धनोपार्जन के मूल्यहीन तरीके
Dhanoparjan ke Mulyaheen Tarike
नैतिक संस्कार से दूर होकर आज का व्यक्ति केवल धन अर्जित करने में लगा है। इसके लिए वह मूल्यहीन उपाय अपना रहा है। उसका एकमात्र लक्ष्य धन अर्जित करना है। भले ही इसके लिए उसे कितने ही मल्यहीन उपाय क्यों न अपनाने पड़ें। देश में ऐसे लोगों का अभाव नहीं है जिनका धंधा भ्रष्टाचार के बल पर चल रहा है। जैसे कोई बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के काम में एक बच्चे के अभिभावक से पचास हजार से एक लाख तक वसूल रहे हैं। कुछ पासपोर्ट बनवाने का काम करते हैं तो कुछ ड्राइविग लाइसेंस बनवाने का। कुछ जरूरतबंद लोगों को महंगे ब्याज पर रुपए दिलाने का काम करते हैं। इन लोगों का प्रशासनिक भ्रष्टाचारी कर्मचारियों से संबंध होता है। वे उनसे ये काम करवाते हैं। उन्हें भी देते हैं और स्वयं भी खाते हैं। कुछ लोग खून बेचकर या किडनी बेचकर धन अर्जित कर रहे हैं। उन्हें यह मालूम नहीं है कि किचित धन के लिए वे अपना स्वाथ्य खतरे में डाल रहे हैं। कुछ भ्रमित विज्ञापन देकर समाज को लूट रहे हैं। कुछ महिलाएँ स्वाभिमान बेचकर वेश्यावृत्ति से अकूत संपत्ति अर्जित कर रही हैं। अफसोस यह है कि ये सब पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। कई अपने आपको उच्च पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को ठग रहे हैं। कुछ नकली दवाएँ बेचकर धन अर्जित कर रहे हैं। कुछ लोग अंधविश्वासी लोगों को तांत्रिक बनकर ठग रहे हैं। मूल्यहीन तरीकों से धन अर्जित करना कुछ समय तक व्यक्ति को सुख देता है। ऐसे व्यक्ति शीघ्र पकड़े जाते हैं और समाज में स्वयं भी अपमानित करते हैं और परिवार को भी करते हैं।