आँखों देखी दुर्घटना
Ankhon Dekhi Durghatna
एक दिन मैं ई.एम.यू. से नई दिल्ली से फरीदाबाद जा रहा था। अभी ट्रेन तिलक नगर से चली थी कि डिब्बा पटरी से उतर गया। इसका पता तब चला जब एक बड़े झटके से गाड़ी रुकी। गाड़ी में सवार यात्री एक-दूसरे पर गिरे। इसमें दूधिए भी सवार थे इसलिए लोगों के सर, हाथ, पैर में उनके डिब्बे लगे। डिब्बे में खून ही खून फैल गया। स्वस्थ लोग तत्काल गाडी से उतरे और लोगों को निकालकर पास के जयप्रकाश नारायण अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने लगे। तत्काल तिलकनगर स्टेशन मास्टर ने संबंधित अधिकारियों को सूचित किया। कुछ ही देर में राहत दल आ गया। वह गंभीर घायलों को अस्तपाल ले जा रहा था। कुछ लोग सीट टूटने से उनके नीचे दब गए थे। उन्हें सीटें काटकर निकाला जा रहा था। कम घायलों को वहीं प्राथमिक चिकित्सा देकर छुट्टी दी जा रही थी। कम घायल भी गंभीर लोगों को बाहर निकालने व अस्पताल पहुंचाने में मदद कर रहे थे। करीब आध घंटे में सभी घायलों को उपचार मुहैया करा दिया गया। राहत गाड़ी ने डिब्बा सामान्य किया। एक घंटे बाद गाड़ी अपने गंतव्य स्थल के लिए रवाना हुई। घर पहुँचकर जब मैंने इस दुर्घटना की जानकारी दी तो सभी के होश गुम थे। दुआएँ दे रहे थे कि जो घायल हो गए हैं, जल्द ठीक होकर अपने घर पहुंचे।