एक करोड़ 60 लाख रुपये की राशि मिली।
- 1996 तक इस जोड़ी की टेनिस से कुल आमदनी लगभग पांच लाख डालर से भी कम थी लेकिन 1997 से 1999 के बीच दोनों ने लगभग 25 लाखडॉलर की कमाई की।
- लिएंडर पेस व महेश भूपति की जोड़ी ने विज्ञापनों से भी अच्छी आयअर्जित की। पेप्सी, एडिडास, आई.टी.सी. जैसी कम्पनियों ने इनके ग्रैंड स्लैमों में अच्छे प्रदर्शन के कारण ही अच्छा सहयोग दिया। फिर सियाराम ग्रुप की माडलिंग से भी इन्होंने अच्छी कमाई की।
- 2004 में लिएंडर पेस तथा महेश भूपति की जोड़ी ने टोरंटो (कनाडा) में 25 लाख डालर के ए.टी.पी. टेनिस मास्टर सीरीज़ में युगल खिताब जीता। पेस भूपति ने एकसाथ खेलते हुए यह 23वां खिताब जीता। यह इन दोनों का पांचवां मास्टर्स खिताब था। खास बात यह है कि इन दोनों ने अपना पहला खिताब भी सात वर्ष पूर्व इसी स्थान पर जीता था। अलग-अलग देखा जाए तो भूपति का यहां 36वां और पेस का 30वां खिताब था।
- वर्ष 2006 में पेस ने पुरुष युगल में मार्टिन डैम के साथ यू.एस. ओपन का खिताब पहली बार जीता। पेस का यह चौथा ग्रैंड स्लैम युगल था तथा कुल मिलाकर सातवाँ खिताब था।यह खिताब उन्हें 5 वर्षों के अन्तराल के बाद मिला।
- 1996 में लिएंडर पेस को उनके टेनिस में उत्तम प्रदर्शन के लिए ‘राजीव
- गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। लिंएडर पेस की डबल्स की सर्वाधिक रैंकिंग 1 रही है जो 21 जून 1999 को थी। सबसे अच्छी एकल रैंकिंग 73 रही है, जो 24 अगस्त 1998 को थी। लिएंडर के बारे में कहा जाता है कि वह हरफनमौला किस्म के बड़बोले स्वभाव के हैं।
- पेस को 26 जनवरी 2001 को महेश भूपति के साथ ‘पद्मश्री’ सम्मान प्रदान किया गया। सदाबहार खिलाड़ी लिएंडर पेस ने वर्ष 2006 में टेनिस कोर्ट परकामयाबी का नया इतिहास रच डाला। उन्होंने इसी वर्ष मार्टिन डैम के साथ अमेरिकी ओपन में पुरुष डबल्स का खिताब जीता और इसी वर्ष उन्होंने आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में जगह बनाई।
- 2006 में दोहा एशियाड (दिसम्बर में) अपने तमाम विवादों के बावजूद महेश भूपति के साथ मिलकर पुरुष डबल्स खिताब जीता और सानिया मिर्जा के साथ मिक्सड डबल्स का खिताब जीतकर वर्ष का शानदार समापन किया।
उपलब्धियां :
- 1990–विंबलडन जूनियर खिताब जीता।
- 1996-अटलांटा ओलंपिक-एकल कांस्य पदक जीता।
- 1999-चार ग्रांड स्लैम मुकाबलों में युगल खेल में सभी के फाइनलमें पहुंचा, फिर विंबलडन और फ्रेंच ओपन मुकाबला जीता।
- विंबलडनका मिश्रित युगल का खिताब जीता।
- 2001-फ्रेंच ओपन का युगल खिताब जीता।
- 2008-मार्टिना नवरातिलोवा के साथ मिश्रित युगल मुकाबले में विंबलडनव आस्ट्रेलियाई ओपन में विजय प्राप्त की।
- 2004-9 अप्रैल 2004 को जापान के ओसाका में डेविस कप मेंशानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम से जापान के साथ मुकाबले में डेविस कप में जीत दिला दी। इस जीत के साथ पेस भारत की ओर से सबसे अधिक एकल मैच जीतने वाले खिलाड़ी बन गए। इससे पूर्व यह रिकार्ड रामानाथन कृष्णन के नाम पर था।
- पेस ने न्यूज़ीलैंड में ही रामानाथन कृष्णन के 69 मैच जीतने की बराबरी कर ली थी लेकिन ओसाका (जापान) में एक और मैच जीतकर पेस 70 जीत व 39 हार के साथ सबसे अधिक डेविस कप जीतने वाला भारतीय हो गया।