बिशन सिंह बेदी
Bishan Singh Bedi
जन्म : 25 सितम्बर, 1946 जन्मस्थान : अमृतसर (पंजाब)
बिशन सिंह बेदी का नाम विश्व के श्रेष्ठतम स्पिन गेंदबाजों में लिया जाता है। वह अपने समय में अत्यन्त लोकप्रिय खिलाड़ी रहे। बेदी को 1969 में भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया तथा 1970 में ‘पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बेदी ने 1968-69 में पंजाब के विरुद्ध हैट्रिक लगाई थी।
बिशन सिंह बेदी अपने समय के सर्वश्रेष्ठ बायें हाथ के स्पिनरों में से एक रहे। वह दर्शकों तथा विदेशी टीमों में समान रूप से लोकप्रिय रहे।
बिशन सिंह बेदी ने अमृतसर के दो प्रसिद्ध कॉलेजों-खालसा कॉलेज तथा हिन्दू कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता ज्ञान सिंह ने उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी कोचिंग प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश द्वारा हुई तथा कॉलेज के कैप्टन गुरपाल सिंह ने उनको खेल के प्रति पूरा सहयोग और समर्थन दिया। अतः वह अपने स्कूल व कॉलेज दोनों में अत्यन्त सफल खिलाड़ी रहे। बाद में उन्होंने रेलवे और पंजाब के लिए भी खेला। बेदी ने 1965 में नार्थ जोन अन्तरविश्वविद्यालय फाइनल में मेरठ में दिल्ली के विरुद्ध खेल में अत्यन्त बेहतरीन प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बेहद सराहनीय रहा।
बिशन सिंह भारतीय क्रिकेट में प्रसिद्ध चौकड़ी के चार लोगों में से एक थे। उनके अतिरिक्त प्रसन्ना, वेंकट तथा चन्द्रशेखर इस चौकड़ी में शामिल थे। बिशन सिंह उन खिलाड़ियों से इस मामले में थोड़ा अलग थे कि वह हर बार भारतीय टीम में जरूर शामिल किए जाते थे, जबकि अन्य तीनों को एक या दो मैच में टीम से बाहर भी रहना पड़ता था।
बिशन सिंह बेदी ने अपना रणजी ट्रॉफी कैरियर उत्तरी पंजाब के साथ शुरू किया, परन्तु जल्दी ही 1968-69 में वह दिल्ली टीम में शिफ्ट हो गए। बेदी ने 76 रणजी ट्रॉफी मैच खेले। ये मैच उन्होंने 1961-62 से लेकर 1980-82 तक खेले। रणजी मैचों में बेदी ने 102 विकेट लिए तथा 6012 रन बनाए।
बेदी का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का प्रदर्शन 1974-75 में जम्मू-कश्मीर में हुआ। तब उन्होंने 5 रन देकर सात विकेट तथा 34 रन देकर 13 विकेट लिए। विशन सिंह बेदी ने 47 रणजी ट्रॉफी मैचों में टीम की कप्तानी की। उनका बेहतरीन प्रदर्शन 1968-69 में देखने को मिला जब उन्होंने पंजाब के विरुद्ध हैट्रिक बनाई। बेदी ने दलीप ट्रॉफी में उत्तरी जोन टीम की कप्तानी की। इसके अतिरिक्त ईरानी कप में भी उन्होंने तीन मैच खेले और सभी में अपनी टीम का नेतृत्व किया।
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मैच की शुरुआत उत्तरी जोन से खेलते हुए को जब उनकी टीम का मुक़ाबला माइक स्मिथ की कप्तानी वाली एम.सी.सी. टोम से हुआ। 1966 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेलते हुए हमेशा जीतने वाली वेस्टइंडीज़ टीम के विरुद्ध उन्होंने बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन की ओर से खेलते हुए अत्यन्त प्रभावशाली प्रदर्शन किया। उनका प्रदर्शन इतना शानदार था कि टीम की चयन समिति का ध्यान बिशन सिंह बेदी की ओर केन्द्रित हो गया और उसी वक़्त होने वाले कलकत्ता टेस्ट मैच के लिए बेदी को तुरन्त चुन लिया गया। यह मैच वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध खेला जाना था। यह मैच बिशन सिंह बेदी के खेल कैरियर की शुरुआत था। तब किसे पता था कि अगले 10 से भी अधिक वर्षों तक बेदी का क्रिकेट पर दबदबा व प्रभाव बना रहेगा।
बिशन सिंह बेदी ने 1979 तक 67 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने इन मैचों में 266 विकेट लिए। ये विकेट 28.71 की औसत से लिए गए। बेदी ने 22 टैस्ट मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उन्हें क्रिकेट में महत्त्वपूर्ण सफलता बॉबी सिम्पसन की आस्ट्रेलियाई टीम के विरुद्ध खेली गई सीरीज़ में मिली थी, यद्यपि लगभग बराबरी की टक्कर देते हुए भारतीय टीम 2-3 से 5 टैस्ट मैच की सीरीज़ हार गई थी। लेकिन टैस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास सदैव प्रशंसनीय रहेंगे।
बेदी को 1969 में भारत सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया तथा 1970 में उन्हें ‘पद्मश्री’ प्रदान किया गया। बिशन सिंह बेदी की एक बड़ी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से खेलों में रंगभेद की नीति पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। कमेटी के नाइजीरियाई चेयरमैन ने उनका परिचय ‘विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाजों में से एक खिलाड़ी’ कह कर करवाया।
किस्ट्रोफर मार्टिन जेनकिन ने भी उन्हें अपनी पीढ़ी का अति श्रेष्ठ गेंदबाज़ बताकर उनकी प्रशंसा की।
उपलब्धियां :
- बेदी ने 76 रणजी ट्रॉफी मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें उन्होंने 402 विकेट लिए तथा 6012 रन बनाए।
- 1968-69 में पंजाब के विरुद्ध हैट्रिक बनाई। है उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 47 बार कप्तानी की।
- उन्होंने दलीप ट्रॉफी में उत्तरी जोन के लिए भी कप्तानी की है बेदी ने 1979 तक 67 टैस्ट मैच खेले जिनमें उन्होंने 266 विकेट 71 की औसत से लिए।