बढ़ती रेल दुर्घटनाएँ
Badhti Rail Durghatnaye
पिछले कुछ महीने से रेल दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन दुर्घटनाओं का कुछ कारण तो तकनीकी है पर कुछ शरारत भी। कुछ देश से प्यार न करने वाले अपना मकसद हल करने के लिए जानबूझकर रेल की पटरियों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे देश की संपत्ति की हानि होती है साथ ही जान-माल की हानि भी होती है। इन दिनों सर्दियों में शायद ही कोई महीना गया है जब रेल दुर्घटना का समाचार न सुना हो। लोगों को अपनी बात शान्तिपूर्वक कहने का अधिकार है। यह अधिकार हमें संविधान ने दिया हुआ है। इसका अर्थ यह तो नहीं है कि हम अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करते हुए रेले उखाड़ें। यह कल्पना करते ही दिल दुखी हो उठता है कि अमुक रेल दुर्घटना में अपना प्रियजन चला गया अथवा हमेशा के लिए अंगहीन हो गया। क्या सरकार के पास इतने साधन हैं कि वह हर रेल मार्ग पर सुरक्षा गार्ड खड़े कर सके? यह तो हमें खद सोचना होगा कि अपना मकसद हल करने के लिए रेलमार्ग में बाधा न पहुंचाएं। दूसरी बात तकनीकी की है। कई बार रेल दुर्घटना चालक अथवा सिग्नल मेंन को असावधानी से घट जाती है। इसके लिए जिम्मेदार को हम सस्पेंड कर अपना फर्ज पूरा कर लेते हैं। वस्तुतः अगर कोई इसमें दोषी पाया जाता है तो निश्चित रूप से उसे न्याय के मताबिक दंड देना चाहिए। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब हम अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाएंगे तो रेल दुर्घटनाएँ नहीं घटेगी।