भारतीय युवक कैसे करें देश सेवा
Bharatiya Yuvak Kaise kare Desh Seva
जब देश सेवकों को एक पीढ़ी आयुवद्ध हो जाती है तब दूसरी पीढ़ी नए सपने लेकर देश-सेवा में प्रवृत्त होती है। यह होती है युवा पीढी। युवा को विद्यार्थी जीवन से राष्ट्र की सामजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी आदि स्थितियों का ज्ञान होता है। इसलिए युवा वर्ग इनमें से देश-सेवा के लिए अपनी कोई भी दिशा का चुनाव कर सकता है। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका के महत्व को संविधान ने भी स्वीकार है इसलिए उसने युवाओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी। इसका एक लाभ यह हुआ कि युवा मतदान से ऐसी सरकार का चुनाव कर सकते हैं जो भ्रष्टाचार से मुक्त हो। युवाओं को देश की सेवा सबसे पहले यों करनी चाहिए कि वह अपने देश के लिए पूर्णत: समर्पित होने चाहिए। राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र के प्रति अनन्य निष्ठा, राष्ट्रहित को सर्वप्रथम मानना चाहिए। राष्ट्रीय एकता के लिए उन्हें अपने तन-मन-धन को न्योछावर कर देना चाहिए। देश की प्रमुख समस्याओं में एक बड़ी समस्या है धर्मनिरपेक्षता से प्रेम। युवाओं को भारतीयों में धर्मनिरपेक्ष भावना की पूर्ति के लिए निरन्तर प्रयास करना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि देश में कहीं भी सांपगायिक तनाव न हो। यह सांप्रदायिकता की देश की बड़ी हानि कर सकती है। युवा देश में जो भी जिस राष्ट्रसेवा में कार्यरत है उसमें उसे तन-मन से लग जाना चाहिए। अगर वह अपने काम को सुचारु कर रहा है तो देश सेवा कर रहा है। केवल सीमा पर हथियार लेकर लड़ना ही देश सेवा नहीं है, देश सेवा यह भी है कि आप देश के जिस भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उनमें पूरी तरह समर्पित हो जाएँ। अगर आप किसी अस्पताल में नर्स हैं और अपने काम को पूरी ईमानदारी से अंजाम दे रही हैं तो देश-सेवा कर रही हैं। अगर इंजीनियर हैं और आपको देश के निर्माण का जिम्मा दिया गया है तो वहाँ रहकर भी देश की सेवा कर रहे हैं। अगर देश औद्योगिक दृष्टि से उन्नत होगा. कषि दृष्टि से उन्नत होगा, सांस्कृतिक और राजनैतिक दृष्टि से उन्नत होगा तो देश उन्नति के शिखर पर खड़ा होगा। युवा देश में जहाँ भी काम कर रहे हैं, उसी क्षेत्र में पूरी ईमानदारी से काम करना देश सेवा है।