जसपाल राणा
Jaspal Rana
जन्म : 28 जून, 1975
जन्मस्थान : उत्तरकाशी (उत्तरांचल)
निशानेबाजी में चमकने वाले जसपाल राणा का कैरियर भी शानदार रहा है। उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित केया जा चुका है, उन्होंने एशियाई, विश्व कामनवेल्थ, राष्ट्रमण्डल व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक रिकार्ड स्थापित किए हैं।
जसपाल राणा को भारतीय शूटिंग टीम का ‘टार्च बियरर’ कहा जाता है। उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीत कर भारत का मान बढ़ाया है। उन्होंने 1995 के सैफ खेलों में चेन्नई में 8 स्वर्ण तथा 1999 के काठमांडू में सैफ खेलों में 8 स्वर्ण पदक जीतकर भारत को ढेरों स्वर्ण पदक जिताए हैं।
जसपाल राणा का नाम भारत में निशानेबाज़ी के खेल में अग्रणी खिलाड़ियों में लिया जाता है। जसपाल राणा की शिक्षा दिल्ली में हुई। के.वी. एयर फोर्स स्कूल से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और सेंट स्टीफन कालेज तथा अरविन्दो कालेज से आगे की शिक्षा ग्रहण की।
उन्होंने निशानेबाज़ी में पाई जन्मजात प्रतिभा को अपनी मेहनत व कुशलता से चमकाया और आगे बढ़ाया। वह ‘पिस्टल शूटिंग में जल्दी ही प्रसिद्धि पा गए। उनके पिता नारायण सिंह राणा ने उन्हें निशानेबाज़ी में शिक्षा देकर माहिर किया। जे.सी.टी. के समीर थापर ने उन्हें स्पांसर किया तथा सनी थामस और टिबोर गनाजोल ने कोचिंग प्रदान कर उनकी कुशलता को सर्वश्रेष्ठ स्तर तक पहुंचा दिया।
जसपाल राणा ने राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 600 से अधिक पदक जीते हैं। उन्हें 1994 में अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। यद्यपि राणा ने अपने अधिकांश पदक ‘सेंटर फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में जीते हैं, लेकिन उन्होंने एयर पिस्टल, स्टैन्डर्ड पिस्टल, फ्री पिस्टल, रेपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिताओं में भी सफलता प्राप्त की है। वास्तव में उन्होंने सबसे पहले स्टैन्डर्ड पिस्टलप्रतियोगिता में ही सफलता पाकर प्रसिद्धि पाई जब उन्होंने जूनियर वर्ग में 10वीं विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप में इटली के मिलान शहर में 1994 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उस समय उन्होंने विश्व का रिकार्ड कोर (560/600) बनाया था। और अख़बारों की सुर्खियों में छा गए थे।
रैपिड फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में भी उन्होंने सफलता प्राप्त की है। इस प्रतियोगिता में एक ही समय में 5 निशानों पर आठ, छह और चार सेकंड के अंतराल पर निशाना लगाया जाता है। इसमें निशाना साधने और शूट करने से ज्यादा अपनी मांसपेशियों की याददाश्त पर निर्भर रहना पड़ता है। राणा ने इस प्रतियोगिता में दिल्ली में 1998 में 41वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में स्पर्ण पदक जीता था और प्रसिद्ध निशानेबाज कंवर लाल ढाका को हराया था।
जसपाल राणा ने अपने निशानेबाजी के कैरियर की शुरूआत जून, 1987 में दिल्ली में होने वाले तीन सप्ताह के कोचिंग कैम्प से की थी। इसी कोचिंग के कारण चार माह बाद दिल्ली प्रदेश की निशानेबाजी चैंपियनशिप में जसपाल राणा ने एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीत लिया था। राणा मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रसिद्धि पा गए थे, तब उन्होंने 31वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में 1988 में अहमदाबाद में रजत पदक जीता था।
1989 में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत, तथा 1990 में 5 स्वर्ण पदक जीते। 1992 में मुंगेर में व 1994 में कानपुर में उन्होंने सर्वाधिक पदक प्राप्त कर रिकार्ड बना दिया। मुंगेर में उन्होंने 8 स्वर्ण, 1 रजत व एक कांस्य पदक जीता और कानपुर में कुल 11 स्वर्ण पदक जीते जिसमें 7 व्यक्तिगत स्पर्धा में और 4 टीम स्पर्धा में थे। 1993 में जसपाल ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अहमदाबाद में बनाया। उन्होंने सेंटर फायर पिस्टल प्रतियोगिता में 590 प्वाइंट बनाकर विश्व रिकार्ड के बराबर रिकार्ड दो बार बनाया। पहला 1995 में कोयम्बटूर की राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में और दूसरा 1997 में बंगलौर में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में रिकार्ड स्कोर बनाया। 1997 के राष्ट्रीय खेलों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ खिलाडी’ घोषित किया गया।
