सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग हो-इस अनुरोध के साथ किसी दैनिक पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखिए कि वे इस विषय पर संपादकीय लेख प्रकाशित करें।
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक हिंदुस्तान
नई दिल्ली।
महोदय
में इस समाचार पत्र का नियमित पाठक है। मुझे सरकारी कामकाज में हिंदी की उपेक्षा देखकर बहुत चिंता होती है। इसलिए में जनता और सरकार का ध्यान राजभाषा हिंदी की ओर खींचना चाहता हूँ। कृपया मेरे निम्नलिखित विचार छापकर अनुगृहीत करें-
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 66 साल बाद भी हम अपनी भाषा का सम्मान करना नहीं सीखें। हम अब भी अपनी गुलामी की निशानी को बड़े गर्व से ढो रहे हैं। जिस भाषा ने हमें गुलाम बनाया, उसको प्रणाम करना और अपनी मातृभाषा को दुत्कारना परतंत्रता की निशानी है। परंतु न तो सरकार सचेत है और न कर्मचारी। सरकारी कर्मचारी सरकार की नातिया का निहारा करते हैं। दुर्भाग्य से सरकारी अफसर और मंत्री ही राजभाषा के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। यह चितनीय है। देश के नागरिक होने के नाते मेरी सबसे विनती है कि अपनी राजभाषा को व्यवहार में लाएँ। तभी हम सच्चे भारतीय कहलाने के अधिकारी होंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
अवतार सिंह
नवदीप भवन, माल रोड
दिल्ली।
13 सितंबर, 2014