Hamara Pyara Bharatvarsh “हमारा प्यारा भारतवर्ष” Hindi Essay 700 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

हमारा प्यारा भारतवर्ष

Hamara Pyara Bharatvarsh

 

हमारा देश भारत है। हम सब इसकी संतान हैं। इसके प्रति हमारे मन में ममता होना स्वाभाविक है। हमारे प्राचीन ऋषियों और सभी काल के कवियों ने इसके सम्मान में गीत गाए हैं। संसार के जिस व्यक्ति ने भारत को देखा है, उसने इसकी जी-भरी प्रशंसा की है भारत में जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं।

“जननी जन्म-भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” कहकर अपनी मात भमि को नमस्कार करने वाले भारतवासियों को अपने तन, मन तथा धन से भी अधिक प्रिय अपना देश भारत वर्ष है। जिस वस्तु से क्षणिक संपर्क होता है, उसे भी वह भूल नहीं पाता है। जिस व्यक्ति के उपकार से उसका कल्याण होता है, उसके प्रति वह सदा कृतज्ञ रहता है। जहाँ उसका जन्म हुआ है जिस मिट्टी में लोट-लोट कर वह बड़ा हुआ है, जिस धरती के अन्न-जल ने उसे पुष्ट किया है, उस धरती को वह कैसे भूल सकता है, वह तो उसके लिए सबसे प्यारी धरती है।

हमारा हिन्दुस्तान विशाल देश है। इसकी जनसंख्या एक करोड़ के लगभग पहुँच चुकी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमने धर्म-निरपेक्ष गणतंत्र की स्थापना की । हमारे यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख आदि सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। कभी-कभी विचारों की भिन्नता भी पैदा हो जाती है। यहाँ, हिंदी, संस्कृत, मराठी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल, तेलगू आदि अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। कभी-कभी यह भाषामोह भी हमारे अंदर आपसी भेदभाव उत्पन्न कर देता है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह हमारा अपना देश है। यहीं हमारा जन्म हुआ है। हमारे आपसी झगड़े इसे कमजोर बना सकते हैं। अतः हमें परस्पर स्नेह और प्रेम के साथ रहना चाहिए। उर्दू के कवि इकबाल साहब ने ठीक ही कहा है कि

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हिंदी हैं हम, वतन है, हिंदोस्तां हमारा॥

हमारी संस्कृति का मूल-मंत्र भी यही है। जो लोग धर्म के नाम पर घृणा, बैर-भाव और ईर्ष्या-द्वेष फैलाते हैं, वे सच्चे भारतवासी नहीं है। ऐसे लोग निश्चय ही देश-प्रेमी नहीं होते हैं।

भारत की प्राकृतिक सजावट असाधारण तथा अद्वितीय है, लगता है कि प्रकृति ने स्वयं इसे सजाया-संवारा है। हिमालय सीमा पश्चिम से पूरब तक फैली हुई है। हिमालय संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह उत्तर से आने वाले बर्फीली हवाओं से हमारी रक्षा करता है। हिमालय की तराई में सघन वन हैं, जिनसे इमारती लकडियां और तरह-तरह की जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं। गंगा-यमुना के समतल मैदान जैसा उपजाऊ मैदान संसार में कहीं नहीं है, बसंत ग्रीष्म आदि छः ऋतुएँ
भारत में नियमित रूप से आती है । यहाँ खनिज संपदा भी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है, संक्षेप में भारत भूमि अपना रतनगर्भ नाम सार्थक करती है ।

जातिवाद तथा प्रांतियता हमारे देश की एक समस्या है, जिसके कारण हमार देश को बहुत हानि हुई है। यह समस्या लगातार सिरदर्द बनी हुई है। एकता दरार लाने में इन भावनाओं ने बहुत काम किया है इसके कारण ही भारत को विविधताओं का देश कहकर पुकारा गया, भगवान श्री कृष्ण, करूणानिधि बुद्ध और मर्यादा पुरूषोतम राम ने यहीं अवतार लिया था। नानक, नरसिंह, कबीर तकाराम और ज्ञानेश्वर आदि भारत के महान संत थे। चंद्रगुप्त, शिवाजी, अशोक राणाप्रताप और महाराजा सूरजमल जैसे अनेक वीर इसी देश में पैदा हुए थे। वीर सुभाष, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौहपुरूष सरदार पटेल, शांतिदूत जवाहर जैसे नवरत्नों ने भारत माता की कीर्ति में चार चाँद लगा दिए थे। जगदीश चंद्र और सी. वी. रामन जैसे वैज्ञानिक, अरविंद और विवेकानंद जैसे विचारकों के कारण भारत का मस्तक आज संसार में ऊँचा है। टैगोर, बाल्मीकि, व्यास और कालिदास जैसे महाकवियों ने विश्व-प्रतिभाओं के बीच में स्थान पाया है। भारत के वेद ग्रंथों की रचना संसार के श्रेष्ठ एवं प्राचीनतम साहित्य में होती है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से बाहर उसका कोई अस्तित्व नहीं। हम सत्य सहनशीलता, स्वर्थ, धैर्य, त्याग और भाईचारे के बल पर अपने देश की अंतर्राष्ट्रीय एकता को मजबूत करके अच्छे राष्ट्र को निर्माण कर सकते हैं। हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने देश या प्रांत के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दें, तभी भावनात्मक एकता विकास कर सकती है। राष्ट्रीय एकता शक्ति प्रकट करती है। आज प्रत्येक कठिनाई इसी शक्ति से हल की जा सकती है। अतः हमें छोटी-मोटी बातें भूलकर अपनी तथा देश की भलाई के लिए राष्ट्रीय एकता बनाई रखनी चाहिए।

हमारा कर्तव्य है कि अपने देश को. अपने प्रेम के बल से, इतना उन्नत कर दें, कि वह विश्व के उच्चतम राष्ट्रों में गौरवपूर्ण प्राप्त कर सके, तभी हम एक सच्चे स्वदेश प्रेमी और देशभक्त कहला सकेंगे।

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