कई वर्षों से जसपाल राणा का कैरियर उतार की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। 1994 में उन्होंने स्वयं को साबित कर दिखाया था, उसके 12 वर्ष बाद जसपाल ने पुनः खुद को साबित कर दिखाया। वह एक शूटर के रूप में करीब-करीब गुमनामी में खो गए थे। उन्होंने दिसम्बर 2006 में दोहा एशियाड में ऐसा कमाल कर दिखाया कि सभी की आँखें खली की खुली रह गईं। पिस्टल किंग के रूप में मशहूर हो चुके जसपाल ने दोहा में कमाल का निशाना साधा।
पिस्टल और तीन गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीतकर सभी देशवासियों को प्रसन्न कर दिया। उन्होंने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल का गोल्ड 590 अंकों के नए विश्व रिकॉर्ड के साथ जीता। इसके अतिरिक्त पुरुषों की 25 मीटर स्टेन्डर्ड फायर पिस्टल स्पर्धा जीती। जसपाल राणा ने न केवल तीन स्वर्ण पदक 2006 के दोहा एशियाई खेलों में जीते, वरन 25 मीटर स्टैन्डर्ड पिस्टल टीम का रजत पदक भी जीता जिसके अन्य सदस्य थे समरेश जंग और रौनक। उनसे ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। अतः उनके पदकों ने सभी को चौंका दिया और उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि उनमें अभी भी दमखम है।
जसपाल ने एक इन्टरव्यू में बताया कि वह आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं लेकिन धर्म में नहीं। उनके पिता गीता में बहुत विश्वास करते हैं। उन्होंने ही जसपाल को उन सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी है। वह बहुत जल्दी अपना-आपा खो बैठते हैं। अतः जब भी वह ज्यादा क्रोधित होते हैं, तब वह मेडिटेशन करते हैं।
जसपाल राणा ने अपनी सफलता का श्रेय भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ को दिया। उनकी विजय के अवसर पर उनके पिता तथा कोच नारायण सिंह राणा बेहद प्रसन्न थे। उन्हें भी अपने पुत्र से इतने बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। दोहा एशियाड से भारत वापस लौटने पर हवाई अड्डे पर जसपाल राणा का भव्य स्वागत किया गया।
उपलब्धियां :
- 1993 में उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में अन्तरराष्ट्रीय शूटिंग टूर्नामेंटमें 1 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता।
- 1994 में इटली के मिलान शहर में विश्व शटिंग चैंपियनशिप में569/600 का नया विश्व रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता।
- विक्टोरिया, कनाडा में 1994 में 19वें राष्ट्रमण्डल खेलों में नयाराष्ट्रमण्डल रिकार्ड बनाते हुए दो स्वर्ण, 1 रजत व एक कांस्य पदकहासिल किया।
- 1994 में 12वें एशियाई खेलों में हिरोशिमा, जापान में एक स्वर्ण वएक कांस्य पदक राणा ने जीता और एशियाई खेलों में 588/600अंकों का नया रिकार्ड स्थापित किया।
- 1995 में इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में हुई एशियाई शूटिंग चैंपियनशिपमें नया एशियाई रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण तथा 1 कांस्य पदक जीते।
- 1995 में नई दिल्ली में पहले राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिप में जसपालराणा ने अनेक नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए आठ स्वर्ण पदकप्राप्त किए।
- उन्होंने पिस्टल में 574 600, फ्री पिस्टल में 35/600 अंक 1996के अटलांटा ओलंपिक खेलों में प्राप्त किए।
- 1997 में मलेशिया के लंकावी में दूसरे राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिपमें 4 स्वर्ण तथा 1 रजत पदक प्राप्त किया।
- 1998 में मलेशिया के राष्ट्रमण्डल खेलों में 2 स्वर्ण तथा 1 रजत पदकप्राप्त किए।
- 2004 ऐशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
- 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।