भ्रष्टाचार: एक समस्या
Bhrashtachar : Ek Samasya
भ्रष्टाचार का अर्थ है-भ्रष्ट आचरण। रिश्वत, कामचोरी मिलावट कालाबाजारी, मनाफाखोरी, भाई-भतीजावाद, जमाखोरी, अनुचित कमीशन लेना, चोरों-अपराधियों को सहयोग देना आदि सब भ्रष्टाचार के रूप हैं। दुर्भाग्य से आज भारत म भ्रष्टाचार का बोलबाला है। चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक सब भ्रष्टाचार के दलदल में लथपथ हैं। लज्जा का बात यह है कि स्वयं सरकारी मंत्रियों ने करोड़ों-अरबों के घोटाले किए हैं। भ्रष्टाचार फैलने का सबसे बड़ा कारण है-प्रबल भागवादा हर कोई संसार-भर की संपत्ति को अपने पेट, मुंह और घर में भर लेना चाहता है। दूसरा बड़ा कारण है-नैतिक, धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव। अन्य कुछ कारण हैं-भूख, गरीबी, बेरोजगारी आदि। भ्रष्टाचार को मिटाना सरल नहीं है। जब तक कोई ईमानदार शासक प्रबल इच्छा शक्ति से भ्रष्टाचार के गढ को नहीं तोडता, तब तक इसे सहना होगा। इसके लिए भा शिक्षकों, कलाकारों और साहित्यकारों को अलख जगानी होगी।