Badh ki Vibhishika “बाढ़ की विभीषिका ” Hindi Essay 400 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

बाढ़ की विभीषिका 

Badh ki Vibhishika

मैं मुरादनगर उत्तरप्रदेश में रहता हूँ। पिछले इतवार की बात है। जब हम घरों में सुख की नींद सोए हुए थे तभी अचानक सड़कों पर शोर सुनाई दिया। शोर सुनकर जैसे ही बाहर आए तो लोग चिल्ला रहे थे- ‘बाढ आ गई-बाढ़ आ गई….।’ लोग घरों से निकल कर भागे जा रहे थे। हमने देखा कि घरों में पानी भरने लगा था। लोग पानी से बचने के लिए अपनी ऊपर की मंजिल पर चढ़ने लगे थे। हम भी अपने मकान की दूसरी मंजिल पर चढ़ गए। पता नहीं चल रहा था कि पानी कहाँ से आ रहा है। एक घंटे के भीतर गलियों की सड़कों पर एक-दो फुट पानी चढ़ गया। सड़कों से पानी घरों में घुसने लगा था। पानी का बहाव इतना तेज था कि किसी की हिम्मत सड़क पर जाने की नहीं हो रही थी। सब को अपनी जान की पड़ी थी। रात भर पानी बढ़ता रहा। निचले की पूरी मंजिल को डबो गया। लोग टी.वी. पर चिपके बैठे थे। टीवी से रात तीन बजे सूचना मिली कि गंग नहर का बाँध टूट गया है। बाँध की मरम्मत के लिए अधिकारी पहुँचने शुरू हो गए हैं और उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया है। उधर, आसपास के इलाकों में बचाव दल ने बहुत सी नावों का इंतजाम कर दिया था। जो लोग रात की ड्यूटी कर घर लौटना चाहते थे. उन्हें कार्यालयों में ही रुकने की सलाह दी जाने लगी। शहर में बचाव पक्ष ने हेलीकॉप्टर से दूध व डबल रोटी के पॉकेट गिराने शुरू कर दिए। सुबह तक लोग साँस रोके अपने घरों की छतों पर लटके रहे। सुबह लोगों ने नावों की मदद से सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू किया। बच्चे और महिलाओं में भय का आलम था। सुबह करीब नौ बजे पानी उतरना शुरू हुआ। तब लोगों की जान में जान आई। शाम तक नगर से पानी उतर चुका था। पर बाढ़ के कारण लोगों का कीमती सामान खराब हो गया था। टीवी, फ्रीज, एसी सोफा तो बिलकुल खराब हो चुके थे। अलमारियों में रखे कपड़े भी नहीं शाम तक लोगों के रिश्तेदार आ गए थे और अपने-अपने परिवारों को संभाल रहे थे, जायजा ले रहे थे। सरकार की मुश्तैदी इस बार काम आई। उसने तत्काल बाँध ठीक किया और पानी का बहाव दूसरी ओर मोड़ा। सब लोग प्रशासन की तारीफ कर रहे थे। पर जिनका सामान खराब हो गया था वे अवश्य चिंतित थे।

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