बेमेल विवाह
Bemel Vivah
भारतीय समाज में इक्कीसवीं शताब्दी में भी बेमेल विवाह देखे जा सकते हैं। बेमेल विवाह से अभिप्राय है ऐसा विवाह जिसमें वर-वधु की आयु में अच्छा खासा अन्तर हो। यह समस्या इतनी विकट है कि इससे परिवार के परिवार नष्ट होते चले जाते हैं। वधु की आयु सोलह साल और वर की आयु 50 साल। यह ऐसी उम्र की दरार है जिसका भरपाना आसान काम नहीं है। वधु की अतृप्त इच्छाओं को पचास साल अथवा साठ-साल का वर तृप्त नहीं कर पाता तब कुछ वधएँ गलत रास्ता अपना लेती हैं। कई बार ऐसा होता है कि वधु जब तक युवावस्था में पहुँचती हैं तब तक वर साठ-पैसठ साल में इस संसार से कूच कर जाते हैं। बेचारी वधु को एकाकी जीवन व्यतीत करना पड़ता है। वह ईमानदारी से नेक जीवन बिता भी रही हो, समाज के भूखे लोग उन्हें शान्ति से जीवन जीने नहीं देते। परिणामस्वरूप एक बार जब ऐसी युवा वधु कीचड़ में फंसती है तो फंसती चली जाती है। बेमेल विवाह की एक समस्या यह भी आती है कि युवा पली छोटी आय में बच्चे को जन्म देती है, बच्चा अभी किशोर अवस्था तक पहुंचा ही होता है कि पति का वृद्ध होने पर निधन हो जाता है। ऐसे में पत्नी और किशोर का जीवन कच्चा रह जाता है। दोनों ही जीवन विकसित नहीं हो पाते। भारत सरकार ने बेमेल विवाह की कुप्रथा रोकने के लिए सशक्त कानून बनाए है। इसके बाद भी चोरी छिपे इस तरह के विवाह हो जाते हैं जो वधु और उसकी संतान के लिए अभिशाप बन जाते हैं। बेमेल विवाह रोकने का एक ही उपाय है कि समाज के सुधारवादी संगठन आगे आएँ और इस तरह के विवाह होने से रोकें।