हमें चाहिए अच्छे शिक्षक
Hame Chahiye Ache Shikshak
शिक्षक राष्ट्र का निर्माता है। वह राष्ट्र की संस्कृति का संरक्षक है। वह शिक्षा से हमारे बालकों में सुसंस्कार डालता है। उसे अजान से ज्ञान की ओर ले जाता है और उसे श्रेष्ठ नागरिक बनाता है। वे राष्ट्र के बच्चों को शिक्षित ही नहीं करता अपितु अपने उपदेश के माध्यम से उनके ज्ञान का तीसरा नेत्र भी खोलता है। वह अपने छात्रों को इतना संस्कारवान बनाता है कि अपना भला-बरा सोच सके। हित-अहित सोच सके। राष्ट्र के समग्र निर्माण में शिक्षक का हाथ होता है।
लेकिन यह सब अच्छे शिक्षक के बल पर ही हो सकता है। अच्छे शिक्षक का यह अर्थ कदापि नहीं है कि वह ज्ञान में पूर्ण पारंगत हो, यह गुण भी उसमें होना अनिवार्य है, क्योंकि इसके बल पर वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकता है उनमें किसी भी बात को देखने की सूक्ष्म आलोचनात्मक दृष्टि दे सकता है परन्तु इससे भी अधिक आवश्यक है कि वह संस्कारयक्त होना चाहिए। अगर पढ़ा-लिखा शिक्षक चारित्रिक अवगुणों से भरपूर होगा तो वह उसी प्रकार त्याज्य है जिस तरह मणि से आभूषित सर्प। अत: हमें ऐसे शिक्षक चाहिए जो तन से शक्तिशाली हो और जिनमें कुशाग्र बुद्धि का भंडार हो।
देश में आज पढ़ाई का स्तर गिरने का एक कारण यह भी है कि शिक्षकों को केवल अपनी तनख्वाह और मौजमस्ती से मतलब है। उन्हें बच्चों को संस्कारवान व सुशिक्षित बनाना है, इसे वे भूल गए हैं। विडंबना यह है कि सरकारी स्कूलों में कुछ संस्कार वान शिक्षक आते हैं पर उनका विषय का ज्ञान कम होता है जबकि पाश्चात्य संस्कृति से युक्त विद्यालयों में विषय के मर्मज्ञ शिक्षक आते हैं पर वे पाश्चात्य संस्कृति में रंगे होने के कारण भारतीय संस्कृति से भिन्न होते हैं।
परिणामत: छात्रों में सौ अवगुण लगा देते हैं। जब शिक्षक अपनी छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करता है, उनके साथ मदिरा पान, सिगरेट पीता है तब उसके छात्र संस्कारी विद्यार्थी कैसे बन सकते हैं? अत: हमें चाहिए अच्छे शिक्षक जो हमारे छात्रों को न केवल ज्ञान में पारंगत बनाएँ अपितु संस्कारवान भी बनाएँ।