बढ़ती महंगाई का रसोई पर प्रभाव
Badhti Mehangai ka Rasoi par Prabhav
इस समय गरीब लोगों को अपना जीवन जीना मश्किल होता जा रहा है। हर चीज़ महँगी होती जा रही है। बहुत सीमित आय वाला व्यक्ति बहुत तकलीफ में है। महँगाई का सबसे बुरा प्रभाव रसोई के बजट पर पड़ा है। बाजार जाता है तो खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत देखकर सर पीट लेता है। हर चीज़ के दाम पिछले महीने से बढ़े हुए मिलते हैं। पिछले महीने रसोई गैस 600 रुपए की आई थी इस बार 625 रुपए की आई है। आटा पिछले महीने 260 रुपए का दस किलो था, इस बार 275 रुपए का दस किलो है। रिफाइंड घी और सरसों के तेल के भी दाम बढ़ गए हैं। घी 85 रुपए लीटर और तेल 90 रुपए लीटर था, इस बार इन दोनों पर भी दस-दस रुपए की बढ़ोतरी हुई है। कोई भी सब्जी चालीस-पचास रुपए किलो से कम नहीं है। दालों की तो बात ही छोड़ दिए। मध्यवर्ग ने इसे खाना बंद कर दिया है। 150 रुपए से 200 रुपए किलो की दालें भला कौन खाएगा? इसी तरह मसाले आदि भी महँगे हो गए हैं। सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाती है तो खाद्य पदार्थों के दाम अघोषित रूप से बढ़ जाते हैं। चीनी तो चालीस से पचास रुपए किलो बिक रही है। अगर सरकार ने खाद्य पदार्थो की बढ़ती कीमतों पर तत्काल लगाम नहीं लगाई तो गरीबों के लिए आत्महत्या ही रास्ता रह जाएगा।