राष्ट्रमंडल खेल
Commonwealth Games
दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया जाना है। इसके लिए सरकार की ओर से चाक-चौबंद सुरक्षा की गई है। यह आवश्यक भी था। आखिर पूरे विश्व के खिलाड़ी भारत आ रहे हैं। इधर विश्व आतंकवादी समस्या से जूझ रहा है। कई देशों में इससे पूर्व ऐसी गतिविधियाँ पकड़ी जा चुकी हैं जो खेल उत्सव को नुकसान पहुंचा सकती थीं। भारत तो कई सालों से आतंकवादी गतिविधियों से संघर्ष कर रहा है। इसे देखते हुए यहाँ सुरक्षा-चाक-चौंबद होनी ही चाहिए थी। जिन-जिन खेल स्टेडियम में ये खेल आयोजित किए जाने हैं, वहाँ एक हफ्ते पहले से सीमा सुरक्षा बल तैनात किया जा चुका है। यह बल भीतर और बाहर दोनों ओर तैनात है। सादी वर्दी में भी है और पारम्परिक वर्दी में भी। खेल स्टेडियमों की ओर जाने वाले रास्तों के चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। इसके अतिरिक्त सी.बी.आई. के दस्ते भी तैनात किए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों से आवश्यकता पड़ने पर अन्य सुरक्षा कर्मी भेजने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। बम निरोधक दस्ते, अग्नि शमक दल भी लगाए गए हैं। प्रत्येक खेल स्टेडियम पर बहुत निकट तैनात हैं ताकि तत्काल सहायता ली जा सके। इसके अतिरिक्त राष्ट्रमंडल खेल देखने आने वाले दर्शकों को भारी सुरक्षा से गुजरने के प्रबंध किए गए हैं। हवाई अड्डों पर भी कड़े प्रबंध किए गए हैं। विभिन्न देश की सरकारों के महत्त्वपूर्ण अतिथियों के लिए अलग प्रबंध किए गए हैं। आखिर सुरक्षा चाक-चौबंद क्यों न हो? यह भारत की प्रतिष्ठा का प्रश्न भी तो है!