हिंदी और भारत का भविष्य
Hindi aur Bharat ka Bhavishya
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। यह चाहे कानूनी तौर पर अंग्रेजी भाषा के कारण संवैधानिक रूप से राजभाषा का दर्जा प्राप्त न कर पाई हो लेकिन व्यवहार में राजभाषा के समान प्रचारित-प्रसारित हो रही है। यो तो भारत में अनेक भाषाएँ बोली, पढ़ी-लिखी जाती हैं पर सबसे अधिक हिंदी ही है। भारत का भाविष्य हिंदी में ही है। यह भारत की संपर्क भाषा है। यह समाज के विभिन्न वर्गों या निवासियों के बीच संपर्क के काम आती है। प्रशासन को पूरे अगों से जोड़ने के लिए हमने राजभाषा को अपनाया। इस दष्टि से राजभाषा भी औपचारिक रूप में संपर्क भाषा ही है। राजभाषा के जरिए देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न विधायी निकाय एक-दूसरे से संपर्क साधते हैं। विभिन्न न्यायालय एक समन्वित इकाई के रूप में काम करते हैं। देश के विभिन्न कार्यालय एक-दूसरे से संपर्क साधते हैं। संपर्क का अर्थ है पूरे देश को जोड़ने को बात। तमिलनाडु और आन्ध्रप्रदेश के लोग तब तक एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर सकते जब तक उनके लिए एक भाषाई माध्यम न हो। और यह एक भाषायी माध्यम हिंदी ही हो सकती है। इस प्रकार हिंदी को ही ऐसी भाषा के रूप में देखते हैं। जो पूरे देश में किसी न किसी रूप से पढ़ी-लिखी या बोली जाती है। विदेशों में भी बसे भारतीय अपने लिए सांस्कृतिक वातावरण निर्मित करने के लिए हिंदी का प्रयोग करते हैं। ऐसे में हिंदी भारत की संपर्क भाषा के रूप में अहम भूमिका निभा सकती है, और निभा भी रही है। इसी से किसी भी देश की संपर्क भाषा बनाने के लिए उसके लिए एक अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है। लोग हिंदी के माध्यम से तभी एक-दूसरे से संपर्क करेंगे जब हिंदी उन्हें आती है। इस नजरिए से देखन पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि भारत में हिंदी के लिए एक बड़ा आन्दोलन चला है। इस आन्दोलन ने पूरे देश में हिंदी का माहौल बनाया है। वैसे भी संविधान के अनुच्छेद 351 के तहत हिंदी परे देश की सामाजिक संस्कृति की वाहक है। राष्ट्रभाषा वह भाषा है जो देश को जोड़ती है। देश के विभिन्न साहित्यों और संस्कृतियों का माध्यम बनती है। लोग उसे मन से अपनाते हैं। हिंदी भाषा में वे सब गुण उपलब्ध हैं जो किसी राष्ट्रभाषा में होने चाहिए। इसलिए हिंदी देश में संपर्क भाषा के माध्यम के रूप में अपनाई जा रही है और यह उचित भी है। कोई भी देश तभी उन्नति कर सकता है जब उसका विकास उसकी भाषा में किया जाए। आज ललित साहित्य से लेकर विज्ञान प्रौद्योगिकी तक में हिंदी का उपयोग हो रहा है। कई राज्यों के न्यायालय में हिंदी में निर्णय लिखे जाते हैं। हिंदी में वकील मुकदमें की बहस करते है। हिंदी में ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता सुरक्षित है। हिंदी ही भारतीयों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर सकती है। अगर विश्व में आज योग अन्तरराष्ट्रीय योगदिवस मनाया जाता है तो इसके पीछे भी किसी न किसी रूप में हिंदी ही है। अंग्रेजी तो कुछ पाश्चात्य संस्कृति की हिमायत करने वाले लोगों की भाषा है। सही अर्थों में हिंदी ही ऐसी भाषा है जिसके बल पर राष्ट्र आज दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। आज तो वे देश भी हिंदी का सम्मान करने लगे है जिनकी भाषा अंग्रेजी है।