गामा पहलवान
Gama Pehlwan
जन्म : 1882 जन्मस्थान : अमृतसर
गामा पहलवान को कुश्ती का बचपन से ही शौक़ रहा। बीस वर्ष की उम्र होते-होते उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के सभी कुश्तीबाज़ों को हरा दिया। उन्हें ‘रुस्तमे हिन्द’ की उपाधि भी दी गई।
गुलाम मुहम्मद गामा का जन्म अमृतसर में हुआ। उन्हें कुश्ती लड़ने में बहुत आनंद आता था। वह ‘गामा पहलवान के नाम से जाने जाते थे।
गामा पहलवान ने भारतीय स्टाइल की कुश्ती को अन्तरराष्ट्रीय खेलों में शामिल करा दिया। यह अन्तरराष्ट्रीय ख्याति दिलाने का श्रेय गामा पहलवान को ही है जिन्हें ‘रुस्तमे हिन्द’ की उपाधि दी गई थी। इस खेल की बारीकियां और ट्रिक्स उनकी रग-रग में समायी हुई थी।
1910 में एक कुश्ती के मैच का आयोजन किया गया था जिसमें विजेता को ‘रुस्तमे हिंद’ की उपाधि दी जानी थी। गामा ने सभी पहलवानों को
आसानी से हरा दिया और ‘रुस्तमे हिन्द’ का ख़िताब जीत लिया। गामा का अंतिम कुश्ती मैच जे.सी. पीटरसन के साथ हुआ, जिन्हें उन्होंने मात्र 45 सेकंड में हरा दिया।
गामा पहलवान ने वर्षों तक कुश्ती का खेल खेला और सदैव विजयी रहे। गामा का एक बहुत बड़ा गुण यह था कि उनमें आत्म-सम्मान की भावना बहुत बलवती थी। वह दूसरे लोगों को जल्दी ही अपना मित्र बना लेते थे। भारतीय कुश्तीबाज़ी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता व लोकप्रियता दिलाने का श्रेय गामा पहलवान को ही जाता है।
2 मई, 1960 को गामा पहलवान का लम्बी बीमारी के बाद लाहौर (पाकिस्तान) में देहान्त हो गया। वह उस समय 80 वर्ष के थे।
उपलब्धियां :
- गामा पहलवान ने राष्ट्रीय स्तर के सभी वश्तीबाजों को हराया।
- उन्होंने भारतीय कुश्ती को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
- उन्होंने कुश्तीबाज़ी के मुकाबले में सभी पहलवानों को हराकर ‘रुस्तमे हिन्द’ की उपाधि पाई है वह वर्षों तक कुश्ती के मुक़ाबलों में भाग लेते रहे और सदैव विजयी रहे।