अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान और सद्व्यवहार की सीख दीजिए।
अमन शाह
कावेरी भवन
गोयन्का स्कूल, छात्रावास
अहमदाबाद
17.2.2015
प्रिय प्रवीन
प्रसन्न रहो!
आशा है, तुम प्रसन्न होगे। मैं भी यहाँ कुशल हैं। कल ही यहाँ एक दुखदायक घटना हो गई। हमारे पड़ोसी भीमसिंह ने अपने बूढ़े पिता को घर से बाहर निकाल दिया। सोचकर ही मैं सिहर गया हैं। पता नहीं, उसने इतना अत्याचार कैसे किया होगा? क्या ऐसा भी दिन आ सकता है जब हम अपने बड़े-बूढों को फालतू मानकर घर स चलता कर देते हैं।
सोचने पर मुझे लगा कि ऐसी घटनाएँ अचानक नहीं हुआ करतीं। बड़ों का सम्मान न करने की आदत ही उसे ऐसा कठोर बना पता है। कई बार हम अपने आसपड़ोस में रहने वाले बड़ों, प्रौढों और बूढ़ों को बुड्डा, फालतू, खब्ता, सनकी और बेकार बोल कर उनकी उपेक्षा करने लगते हैं। यही बुरी आदत ही आगे चलकर ऐसे खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाता है। मेरी तुझे सलाह है कि अपने वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान और सव्यवहार हमेशा बनाए रखना। उनका कोई आदत तुम परेशान करती हो तो भी उसे सहन करना।
तुम्हारा भाई
अमन शाह