बदल रही है सरकारी विद्यालयों की छवि
Badal Rahi Hai Sarkari Vidyalayo Ki Chavi
जब से सरकारों ने शिक्षा की ओर ध्यान देना शुरू किया है तब से सरकारी स्कूलों की छवि बदलने लगी है। पहले सरकारी स्कूल टेंटों में चला करते थे। बच्चों के लिए पक्के स्कूल तक नहीं हुआ करते थे। शहरों में यह स्थिति बहुत पहले समाप्त हो गई थी पर गाँवों में ऐसे स्कूल आज भी देखे जा सकते हैं। पहला काम तो सरकार यही कर रही है कि जहाँ भी कच्चे स्कूल हैं वहाँ पक्के बनाए जा रहे हैं। पहले बच्चों को टाट या बोरी पर बैठकर पढ़ना पड़ता था, अब वहाँ डेस्क का प्रबंध हो गया है। पहले यह माना जाता था कि सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से ही पढ़ाई होती थी अब इन स्कूलों में हिंदी माध्यम से भी पढ़ाई कराई जा रही है और अंग्रेजी माध्यम से भी। अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में शिक्षक रुचि ले रहे हैं। यही कारण है कि उनका परीक्षा परिणाम शतप्रतिशत आ रहा है। विद्यार्थियों के मन से भी अब यह बात निकल गई है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं होती अपितु निजी स्कूलों में होती है। कई बार तो यह भी देखा गया कि निजी स्कूलों से अच्छे परीक्षा परिणाम सरकारी स्कूलों ने दिए हैं। अब सरकारी स्कूलों में वे सभी सांस्कृतिक और खेल संबंधी गतिविधियाँ देखने को मिल रही हैं जो निजी स्कूलों में देखी जाती थीं। यह बात आज अभिभावकों के मन में अच्छी तरह बैठ गई है कि अगर बच्चों को संस्कारवान् बनाना है तो उन्हें निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में पढाना चाहिए। इतनी बात अवश्य कही जा सकती है कि शहरों में तो सरकारी स्कूलों की छवि तेजी से बदल रही है पर ग्रामीण इलाकों में अभी बेहाल ही है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना होगा।