वायु–प्रदूषण
Air-Pollution
वायु प्रदूषण का अर्थ है – हवा में गंदे पदार्थों का मिल जाना । जब वाय या हवा में कई प्रकार की गंदगी मिल जाती है तो वायु प्रदूषित हो जाती है। वायु प्रदूषण सभी जीवधारियों के लिए बहुत हानिकारक होता है । प्रवति हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु देती है। मनुष्य अपने कार्यों से इस शद्ध वायु को अशुद्ध कर देता है । ऐसा करना हमारे लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो रहा है।
वायु कई प्रकार की गैसों से मिलकर बनी होती है । इनमें नाइट्रोजन की मात्रा 78 प्रतिशत तथा ऑक्सीजन की मात्रा 21 प्रतिशत होती है । कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसों की मात्रा लगभग 1 प्रतिशत होती है । प्रदूषित वायू में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ जाती है । वायु में इस प्रकार की गडबडी हमारे द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कार्यों की वजह से होती है । इस प्रदूषित वायु में साँस लेने से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
वायु-प्रदूषण के लिए मनुष्य सबसे अधिक जिम्मेदार है । हमारे दैनिक जीवन के कार्यों से हवा में गंदगी छूटती है । जितनी भी आधुनिक गाड़ियाँ हैं उनमें पेट्रोल या डीजल जलता है । बसों, ट्रकों, मोटरसाइकिलों, रेलगाड़ियों तथा वाययानों में जलने वाले ईंधन वायु-प्रदूषण फैलाते हैं । घरों, कारखानों तथा बिजली पैदा करने वाली भट्ठियों में कोयला जलता है । कोयला जलने से भारी मात्रा में धुआँ छूटता है जो वायु-प्रदूषण उत्पन्न करता है । लकड़ी, घास-फस आदि जलाने से वाय प्रदूषित हो जाती है । जंगल में लगने वाली आग, ज्वालामुखी विस्फोट, प्राकृतिक गैस व तेल के कुँओं में लगने वाली आग आदि प्राकृतिक कारणों से भी वायु प्रदूषित हो जाती है।
एक तरफ मनुष्य अपने कार्यों से वायु को अशुद्ध कर रहा है वहीं वह वायु को शुद्ध रखने वाले पेड़-पौधों को समाप्त कर रहा है । पेड़-पौधे वाय से कार्बन डाइऑक्साइड खींच कर अपना भोजन बनाते हैं तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं । पेड़ों की संख्या घटने तथा जंगलों के कम होने से प्रकृति के कार्य में बाधा खड़ी हो जाती है । यही कारण है कि हमारे चारों ओर की हवा प्रदूषित हो गई है । शहरों में तो यह समस्या गंभीर होती चली जा रही है । लोग खुली और ताजी हवा के लिए तरस जाते हैं।
वायु-प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं । फेफर्ड की बीमारी मुख्यत: वायु-प्रदूषण के कारण होती है । अशुद्ध वायु में साँस लेने से शरीर को कम ऑक्सीजन मिल पाता है । ऑक्सीजन की कमी से खून की सफाई नहीं हो पाती है । लोग अधिक बीमार पड़ते हैं । प्रदूषित वायु में काम करने से थकावट जल्दी आ जाती है । वायु-प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
हमें वायु-प्रदूषण की समस्या की ओर तुरंत ध्यान देना होगा । इसके लिए जरूरी है कि हम लोग ऐसे ईंधन का प्रयोग करें जो हवा में धुआँ न छोड़ते हों । हमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि साफ़-सुथरे ऊर्जा-स्रोतों का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए । साथ ही हमें धरती पर अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने होंगे । हमें जंगलों के पेड़ों की कटाई रोकनी होगी । हमें जंगलों का क्षेत्रफल बढ़ाना होगा । जितनी अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाएँगे, वायु में उतना ही अधिक ऑक्सीजन पहुँचेगा । इन उपायों से वायु-प्रदूषण की समस्या का अंत किया जा सकता है।