दशहरा (विजयादशमी)
Dussehra (Vijayadashami)
नवरात्रि में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती की पूजा-अर्चना के बाद दसवाँ दिन बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। यह रावण पर राम की विजय का उत्सव है। पूरे उत्तर भारत में यह त्योहार बड़ी धूम-धाम और उत्साह से मनाया जाता है। गाँव-गाँव में, शहर-शहर में राम-कथा (रामायण) का पाठ होता है। राम की लीला को, उनके आदर्श को, उनके पावन संदेश को ‘रामलीला’ के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया जाता है। की समाप्ति के बाद फसलें भी कटकर घरों में आ जाती वर्षा ऋतु हैं तो किसान भी उमंगित होता है। वातावरण में भी नई आशा का, उमंग और उल्लास का संचार होता है।
इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाकर उन्हें अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है। प्रतीक स्वरूप राम, लक्ष्मण, हनुमान बने पात्र धनुष-बाण चलाकर इनका दमन करते हैं। पुतले एक के बाद एक धू-धू कर जल उठते हैं। यह राम द्वारा पाप पर और बुराई पर अच्छाई की जीत का विजय पर्व है।
दिल्ली और कर्नाटक में दशहरे का आयोजन काफी उत्साह और जोर-शोर से किया जाता है। कर्नाटक में भी मैसूर का दशहरा उत्सव सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। इस दिन चामुण्डी पहाड़ी पर स्थित चामुंडेश्वरी (दुर्गा) के विशाल मंदिर में भव्य पूजा का आयोजन होता है। सम्पूर्ण एक विराट मेले का रूप ले लेता है। यहाँ तक कि नगर भी सजा-सँवरा लगता है।
दिल्ली में रावण दहन का आयोजन काफी भव्य होता है। 150 फुट तक ऊँचा रावण का पुतला बनाया जाता है। यहाँ की रामलीला के आयोजन भी काफी प्रसिद्ध हैं। कुल्लू (हिमाचल) का दशहरा भी जगप्रसिद्ध है।
प्राचीन परम्परानुसार यह क्षत्रियों का पर्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। यह विजय की प्रेरणा देने वाला त्योहार है।
दशहरे को कृषि का पर्व भी माना जाता है। क्योंकि इस समय तक रबी की फसल तैयार होती है। घर-घर में जौ की कोंपलें उगाई जाती हैं। इन कोंपलों को अष्टमी के दिन पूजा समाप्ति के बाद बच्चों के सिर पर रख, घर के दूसरे सदस्यों को प्रसाद रूप में वितरित कर देते हैं। दशहरा भूमि को धन-धान्य से पूर्ण, शस्य-श्यामला बनाने का त्योहार भी है। दशहरा खुशहाली, शक्ति, विजय और उल्लास का पर्व है।
राम की पूजा-अर्चना करने से दिन का प्रारंभ होता है। शाम तक दशहरा आयोजन स्थल किसी विराट मेले का रूप धारण कर लेता है। गाँवों से लेकर शहरों तक यह त्योहार बड़े उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है। आज का दिन राम के आदर्शों का पालन करने के लिए संकल्प लेने का दिन है।
कैसे मनाएँ दशहरा
How to celebrate Dussehra
- राम-सीता की तस्वीर रखें।
- माल्यार्पण कर दीप जलाएँ।
- यह राम की रावण पर विजय का पर्व है। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। बच्चों को राम के चरित्र की अच्छाइयों के साथ परिचित कराया जाए। राम का भाइयों के साथ प्रेम के उदाहरण बच्चों को बताए जाएँ।
- दशहरा क्षत्रियों का पर्व भी है तो कृषकों का भी। यह मैसूर, दिल्ली व कुल्लू में कैसे मनाया जाता है इस सबके बारे में बच्चों को बताया जाए।
- रामलीला के किसी बालोपयोगी अंश का मंचन करवाया जाए।
- बच्चों की रावण दहन के चित्र बनाने की प्रतियोगिता रखी जाए।
- कागज व बाँस की तीलियों से रावण बनाने की प्रतियोगिता भी रखी जा सकती है।
- राम के भजन व रामायण के किसी अंश का सस्वर पाठ रखा जाए।
- रावण दहन का आयोजन भी किया जा सकता है जिसमें बच्चों से कहा जाए कि वे अपनी एक बुरी आदत कागज की पर्ची पर लिखकर रावण के पुतले के साथ उसे जला दें। इस बुराई पर जीत ही बच्चे का विजय दिवस बने ।