एक और एक ग्यारह होते हैं
Ek aur Ek Gyarah Hote Hai
गणितशास्त्र कहता है-एक और एक मिलकर दो होते हैं। भावनाओं की दुनिया विचित्र है। उसमें एक और एक ग्यारह होते हैं। आशय यह है कि सामूहिक बल में अत्यधिक शक्ति होती है। समूह में बल लगाने से शक्तियाँ जुड़ती ही नहीं, कई गुना बढ़ जाती हैं। मानव-जीवन का अध्ययन करें तो यह सत्य पग-पग पर घटित होता प्रतीत होता है। एक व्यक्ति अपने आप को अकेला पाता है। अकेलेपन के कारण वह स्वयं को कमजोर अनुभव करता है। उसका मन लक्ष्य की ओर उत्साह से नहीं बढ़ पाता। परंतु जैसे ही उसे अपना मित्र-साथी मिलता है, उनके काम की गति बढ़ जाती है। जो हाथ पहले उत्साहहीन, शिथिल और गतिहीन थे, अब उनमें बिजली जैसी तीव्रता आ जाती है। जो मन पहले मुरझाया-मुरझाया था, अब वह फूल की भांति खिल उठता है। यह तथ्य स्वयं में सत्य है कि एकता में बल है या संगठन में शक्ति है।
Ek aur ek gyarah Hindi nibandh