छोटे भाई को मार्ग दर्शन देने संबंधी पत्र
अम्बिकापुर
दिनांक 15-6-08
प्रिय पराग,
शुभाशीष।
तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि पढ़ाई-लिखाई के कार्य में तुम उत्तरोत्तर प्रगति कर रहे हो। शाला के उत्कृष्ट छात्रों में तुम्हारी गणना की जा रही है।
तुम्हें यह स्मरण रखना चाहिये कि विद्यार्थी जीवन ही उज्जवल भविष्य की आधारशिला है। शिक्षा का लक्ष्य है कि छात्र अपना सर्वांगीण विकास करने की दिशा में सजग रहें।
बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास भी आवश्यक है। व्यायाम एवं खेलकूद की ओर भी ध्यान देना जरूरी है। व्यायाम एवं खेलकूद हमारे शरीर को पुष्ट बनाते हैं।
विद्यार्थी जीवन में सचरित्र की ओर भी यथेष्ट ध्यान देना चाहिये क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति ही जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। अतः मैं चाहती हूँ कि तुम शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक सभी दृष्टियों से अपना विकास करने का प्रयास करो।
ईश्वर तुम्हारी प्रगति के मार्ग को प्रशस्त करे, जिससे तुम देश के प्रतिभा संपन्न नागरिक बनकर हम सबको गौरवान्वित कर सको।
तुम्हारी अग्रजा
बिंदिया