मेरा प्रिय मित्र
(My Favourite Friend)
भूमिका-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से वह कभी अलग नहीं रह सकता। उसे प्रत्येक कार्य में लोगों के सहयोग की आवश्यकता होती है। इन लोगों में कुछ ऐसे भी होने चाहिएँ जो इसके सच्चे शुभेच्छ हों। अतः समाज में रहकर मनुष्य अपने जीवन के क्षणों को उत्तम ढंग से व्यतीत करने के लिए मित्र बनाता है।
मित्र शब्द का वास्तविक अर्थ-मित्र शब्द का अर्थ आजकल बहुत हल्का और सामान्य है। अचानक आपका परिचय हुआ और आपने उसको मित्र की संज्ञा दे दी। सच्चा मित्र मिलना बहुत कठिन है। मित्र का अर्थ उस साथी से लगाया जाता है, जो गुणों को प्रकट करे, अवगुणों को छिपा ले। सुख-दुःख में साथ दे। विश्वास और स्नेह के साथ उन्नति की कामना करे।
मित्र के लिए त्याग-यदि दो सच्चे मित्र हैं तो दोनों को मित्रता के लिए स्वार्थ का बलिदान करना पड़ेगा। जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मिलकर जूझना पड़ेगा। सच्ची मित्रता में उच्च परिवार वैभव लोलुपता का कोई स्थान नहीं। कृष्ण और सुदामा की मैत्री सच्ची मित्रता का आदर्श नमूना है।
मेरा प्रिय मित्र-जीवन का वास्तविक आनंद लेने के लिए मैंने भी सोच-समझ कर सावधानी से मित्र का चुनाव किया है। मेरा सर्वप्रिय मित्र है-रमेश मानक। ऐसा प्रतीत होता है कि हमारा संबंध कई जन्मों से चला आ रहा है। रमेश मानक में वे सभी लक्षण हैं जो एक सच्चे मित्र में होने चाहिएँ।
प्रथम भेंट-रमेश मानक जब नया-नया स्कूल में आया तो कुछ दिनों में उसने मुझे अपनी ओर आकर्षित कर लिया। इसका कारण था हमारी परीक्षाएँ। मैं प्रायः कक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त करता था, परंतु उसने मुझसे भी अधिक अंक प्राप्त कर मुझे ईर्ष्या का पात्र बना दिया। ईर्ष्या अपना रूप बदलकर प्रेम में परिवर्तित हो गई। यहीं से रमेश मानक की और मेरी मित्रता का आरंभ हुआ।
मैत्री की नींव-ईर्ष्या प्रेम में परिवर्तित हो गई इसका कारण था रमेश मानक का मधुर स्वभाव, सद्व्यवहार तथा विनम्रता। धीरे-धीरे हम एक दूसरे के निकट आते गए। तन दो थे पर मन एक। हमारी मित्रता कक्षा में चर्चा का विषय बन गई।
परिवार परिचय-रमेश मानक साधारण परिवार से संबंध रखता है। उसके पिता एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं। रमेश मानक की माता जी सुशिक्षित सुशील गृहणी हैं। माता-पिता उसे उच्च पद पर सुशोभित देखता चाहते हैं। वह माता-पिता के मान का धन है।
रमेश मानक की विशेषताएँ-रमेश मानक अपनी कक्षा में प्रथम आता है, इसलिए वह कक्षा में सभी अध्यापकों व छात्रों के स्नेह का पात्र है। वह अपने विद्यालय की हॉकी ठीम का कप्तान भी है। खिलाड़ी के गुण होने के साथ-साथ वह अच्छा गायक और वक्ता भी है। उसके भाषण सभी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इन सब गुणों के बावजूद रमेश मानक को अभिमान छू तक नहीं गया है। कक्षा में कमजोर छात्रों की सहायता करना वह अपना धर्म समझता है।
उपसंहार-मेरी और रमेश मानक की मित्रता है। विनम्र स्वभाव, सादगी के गुणों से भरपूर, आधुनिक हवा से दूर रमेश मानक के प्रति मेरे माता-पिता भी बहुत स्नेह रखते हैं। मैं कामना करता हूँ रमेश मानक जीवन भर मेरा अभिन्न मित्र बना रहे, ताकि हम मिलकर संघर्षों का मुकाबला कर जीवन नैया को आगे ले जाएँ। मुझे अपने मित्र पर गर्व है।